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Nag Panchami 2025: यहाँ हुआ था नागों का दमन, पूजा का मिलता है विशेष फल, जरूर करें सर्पदमन तीर्थ की यात्रा

Nag Panchami 2025 Kab Hai: इस साल 29 जुलाई को नाग पंचमी (भाई पंचमी) मनाई जाएगी। इस दिन लोग अगर नाग देवताओं या भगवान शिव पर जल चढ़ा कर पूजा करते हैं तो उनका काल सर्प दोष या अन्य संकट भी खत्म हो जाता है।
 
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Nag Panchami 2025 Puja: नाग पंचमी के त्योहार को भारत के लोग बड़ी ही श्रद्धा भावना के साथ मनाते है। नाग पंचमी को भाई पंचमी का त्योहार भी माना जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, इस दिन नाग देवता की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं, और नाग देवता का संरक्षण प्राप्त होता है। नाग पंचमी के दिन वैसे तो लोग मंदिरों मे जाकर विशेष पूजा करते हैं, लेकिन एक तीर्थ ऐसा भी है जहां जाकर उनकी पूजा करने से विशेष फल मिलता है। इस तीर्थ क्षेत्र का नाम है 'सर्पदमन तीर्थ'। इस तीर्थ को महाभारत युगीन तीर्थ कहा जाता है। इस बार नाग पंचमी 29 जुलाई को मनाई जानी है।

हरियाणा के कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि मे आने वाला ये तीर्थ जींद जिले के सफीदों मे स्थित है। यहाँ एक सरोवर और मंदिर है जिसका नाम है 'नागक्षेत्र तीर्थ'। ऐसा माना जाता है यहाँ नागपंचमी के दिन भगवान शिव और नाग देवता की पूजा करने पर अधिक लाभ देने वाला होता है।

सर्पदमन तीर्थ की महिमा-

एक बार राजा परीक्षित उदास होकर शिकार खेलने जंगल चले गए। शिकार खेलते खेलते वो एक मुनि की कुटिया मे पहुँच गए जहां शभिक ऋषि तपस्या कर रहे थे। तपस्या मे लीन होने के कारण उन्हे राजा परीक्षित के आने का बोध नहीं हुआ। राजा परीक्षित ने इसे अपना अपमान समझा और जाते जाते एक मृत साँप ऋषि शभिक के गले मे ड़ाल दिया। ऋषि के पुत्र को जब इस बात का पता चला तो उन्होने राजा परीक्षित को श्राप दिया की आज से 7वें दिन तक्षक नाग के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। हुआ भी ऐसा ही, राजा परीक्षित को जब पता चला की ऋषि के पुत्र ने उन्हे ऐसा श्राप दिया है तो उन्होने बचने के अनेक उपाय किए, लेकिन अपने प्राण नहीं बचा पाये। राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने बदला लेने के लिए संकल्प किया की वो सम्पूर्ण धरती से नागों और सर्पों का नाश कर देगा। संकल्प को पूरा करने के लिए इस नागक्षेत्र तीर्थ मे (सरोवर वाली जगह) एक बड़े सर्पदमन यज्ञ का आयोजन किया। मंत्रोचार की शक्ति से सभी सर्प और नाग उस यज्ञ की अग्नि मे भस्म होने लगे। बाद मे देवताओं की प्रार्थना और भगवान शिव के आशीर्वाद से जन्मेज्य ने उस यज्ञ को बंद कर दिया। उसके बाद से ही इस तीर्थ पर नाग पंचमी (भाई पंचमी ) के दिन विशेष पूजा की जाती है।

