Rajasthan Election: इस दिन होने वाले है राजस्थान में चुनाव, तारीख आई सामने, और जाने किस दिन होगा ऐलान, क्या बनी रहेगी सरकार? 3 दिसंबर को आएंगे नतीजे... क्या गहलोत बचा पाएंगे सरकार?
Rajasthan News:अगले पांच वर्षों के लिए राजस्थान में राजधानी का नेतृत्व कौन करेगा? 23 नवंबर को देश के 5.25 करोड़ मतदाता इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में अपना निर्णय देंगे। और इसी के साथ 3 दिसंबर को इस चुनाव के नतीजों का ऐलान किया जाएगा।
Haryana Update: राजस्थान विधानसभा चुनाव का चुनाव कार्यक्रम चुनाव आयोग ने जारी किया है। राजस्थान में वोट एक बार में डाले जाएंगे। 23 नवंबर को राजस्थान विधानसभा में 200 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। वही इसी के साथ इस चुनाव का नतीजा 3 दिसंबर को बताया जाएगा।
चुनाव आयोग ने बताया है कि करोड़ो लोग सरकार चुनने के लिए मतदान करेंगे। वही राज्य में 2.73 करोड़ आदमी और 2.52 करोड़ महिलाएं मतदान करती हैं। 22.04 लाख मतदाताओं, जो राजस्थान में पहली बार मतदान करेंगे, की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि वे राजस्थान की सरकार को चुनेंगे।
यह राजस्थान का चुनाव कई बातो में महत्वपूर्ण है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस दोनों के लिए ये चुनाव लोकसभा चुनाव से महीने भर पहले महत्वपूर्ण हैं। ऐसा पिछले 25 साल में पहली बार हो रहा है जब बीजेपी मुख्यमंत्री चुनाव में बिना किसी प्रत्याशी के मैदान में उतर रही है।
अगर आप देखे तो सत्ताधारी कांग्रेस ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की जगह मुख्यमंत्री पद के लिए सीएम गहलोत को उतारा है। राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत और कांग्रेस एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी रहे हैं। कांग्रेस राजस्थान में सबसे प्रभावशाली होते हुए भी गहलोत को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से क्यों बच रही है?
2018 में कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई
2018 में राजस्थान विधानसभा की 199 सीटों में कांग्रेस विपक्षी पार्टी के रुप में चुनाव जीती। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर 99 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई, वही बहुमत के लिए आवश्यक सौ सीट से सिर्फ एक सीट की दूरी पर रह गई। बीजेपी तब सत्ताधारी पार्टी बन गई थी, लेकिन वोट शेयर केवल कुछ अंतर से पीछे रह गई थी। बीजेपी का वोट शेयर 39.3% था, जो कांग्रेस का 39.8% था। बीजेपी ने 73 सीटें जीतीं।
बसपा के छह विधायक राजस्थान चुनाव में चार प्रतिशत वोटों से जीते थे। हनुमान बेनीवाल की पार्टी, आरएलपी, भी 2.4 प्रतिशत वोटों के साथ तीन सीटें मिली। 13 निर्दलीय (9.6% वोट शेयर) और अन्य दलों के पांच उम्मीदवार (4.9%) भी चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे।
जाने 2018 से 2023 का चुनाव कितना अलग है?
2018 के चुनाव में बीजेपी को सत्ता कायम रखना था, वहीं 2023 के चुनाव में कांग्रेस को सत्ता कायम रखना है। 2018 के चुनाव में वसुंधरा राजे बीजेपी का चेहरा थीं। बीजेपी ने 2023 के चुनाव में सीएम फेस के रूप में किसी नेता को नहीं उतारा है। अगर आप देखे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम, काम और कमल निशान को लेकर बीजेपी वोट मांग रही हैं।
वही, कांग्रेस भी मुख्यमंत्री गहलोत को सीएम के रूप में प्रस्तुत करने से इनकार कर रही है। राजस्थान में सत्ता के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच शीतयुद्ध हुआ, अगर आप देखे तो हर बार सरकार बदलने की भी परंपरा है। कांग्रेस ने सीएम फेस घोषित करने से बचने के कारण ये हैं। कांग्रेस और बीजेपी इस बार सामूहिक नेतृत्व की जगह एक व्यक्ति को चुनाव मैदान में उतारने की बात कर रहे हैं।
बेनीवाल जाट वोट बैंक का विश्लेषण
हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी 2018 के राजस्थान चुनाव में नई थी। वही उसके कुछ समय पहले बेनीवाल ने पार्टी की घोषणा की थी। वही बेनीवाल की पार्टी इस बार पांच वर्ष की हो गई है। बेनीवाल ने घोषणा की है कि आरएलपी किसी भी पार्टी से गठबंधन किए बिना चुनाव में भाग लेगी। ऐसे में ये चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के लिए भी एक चुनौती होगी, साथ ही बेनीवाल की राजनीतिक पकड़ को बचाने की भी है।
वही देखा जाए तो ये चुनाव लोकसभा चुनाव पहले बेनीवाल के जाट वोटों के लिए टेस्ट होने वाला है। खासकर अब जब पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा भी बीजेपी में आ गई हैं। कांग्रेस को बहुमत के लिए 100 सीट की जरूरत थी, लेकिन पिछले चुनाव में एक सीट पीछे रह गई थी, इसलिए बेनीवाल को इसकी मुख्य वजह बताया जा रहा था। जिस तरह बसपा और निर्दलीय विधायक पिछली बार किंग मेकर बनकर उभरे, अगर इस बार भी किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो बेनीवाल की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।