logo

चाणक्य नीति: मनुष्य को ऐसे लोगों के साथ और ऐसे स्थान पर भूलकर भी नहीं रहना चाहिए, होता है हमेशा नुकसान

Chanakya Niti: आज के धोखेबाजी भरे दौर जहां आज हर इंसान दुखी है, आचार्य चाणक्य की नीतियाँ आज भी लोगों को सत्य का मार्ग दिखा रही है.
 
chanakya niti

चाणक्य नीति: इस राजनीति शास्त्र को पढ़कर मनुष्य सत्य को जान लेता है. चाणक्य की नीति शास्त्र मे कर्तव्य-अकर्तव्य कार्यों का वर्णन किया गया है. किस कार्य को करने से शुभ फल मिलता है और किस काम के करने से हानी मिलती है. इन सब बातों का विवेचन इस चाणक्य नीति शास्त्र मे दिया गया है. आज हम आपको चाणक्य द्वारा कही गयी कुछ नीतियाँ बता रहें है जिनहे अपनाकर मनुष्य अपने जीवन मे सुखी रह सकता है.

Chanakya Niti in Hindi:

मूर्ख शिष्यों को उपदेश देने से, दुष्ट स्त्री का भरण पोषण करने से तथा बे वजह दीन दुखियों के साथ संबंध रखने से, पंडित भी दुखी हो जाता है. मूर्ख शिष्य को कितनी ही शिक्षा की बातें की जाये, वह उन्हे प्रयोग मे नहीं लाता है. उसकी इस अपरिवर्तनीय प्रकृति पर समझाने वाला शिक्षक भी दुखी हो जाता है. दुष्ट स्त्री की जितनी चाहे सेवा करो, वह अपनी नीच प्रकृति कभी नहीं छोडती. बात बात पर झगड़ना, देरी से उठना, काम से जी चुराना आदि हरकतों से घर मे अशांति बनी रहती है. चाणक्य के कहने का भाव है कि वह अपने दुष्ट स्वभाव को कभी नहीं त्यागती.

दुष्ट पत्नी, धोखेबाज मित्र, प्रश्नोत्तर करने वाला नौकर तथा साँप वाले घर मे निवास करने से मृत्यु कभी भी हो सकती है. दुशचरित्र पत्नी, धोखेबाज दोस्त और भेद को जानने वाले नौकर के साथ रहना साँप के साथ रहने के समान होता है. इनकी संगत मे रहने से मनुष्य का अंत कभी भी हो सकता है.

ये भी पढ़िये: Chanakya Niti: किन पुरुषों की और खींची चली आती हैं महिलाएं, जानिए

जिस प्रदेश मे मान सम्मान न हो, आजीविका का कोई साधन न हो, भाई-बंधु ना हो और ना ही शिक्षा कि कोई व्यवस्था हो, ऐसा प्रदेश रहने योग्य नहीं होता. जहां रोजगार हो, अपना समाज हो, शिक्षा के साधन उपलब्ध हों तथा मान सम्मान मिलता हो, ऐसे स्थान को ही अपना स्थायी निवास बनाना चाहिए.

जिस स्थान पर पाँच प्रकार की सुविधा उपलब्ध ना हो, यहाँ रहना नहीं चाहिए.

धनिक अर्थात धनवान सेठ अथवा बैंक जैसी सुविधा जिस स्थान पर ना हो, वह स्थान रहने योग्य नहीं होता. सुचारु जीवन जीने के लिए धन की जरूरत होती है. प्राचीन काल मे सेठ साहूकारों से लोग पैसा लेते थे. आज के परिपक्ष्य मे बैंकों से ऋण प्राप्त करके लोग अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं.

जिस स्थान पर ब्राह्मण, धर्म कर्म वाले लोग, प्राकृतिक एवं दैविक बाधाओं को शांत करने के लिए यज्ञ करवाने वाले श्रोत्रिय विद्वान ना हों, वह स्थान भी रहने योग्य नहीं होता. जहां वैद्य या चिकित्सा सुविधा ना हो, ऐसे प्रदेश और स्थान पर नहीं रहना चाहिए. जिस स्थान पर पीने योग्य जल, नदी आदि न हो, उस स्थान को त्याग देना चाहिए.

इन सभी बातों का सीधा अर्थ यही है कि जिस स्थान या प्रदेश मे धनवान, विद्वान, शासक, नदी, वैध चिकित्सक आदि सुविधाएं ना हो, वह स्थान रहने योग्य नहीं होता है.

 

click here to join our whatsapp group