NPS Scheme : कर्मचारियों को OPS की नहीं पड़ी जरूरत, बजट 2024 में NPS में होंगे ये बड़े बदलाव
OPS Vs NPS : पेंशन स्कीम को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में स्टेटस रिपोर्ट पेश कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप, नई पेंशन नियमों में कुछ बदलाव करके पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू नहीं किया जा सकता है।
Haryana Update : वास्तव में, वित्त मंत्री ने पिछले वर्ष एनपीएस की समीक्षा करने का ऐलान किया था, जिसके लिए अप्रैल में मोदी सरकार ने वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अगुवाई में एक कमेटी बनाई थी।इसमें एनपीएस (NPS) और सरकारी कर्मचारियों के अलावा विभिन्न स्टेकहोल्डर्स पर चर्चा की गई है।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कमेटी जनवरी के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है। कमिटी की बैठकों में एनपीएस नियमों में कुछ बदलाव और न्यूनतम पेंशन देने पर चर्चा हुई है, लेकिन यह पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने के पक्ष में नहीं है।
यह भी खबर है कि ओल्ड पेंशन स्कीम की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार कर्मचारियों को रिटायरमेंट से पहले आखिरी सैलेरी का 40 से 45 प्रतिशत राशि के तौर पर न्यूनतम पेंशन देने का निर्णय ले सकती है. इससे मौजूदा मार्केट लिंक्ड पेंशन स्कीम में बदलाव भी हो सकता है।यह खबर पिछले दिनों सामने आई थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इसे खारिज कर दिया।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नई टैक्स व्यवस्था में NPS में निवेश पर छूट की मांग करने से पहले केंद्र सरकार कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने से पहले लोगों से सुझाव ले सकती है। इसके अलावा, पेंशन फंड रेगुलेटर (PFRDA) ने बजट के लिए वित्त मंत्रालय से इसकी सिफारिश की है कि नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश पर छूट देने वाला एक नया टैक्स कानून बनाया जाए।PFRDA ने नेशनल पेंशन स्कीम और PF में सैलरी में कटौती की सीमा का परीक्षण करने का अनुरोध किया है।
प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी वर्तमान में EPF में मूल वेतन का 12% तक और नेशनल पेंशन स्कीम में 10% तक कांट्रीब्यूट करते हैं। PFRDA ने नेशनल पेंशन स्कीम और EPF में वेतन में कटौती की सीमा को भी रीव्यू करने की मांग की है; इसके अलावा, इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत 1.5 लाख और 80CCC(1B) के तहत 50 हजार पर अतिरिक्त छूट का प्रावधान है।
इसलिए ओपीएस की मांग बढ़ी है. दरअसल, एनपीएस 1 जनवरी 2004 से सभी केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लागू हो गया था। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने कहा कि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने अपने कर्मचारियों के लिए NPS लागू किया है। इसके तहत सरकार कर्मचारियों को 10% बेसिक सैलेरी योगदान और 14% योगदान देती है. लेकिन राजस्थान, झारखंड, पंजाब, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने 2023 में पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया, जिसके बाद से देश भर में OPS की बहाली की मांग उठने लगी है।
कर्मचारी संगठन भी धरने और प्रदर्शनों से अपना विरोध व्यक्त कर चुके हैं।सरकारी कर्मचारियों को हुई OPD के तहत उनकी अंतिम सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलता है।AIADEF (अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा कि मोदी सरकार एनपीएस नियमों में बदलाव करने के लिए तैयार है क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले "पुरानी पेंशन" लागू नहीं होगी।
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OPS और NPS में क्या अंतर है? OPS में सरकारी कर्मचारी के रिटायर होने के बाद आखिरी मूल वेतन और महंगाई भत्ते की आधी रकम बतौर पेंशन ताउम्र सरकारी राजकोष से दी जाती है। OPS में हर साल दो बार महंगाई भत्ता बढ़ाया जाता है और पेंशन पाने वाले सरकारी कर्मचारी की मौत पर उनके परिवार को भी पेंशन मिलता है।
NPS एक कंट्रीब्यूटरी स्कीम है, जिसमें कर्मचारियों को दस प्रतिशत वेतन देना होता है। सरकार कर्मचारी के NPS खाते में 14% देती है।सरकारी कर्मचारियों को नवीन पेंशन योजना के तहत मूल वेतन का 10 प्रतिशत देना होगा, जबकि राज्य सरकार केवल 14 प्रतिशत देती है।
OPS में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद २० लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी मिलती है। OPS कर्मचारियों को छह महीने के बाद महंगाई भत्ता (DA) मिलता है।रिटायर कर्मचारी भी पेंशन कमीशन के लागू होने पर पेंशन में बदलाव का लाभ उठाते हैं।
NPS में रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी नहीं है।न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में छह महीने से अधिक समय के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू नहीं होता। सेवानिवृत्ति पर पेंशन पाने के लिए NPFS फंड का ४० प्रतिशत निवेश करना होगा। सेवानिवृत्ति के बाद कोई गारंटी नहीं है।
NPS शेयर बाजार पर आधारित है। इसमें महंगाई भत्ता नहीं है।NPS में सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कुल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के तौर पर मिलेगा।
नई पेंशन योजना में, OPS के विपरीत, आपको रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के अनुसार जो भी पैसा मिलेगा, उस पर टैक्स देना होगा।OPS कर्मचारी के रिटायरमेंट पर उसे GPF के ब्याज पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता।