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2000 के नोट बंद होने से भारत की जीडीपी और आम लोगों पर पड़ेगा असर? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

क्या आप जानते हैं की 2000 रुपये के नोट को बंद करने के RBI के फैसले से आम लोगों पर और देश की अर्थव्यवस्था पर कितना प्रभाव पड़ने वाला है?
 
demonetisation 2023 effects

Demonetisation 2023 Affect on Peoples: क्या आप जानते हैं की 2000 रुपये के नोट को बंद करने के RBI के फैसले से आम लोगों पर और देश की अर्थव्यवस्था पर कितना प्रभाव पड़ने वाला है. अगर नहीं तो आइए जानते हैं क्या कहते है पूर्व वित्त सचिव सुभाष चन्द्र गर्ग?

पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शनिवार को आरबीआई के नोटबंदी 2023 के फैसले पर कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों में डिजिटल भुगतान बढ़ने की वजह 2000 का नोट वापस लेने से कुल प्रचलित मुद्रा पर कोई खास असर नहीं आएगा.

इसलिए इसका मौद्रिक नीति पर भी कोई प्रभाव नहीं होगा. उन्होंने कहा, न तो यह भारत की आर्थिक और वित्तीय प्रणाली पर कोई असर डालेगा और न ही सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि या जनकल्याण पर कोई प्रभाव पड़ने वाला है.

नोटबंदी के बाद जब फिर से मुद्रा की छपाई हो रही थी, उस समय गर्ग आर्थिक मामलों के सचिव थे और सिक्का और मुद्रा प्रभाग के प्रभारी थे. उनका कहना है कि सरकार ने संभवत: तात्कालिक जरूरतों को देखते हुए ही 2000 रुपये के नोट छापने का फैसला किया था. बाद में चरणबद्ध तरीके से इसे घटाने का फैसला कर लिया गया था. जुलाई-अगस्त 2017 में 2000 के प्रचलन में रहने नोटों का कुल मूल्य 7 लाख करोड़ था.

क्या नोटबंदी 2023 से नहीं पड़ेगा भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर?

अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि जितने नोट वापस आएंगे, उनके एवज में छोटे नोट बाजार में आ जाएंगे या फिर इतनी रकम बैंक खातों में जमा हो जाएगी. यह कदम उठाने की सबसे बड़ी वजह अवैध लेन-देन पर शिकंजा कसना है. -अरविंद पनगढ़िया, पूर्व उपाध्यक्ष, नीति आयोग

2000 के नोट का ज्यादा इस्तेमाल बाजार मे नहीं

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि 2000 के नोट आम लोगों के सामान्य लेन-देन में बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं होते थे. इन नोटों का कुल मूल्य प्रचलित मुद्रा का 10 फीसदी ही था. इसलिए इसका आम लोगों पर असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर कुल मुद्रा के संदर्भ में बात करें तो अगले तीन सालों में कुल लेन-देन में डिजिटल लेन-देन की हिस्सेदारी बढ़कर 65 फीसदी तक पहुंच जाएगी.

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2000 के नोट बंद होने का किस पर कितना प्रभाव पड़ने वाला है?

एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स समूह में मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे के मुताबिक, ताजा कदम से आर्थिक विकास पर व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा, क्योंकि छोटे नोट पर्याप्त मात्रा में हैं. 6-7 सालों में डिजिटल लेन-देन बढ़ने की वजह से किसी तरह की मुश्किल होने की गुंजाइश नहीं है.

क्वांट इको रिसर्च की अर्थशास्त्री युविका सिंघल का मानना है, कृषि और निर्माण जैसे छोटे व्यवसायों और उन क्षेत्रों में असुविधा हो सकती है, जिनमें ज्यादातर नकदी का इस्तेमाल किया जाता है. बैंक के बजाए अपने पास ही ज्यादा मुद्रा रखने वाले लोग जरूर सोने या ऐसी अन्य चीजें खरीदकर रखने को तरजीह दे सकते हैं.

आरबीआई का स्पष्ट कहना है...इन नोटों का लेन-देन में ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता है. पिछले चार वर्षों में 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद है.
अर्थशास्त्री नित्सुरे ने आम चुनाव से पहले एक समझदारी भरा फैसला बताया. कहा, जो लोग मुद्रा भंडारण कर रहे हैं, उनके लिए मुश्किल हो सकती है.
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नोटबंदी 2023 से आखिर भारतीय बैंकों पर कितना असर पड़ेगा?
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए लि. में फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग के ग्रुप हेड कार्तिक श्रीनिवासन का कहना है, इस कदम से बैंक जमा में वृद्धि होगी. यह ऐसे समय हो रहा है जब बैंक निकासी की तुलना में जमा के मामले में पिछड़ रहे हैं. वहीं, एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, चूंकि 2000 रुपये के सभी नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ जाएंगे, इसलिए बैंकिंग प्रणाली की तरलता में सुधार में मदद मिलेगी.

 

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