logo

मंगलवार के दिन ऐसे करें श्री राम भक्त हनुमान की पूजा, हनुमान जी जरूर करते हैं कृपा, 11 दिन करें ये पूजा

हनुमान जी को ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था की कोई भी अस्त्र शस्त्र उनपर प्रभाव नहीं डाल सकता. इसलिए हनुमान जी पर कभी किसी देव दानवी शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ा.
 
mangalwar puja vidhi

मंगलवार के उपाय: वैसे तो श्री राम भक्त हनुमान अपने भक्तों के बुलाने मात्र से दौड़े चले आते हैं, जो कोई सच्चे हृदय से भगवान को बुलाता है, प्रभु जरूर कृपा करते हैं. लोग अलग अलग तरीकों से भगवान की आराधना करते हैं. सभी अपनी मत अनुसार देवी देवताओं की आराधना करते हैं. कोई दान पुण्य करता है तो कोई इधर उधर के कर्मकांड. लेकिन प्रभु एक दम सरल हृदय वाले व्यक्ति पर जरूर प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा दृष्टि डालते हैं. वैसे तो भगवान के कितने ही रूप है और हर रूप का एक अलग ही महत्व और कथा है. प्रभु अलग अलग रूप मे प्राणियों के कष्ट को दूर करते हैं. हर रूप की एक अलग शक्ति कार्य करती है. उन्ही ईश्वरी महाशक्ति के एक स्वरूप है श्री रामभक्त हनुमान.

हनुमान जी को है इस चीज का वरदान

उनकी शक्ति के आगे कोई नकारात्मक शक्ति कहीं नहीं ठहरती है. हनुमान जी को ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था की कोई भी अस्त्र शस्त्र उनपर प्रभाव नहीं डाल सकता. इसलिए हनुमान जी पर कभी किसी देव दानवी शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ा. दूसरी बात वो भगवान शिव के अंश और राम भक्त भी है. श्री राम की शरण जिसे प्राप्त हो उसका कोई क्या बिगाड़ सका है, इसका प्रमाण पूरी रामायण है और ग्रन्थों मे भी इनका वर्णन है. किसी प्रकार की प्रेत बाधा, भूत, पिशाच, राक्षस, दानव आदि श्री हनुमान जी या उनके भक्तों को हानि नहीं पहुंचा पाते. अपने भक्त की रक्षा के लिए हनुमान जी उन सबके आगे आ जाते हैं और नकरातमक शक्तियों को मार भगाते हैं. यहाँ तक की शनि का प्रभाव भी हनुमान जी और उनके भक्तों को नहीं छूता.

मंगलवार की कथा: जब हनुमान जी ने दूर किए साहूकारनी के कष्ट और ब्राह्मणी को दिया बालक

हनुमान जी की पूजा से मिलता है ये लाभ

हनुमान जी बल, बुद्धि, विवेक, विज्ञान, भक्ति और शक्ति के दाता हैं. गीता मे भगवान ने कहा है जो मुझे जैसा भजता है उसे वैसे ही मैं मिलता हूँ, और प्रकृति का ये गुण है की जो जिसे जिस भाव मे पूजता है उसे वैसे ही इष्ट की प्राप्ति होती है. ऐसे मे श्री राम की भक्ति के सागर हनुमान जी की पूजा करने से भी हनुमान जी जैसी भक्ति भाव भी शरीर और मन मे हनुमत कृपा से आने लगता है. इसलिए श्री राम भक्ति सहज ही मन मे वास करने लगती है.

वैसे तो अलग अलग मत से व्यक्ति हनुमान जी की आराधना करते हैं. सभी अलग अलग तरीकों से हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए कर्मकांड रचते हैं. लेकिन शास्त्र, वेद, ग्रंथ आदि ने ये प्रमाणित किया है की भगवान केवल प्रेम से ही प्राप्त होते हैं, अन्य कोई साधन से प्रभु की प्राप्ति नहीं होती. इसलिए प्रेम भाव होना आवश्यक है, और प्रेम भाव तब आता है जब आप इष्ट के प्रति समर्पित हों. समर्पण के बिना इष्ट की प्राप्ति संभव नहीं.

