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चाणक्य नीति के अनुसार ऐसी स्त्रियों से कभी ना करें विवाह, जिंदगी हो जाएगी खराब

Chanakya Niti:आचार्य चाणक्य की नीतियाँ आज भी लोगों को कठिन समय मे रास्ता दिखा रही हैं. उनकी बताई नीतियों प र्चलकर लोग अपने जीवन को संवार सकते हैं. इस लेख मे हम आपको उनकी बताई ऐसी ही नीति के बारे मे बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकर आप अपने जीवन को सुखद बना सकते हैं.
 
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Haryana Update Religious: यद्यपि आचार्य चाणक्य की नीतियां कठोर हैं, लेकिन उनमें जीवन की सच्चाई छिपी है. चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के अनुसार, पुरुष और स्त्री दोनों को शादी को लेकर सतर्क रहना चाहिए और बहुत विचार विमर्श के बाद ही अंतिम निर्णय लेना चाहिए.

चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के चौबीसवें श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति को श्रेष्ठ कुल से आई कुरूप, यानी सौंदर्यहीन कन्या से भी विवाह करना चाहिए, लेकिन नीच कुल से आई सुंदर कन्या से नहीं. विवाह को भी अपने समान कुल में ही करना चाहिए.


आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शादी करने के लिए लोग सुंदर कन्या देखते हैं, लेकिन उसके गुणों और कुल की अनदेखी करते हैं. ऐसी कन्या से विवाह करना सदा ही दुखदायी होता है, क्योंकि ऐसी कन्या नीच कुल से आती है और उनके संस्कार भी नीच होंगे. उसके उठने-बैठने, बोलने या सोचने का स्तर भी कम होगा. यद्यपि, भले ही कन्या कुरूप या सुंदर हो, उसका व्यवहार अपने कुल के अनुरूप होगा.


आचार्य चाणक्य ने कहा कि ऊंचे कुल की कन्या अपने कामों से अपने कुल का मान बढ़ाएगी, जबकि नीचे कुल की कन्या अपने व्यवहार से अपने परिवार की प्रतिष्ठा कम करेगी. वैसे भी, विवाह करना सदा अपने समान वर्ग में ही उचित होता है, अपने से कम वर्ग में नहीं. "कुल" यहां परिवार का चरित्र नहीं बल्कि संपत्ति है.

चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के 16वें श्लोक में कहा गया है कि विष में भी अमृत होना अच्छा है. यदि सोना या मूल्यवान वस्तु किसी अपवित्र या अशुद्ध वस्तु में पड़ी हो तो वह भी उठा लेने योग्य है. यदि एक नीच व्यक्ति कला, विद्या या गुणों से संपन्न है, तो उसे कुछ भी सीखने में कोई बाधा नहीं है. इसी तरह अच्छे गुणों से युक्त स्त्री रूपी रत्न को लेना चाहिए.


इस श्लोक में आचार्य गुणों को अपनाने की बात कर रहे हैं. यदि किसी नीच व्यक्ति के पास कोई अच्छा गुण या ज्ञान है, तो उसे उससे सीखना चाहिए. इसका मतलब यह है कि जब भी किसी को कुछ अच्छा मिलता है, उसे उसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए. नीच के पास गुण है, जबकि विष में अमृत है.