नाग पंचमी की कथा-

एक साहूकार के सात बेटे, सात बहू थी। सातों बहुए कुएं से पानी लेने गई। सातवीं का कोई पीहर नहीं था। 6 बहुएं कुएं से पानी भरने गई तो आपस में बात करने लगी कि जल्दी जल्दी पानी भर लो। बाद में धोक मारने जाना है। कुएं पर एक औरत बोली कि तेरी जिठानी क्या कर रही है। वह छहों बहुएं बोली- वह चरखा काट रही होगी। उसे क्या पता कि भैया पंचमी क्या है। उसके तो कोई भाई नहीं है। सारी बातें एक सर्प सुनकर उन छहों बहुओं के पीछे पीछे चल पड़ा। घर में आकर आदमी का रूप लिया और सातवीं बहू से कहा- बहन राम राम! वह कहने लगी कि मेरे तो कोई भाई नहीं था। तू भाई कहां से आ गया। भाई बोला बहन तेरी शादी के बाद मेरा जन्म हुआ। इसलिए तुम मुझे नहीं जानती। वह अपनी सास से पूछने गई कि मेरा भाई आया है क्या बनाऊं! सांस कहने लगी कि तेल से चूल्हा लीप ले और तेल में ही चावल चढ़ा दे। ना चूल्हा सूखा, ना ही चावल पके। पड़ोसन से पूछने गई तो पड़ोसी ने बताया कि मिट्टी से चूल्हा लीप ले और पानी में चावल पका ले। फिर चावल-दाल बन के तैयार हो गई। फिर उसने अपने भाई को चावल दाल और घी -बुरा से भाई को जिमाया और भाई बोला कि बहन मैं तुझे घर ले जाने आया हूं। बहन को साथ लेकर जब भाई जंगल में जाकर बहन से बोला कि अब मैं सर्प बनूंगा। तुम डरना नहीं मेरी पूछ पकड़ कर बाबी के अंदर मेरे पीछे पीछे आ जा। बाबी में पहुंचने के बाद भाई बहन कहने लगे कि हमारी बहन आई है तथा भाभी बोली हमारी ननद आई है, भतीजे कहने लगे कि हमारी बुआ आई है, मां हर रोज अपने बच्चों को घंटी बजा कर दूध पिलाती है, वह रोज देखती रहती थी। एक दिन वह अपनी मां से छोटे भाई- बहन को दूध पिलाने की जिद करने लगी। तो मां बोली ले गर्म दूध में घंटी मत बजाना लेकिन उसने गरम-गरम में घंटी बजा दी। जिसके पीने से किसी की जीभ, किसी की पूंछ, किसी का फन जल गया। सब गुस्से से बोले इसने हमें जलाया है हम इसे खाएंगे। इस बात को सुनकर मां बोली इससे गलती हो गई। मैं इसकी तरफ से माफी मांगती हूं और इसको छोड़ दो। उसकी भाभी के लड़का हुआ था, भाभी बोली मांगो, तुम्हें क्या चाहिए। ननद ने नौलखा हार मांगा। भाभी ने ननद को नौलखा हार दे दिया और कहा कि अगर तू पहनेगी तो हार रहेगा, अगर कोई दूसरा पहने का तो सर्प बन जाएगा। राजा का लड़का उसे लेने आया और उसने भगवान से प्रार्थना करी कि हे भगवान! बाबी की जगह महल बना दो। जब उसे रहते हुए ढाई दिन हो गए, तो राजा का लड़का अपनी पत्नी को ले जाने के लिए आया। उन्होंने उसे विदा करते हुए दास-दासी, हाथी, घोड़े, धन- दौलत देकर विदा किया। लेकिन जाते समय राजा का लड़का अपनी धोती भूल गया और रास्ते में याद आया। लड़के ने पत्नी से कहा कि मैं अपनी धोती वापस ले कर आता हूं, पत्नी बोली विदाई में इतना धन दिया है। अपनी पुरानी धोती लेने जाओगे तो भाभियाँ क्या कहेंगी। लड़के ने कहा कि नई मिल जाए तो पुरानी को छोड़ दो? मैं तो अपनी पुरानी धोती जरूर लाऊंगा। राजा के लड़के ने देखा वहां पर ना कोई महल था। उसने अपनी धोती कीकर के पेड़ पर टंगी हुई मिली। लड़का ये देखकर पत्नी पर तलवार लेकर खड़ा हो गया कि सच सच बताओ नहीं तो तुझे मारूंगा। पत्नी ने राजा के लड़के से कहा कि देवरानी-जेठानी, पड़ोसन बोली मार रही थी। यह सब बातें सर्प देवता सुन रहा था और वही मेरा धर्म भाई बना। आपके आने का पता चला तो मैंने भगवान से ढाई दिन का पीहर मांगा था। घर आने के कुछ दिन बाद बहू के लड़का हुआ। तो उसकी ननद ने वही नौलखा हार मांग लिया। जो तुम अपने पीहर से लाई हो उसने कहा और कुछ मांग लो- पर वह नहीं मानी उसने कहा कि ढाई दिन के मांगे का हार है उसने कहा कि अगर मैं पहनूंगी तो हार रहेगा, तुम पहनो गी तो सर्प बन जाएगा। वह नहीं मानी उसने उस हार को ननंद को दिया और उसने पहना तो वह सर्प बन गया।

ननद से बहू ने कहा कि मेरे ढाई दिन का पीहर का हार है, ननंद को पूरी कहानी बताइ कि किस तरह मुझे यह हार मिला। ननद बोली यह भाभी सच है क्या। नाग पंचमी में इतना सत्य है तो विश्वास नहीं होता। तब बहू के ससुर ने नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि लगते श्रवण की पंचमी को सब कोई भाई पंचम बनाएं। चने, मूंग, भिगोए, कीकर के झाड़ में पिरोए और चने, मूंग की धोक मारे और बायना निकालें।

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