आज हम आपके सामने एक सरल सा उपाय बताने जा रहे हैं जिससे हनुमान भक्तो को अवश्य करना चाहिए. इससे सहज ही हनुमान जी की दिव्य दृष्टि आप पर बनी रहेगी. इसके पाठ से ही भूत प्रेत, पिशाच, राक्षश, नकारात्मक शक्तियाँ हनुमान जी के तेज से काँप उठती हैं. बड़ी से बड़ी नकारात्मक शक्ति इसके सामने नहीं ठहरती.

आइए जानते हैं इस पूजा के बारे मे.

सबसे पहले आप प्रेम भाव से अपने घर मे पूजा स्थान पर, या कहीं भी जहां एकांत हों, लाल रंग का या भगवा रंग का ऊनी आसान बिछाकर सहज ही बैठ जाएँ.

उसके बाद पवित्र जल लेकर या साधारण जल लेकर अपने पास रखें और एक थाली मे प्रसाद (चूरमा या जो भी आप श्रद्धा से अर्पण करना चाहें), एक दीया, धूप, जाप माला, रियाल पर लाल रंग के कपड़े मे लपेटकर प्रेम भाव से रामायण रख लें.

अब अगर आप सुबह पूजा करते हैं तो पूर्व की और और साँय काल उत्तर दिशा की और मुंह करके बैठ जाये.

सबसे पहले श्री गुरुदेव को प्रणाम करें, और उसके बाद भगवान गणेश, माँ दुर्गा, भगवान शिव, भगवान विष्णु को प्रणाम करें.

अब सर्वप्रथम थाल मे दीया प्रज्वलित करें, उसके बाद धूप जलाए. दीया शुद्ध घी का और धूप बिना किसी केमिकल की होनी चाहिए. हो सके तो लोबान या चन्दन की प्रयोग करें.

अब दायें हाथ मे जल लेकर " ॐ हनुमते नमः" ऐसा बोलकर जल के छींटे दें.

थाली मे प्रसाद, दीया, धूप, फूल आदि रखकर रामायण को प्रणाम करें और प्रेम भाव से आदर पूर्वक रामायण खोलकर उसमे प्रभु चरित्रों का पाठ करें (11 चौपाइयों का), इसका प्रमाण- हनुमान चालीसा मे आता है, (प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया), मतलब जहां प्रभु चरितों का पाठ होता है वहाँ प्रभु हनुमान जरूर सुनते हैं.

अब पाठ करने के उपरांत माता सीता प्रभु राम, श्री हनुमान को प्रणाम करें और रामायण को पुनः आदर पूर्वक लाल कपड़े मे लपेटकर रियल पर स्थापित रहने दें.

अब जाप माला लेकर इस मंत्र का जाप करें और हनुमान जी के इस मंत्र का 108 बार जाप करें. मंत्र को एक ध्यान की भांति मन चित बुद्धि मे एकाग्र करके स्वयं को हनुमान जी मे स्थित मानकर की (इष्ट मुझमे है और मैं इष्ट मे हूँ) दोनों को एक मानकर इस मंत्र को ध्यान पूर्वक शांत मन से जाप करें.

श्री मंत्र

"ॐ हंग ऐंग हरींग हंग हनुमते नमः" इस महाशक्तिशाली बीजाक्षर मंत्र का जाप करें और श्री राम नाम का यथासंभव जाप करें या हनुमान चालीसा का जाप कर सकते हैं. उसके बाद अपनी समस्या अपने मन मे हनुमान जी का ध्यान लगाकर उनके समक्ष रखें और उनसे समस्या के निवारण के लिए प्रार्थना करें और उनकी कृपा दृष्टि मांगे.

उसके बाद आप भक्ति भाव से रामायण को दीप और धूप अर्पित करें और हनुमान जी की आरती करें. प्रसाद अर्पण करें. प्रसाद का अनादर न हो. अब रामायण को आदर पूर्वक मंदिर मे स्थापित करें और धूप और दीप को सारे घर मे ले कर जाएँ और बाद मे पुनः मंदिर मे रख दें. आसन को आदरपूर्वक उचित स्थान पर रखें. ऐसा आप प्रतिदिन और विशेष मंगलवार को कर सकते हैं.

प्रसाद सबको बांटे और खुद भी ग्रहण करें.

(Disclaimer- यहाँ दी गयी जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है, Haryana Update इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

 

 

click here to join our whatsapp group