यह पांच  तरीके अपनाओगे तो नहीं होगी दोस्तों की कमी 

हर बच्‍चे में अलग अलग खूबियां और खामियां होती हैं. कुछ बच्‍चे जरूरत से ज्‍यादा फ्रेंडली होते हैं और कुछ काफी इंट्रोवर्ट होते हैं.
 

हर बच्‍चे में अलग अलग खूबियां और खामियां होती हैं. कुछ बच्‍चे जरूरत से ज्‍यादा फ्रेंडली होते हैं और कुछ काफी इंट्रोवर्ट होते हैं. खासतौर पर जो बच्‍चे कोरोना महामारी के दौरान घर पर अकेले समय बिताए हैं, उनके लिए दोस्‍ती करना भी एक कठिन टास्‍क होता है. घर पर लंबे समय तक अकेले समय गुजारने के कारण उनका सोशल स्किल बेहतर तरीके से डेवलप नहीं हो पाया है और वे लोगों से मिलने से भी कतराते हैं. यहां हम कुछ ऐसे पैरेंटिंग‍ टिप्‍स लेकर आए हैं जिनकी मदद से वे बच्‍चे के सोशल स्किल को डेवलप कर सकते हैं और उन्‍हें अच्‍छी तरह गाइड कर सकते हैं.

घर पर रखें अच्‍छा संवाद- हार्वर्ड हेल्‍थ के मुत‍ाबिक, बच्‍चों को अगर आप अच्‍छी चीज सिखाना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत आप घर से करें. मसलन, घर के सभी सदस्‍य आपस में अच्‍छी भाषा का प्रयोग करें, एक दूसरे को इज्‍जत दें, आपस में मदद करें, एक दूसरे का ख्‍याल रखें. ऐसा करने से बच्‍चे का बर्ताव बाहर के लोगों के साथ भी अच्‍छा रहेगा.

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घर के बाहर बनें रोल मॉडल- अगर आप घर के बाहर बच्‍चों के साथ जाएं तो लोगों के साथ फ्रेंडली रहें और लोगों का हाल चाल जरूर लें. ऐसा जब आप करेंगे तो बच्‍चा भी आपसे सीख पाएगा कि आखिर लोगों से किस तरह इंटरेक्‍ट करना चाहिए.

एक्टिविटी में करें शामिल- अपने बच्‍चों को उन एक्टिविटीज में हिस्‍सा लेने के लिए मोटिवेट करें जो उनकी हॉबीज रही है. धीरे धीरे बच्‍चे की टीम के साथ आप भी इंटरेक्‍ट करें और उन्‍हें साथ मौज मस्‍ती करने का भी मौका दें. आप उन्‍हें कहीं साथ जाने, घमूने आदि के लिए भी मोटिवेट करें.

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नजर रखें- नजर रखने का मतलब ये कतई नहीं है कि आप हर वक्‍त बच्‍चे पर नजर रखें. आप बच्‍चे को हर सिचुएशन में जाने दें और उसे मुश्किल मौकों को डील करने का तरीका बता दें. लेकिन अगर हालात कंट्रोल से बाहर हो जाए या लड़ाई या मारपीट हो तो तुरंत मौके पर पहुंचें और सिचुएशन को शांत करने का प्रयास करें. इस तरह बच्‍चा सीखेगा कि किस तरह हालात को संभाला जा सकता है.

बच्‍चे को बोलने का दें मौका- शाम में जब भी बच्‍चे से मुलाकात हो तो आप उससे दिनभर की गतिविधियों के बारे में बातचीत करें. बेहतर होगा कि आप बोलने की बजाय बच्‍चे की बातों को सुनें. इससे आपको समझने का मौका मिलेगा. अगर आप केवल सिखाएंगे तो हो सकता है कि बच्‍चा आपको बताना ही छोड़ दे. इस तरह आप अपने बच्‍चे को दोस्‍ती करने में मदद कर सकते हैं. अगर तब भी काम ना बनें तो आप अपने डॉक्‍टर की सलाह ले सकते हैं.