वो रहस्यमय गांव जहां हर साल सैकड़ों पक्षी तोड़ रहे दम, जानिए वजह
Haryana Update. देश में हर साल आत्महत्या के सैकड़ों मामले सामने आते हैं, लेकिन मामले सिर्फ इंसानों तक ही सीमित नहीं हैं.
इसमें पक्षी भी शामिल हैं. जी हां, देश में एक ऐसा भी गांव है जिसे 'पक्षियों का सुसाइड पॉइंट' बताया जाता है. ओडिशा दिमा हासो जिले में स्थित जातिंगा वैली में सितंबर से दिसंबर के बीच ऐसा नजारा दिखता है जो लोगों की आंखें नम कर देता है. यहां के इलाके में बिखरे पड़े पक्षियों के शव चौंकाते हैं.
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जातिंगा वैली में सिर्फ स्थानीय पक्षी ही नहीं, दूर देशों से उड़कर पहुंचने वाले प्रवासी पक्षी भी शामिल होते हैं. रिपोर्ट कहती है, ऐसी घटनाएं शाम को 7 से 10 बजे के बीच सबसे ज्यादा होती हैं. पक्षी तेज गति से उड़ते हुए आते हैं और गांव में बने पेड़ों और मकानों से टकराते हैं. उनके टकराते ही उनकी मौत हो जाती है.
पक्षियों की करीब 40 प्रजातियां ऐसी हैं जिनकी सबसे ज्यादा मौत होती है. जातिंगा वैली का मौसम ऐसा है जिसके कारण यह नौ महीने दूसरे हिस्सों से कटा रहता है, लोग यहां जाने से बचते हैं. रात में यहां जाने की मनाही है. पक्षियों की मौत क्यों होती है, इस पर पक्षी विशेषज्ञों का कहना है, इस जगह पर कोई मैग्नेटिक फोर्स है जो इन रहस्यमय मौतों की वजह बन रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक, जातिंगा वैली का मौसम नमी वाला रहता है. बारिश होती है और बादलों से घिरा रहता है. इनकी मौतों के पीछे एक वजह यह भी बताई जाती है. तेज हवाओं, बारिश और रोशनी न होने के कारण इन्हें ठीक से दिखाई नहीं देता और ये तेज उड़ते हुए मकानों, पेड़ों और वाहनों से टकराते हैं.
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इस तरह ये दम तोड़ देते हैं.
कहा जाता है कि यहां 1910 से पक्षियों की मौत की घटनाएं हो रही है, लेकिन दुनियाभर तक यह बात 1957 में पहुंची. 1957 में ब्रिटेन के पक्षी विशेषज्ञ E.P. Gee की किताब वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया पब्लिश हुई. इस किताब में यहां की इस घटना का जिक्र किया गया. यह जानकारी फैलने के बाद दुनिया के कई वैज्ञानिक यहां आए और रिसर्च की. रिसर्च में वो भी पक्षियों के मौत की सटीक वजह नहीं बता पाए.