Haryana के इस गाँव मे आजादी से आज तक नहीं है बस सुविधा, लोगों को हो रही बड़ी परेशानी
Haryana Update, New Delhi: आजादी के 75 साल बाद भी कई गांवों में बस सेवा नहीं है. शहरों में निजी वाहनों और पैदल चलने पर मजबूर हैं. बात बिलासपुर से थाना छप्पर की है. कस्बे से थाना छप्पर तक दो रास्ते हैं. एक रास्ता वाया पाबनी कलां चलता है, जबकि दूसरा रास्ता वाया चाहड़वाला है. एक बस सेवा भी नहीं है. 20 किमी लंबे इस मार्ग पर ग्रामीणों ने वर्षों से बस सुविधा की प्रतीक्षा की है.
रोडवेज इस ओर कोई ध्यान नहीं देता. रास्ते में पड़ने वाले दो दर्जन गांवों के लोगों को बिलासपुर न्यायालय परिसर और एसडीएम कार्यालय में अपने सरकारी कार्यों के लिए साढौरा से तीस किलोमीटर की और दूरी तय करनी पड़ती है. इन गांवों के लोगों को बिलासपुर से थाना छप्पर के बीच ककड़ौनी, रसूलपुर, मारवा खुर्द, मखौर, ज्ञानेवाला, शेखपुरा, पाबनी, तलाकौर, उधमगढ़, चाहड़वाला, जागधौली, कलावड़, महेश्चरी और कुलचंदु से हो रही परेशानी का सामना करना पड़ता है.
स्कूली बच्चे साइकिल या पैदल स्कूल पहुंचते हैं. गावों में रहने वाले लोगों को शहर जाने के लिए निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ता है, साथ ही अतिरिक्त किराया देकर थ्री व्हीलर जैसे वाहनों का सहारा लेना पड़ता है. दो ब्लाक को जोड़ने वाली सड़क पर बस सुविधा की कमी है, शिक्षक रविंद्र राणा बताते हैं. न तो राजनेताओं और न ही प्रशासनिक अधिकारियों को इनकी चिंता होगी. ग्रामवासी राजकुमार पाबनी कलां बताते हैं कि उनके गांव से थाना छप्पर आठ किलोमीटर दूर है. इस मार्ग पर बस सुविधाओं की कमी से स्थानीय लोग बहुत परेशान हैं.
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आज भी वे पैदल चलने पर मजबूर हैं. मुसिंबल के अशोक दुआ ने कहा कि सरकार ने करोड़ों रुपये की लागत से दो सड़कें इन दो कस्बों के बीच बनाई हैं. सुविधा किसी पर सीमित नहीं है. एक रास्ता वाया पाबनी कलां चलता है, जबकि दूसरा रास्ता वाया चाहड़वाला है. महेश्वरी स्कूल में पढ़ रहे हरीश कुमार बताते हैं कि गांव से हैबतपुर हाई स्कूल तक पक्की सड़क बनाने में सालों लग गए हैं.
उन्हें सड़क बनने से उम्मीद थी कि अब बस भी चलेगी. लेकिन आज भी उनको बिलासपुर जाने के लिए पैदल चलना या निजी कार में सवार होना पड़ता है. Rohit बताता है कि हर छोटे बड़े गांव बस सेवा से जुड़े हैं. दो ब्लाक को जोड़ने वाले इस मार्ग पर बस सेवा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है.