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Property News : कैसे होता है जम़ीन का रजिस्ट्रेशन, जानें इस प्रकार

जमीन खरीदना या बेचना आम है। या फिर जमीन खरीददारी या बिक्री से संबंधित बातचीत करते तो सुना ही होगा। व्यक्ति अपने जीवन में जमीन को बहुत महत्व देता है। इतना ही नहीं, लोग इसके लिए अपनी पूरी कमाई दाव पर लगा देते हैं। तब जमीन खरीदकर जीवन का सबसे महंगा सौदा किया जाता है। लोग बैंक-बैंलेस, सोना-चांदी, व्यापारिक लाभ और संपत्ति को अपनी जमा पूंजी में शामिल करते हैं। ज्यादातर इस संपत्ति में जमीन को तरजीह देते हैं।
 
जम़ीन का रजिस्ट्रेशन
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Haryana Update :- यह जमीन अंततः कैसे खरीदी गई? जमीन का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? रजिस्ट्री क्या है?

जमीन खरीदने वालों को रजिस्ट्री करानी होगी। बैनामा रजिस्टर्ड करने पर राजस्व प्रक्रिया पूरी होती है। भूमि के विक्रेता और खरीददार को पहले बैनामा बनाना होगा। इसके बाद, इस बैनामा के आधार पर ऑनलाइन पंजीकृत होना चाहिए। रजिस्ट्री की जानी वाली जमीन के सभी दस्तावेज, साथ ही विक्रेता और खरीददार के फोटो भी ऑनलाइन सबमिट कर देते हैं। ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद आपको रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा। रजिस्ट्री ऑफिस में सेल डीड को इस रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ जाना होगा। जहां सभी रजिस्ट्रार जांच और अन्य प्रक्रियाओं के बाद बैनामा को रजिस्टर्ड कर देते हैं वैसे तो मुहर आदि लगाकर उसी दिन मूल बैनामा वापस कर दिया जाता है। लेकिन अगले दिन बैनामा खरीददारी को भी यह दिया जा सकता है।

रजिस्ट्री क्या है?


रजिस्ट्री एक संपत्ति खरीदने पर विक्रेता से क्रेता को संपत्ति का अधिकार देना है। रजिस्ट्री का अर्थ है कि मूल दस्तावेजों में विक्रेता मालिक का नाम हटाकर क्रेता मालिक का नाम दर्ज किया जाए। भारत में रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया है। इसके आधार पर भूमि खरीद-फरोख्त होती है।

जमीन ट्रांसफर हो सकता है किसी भी विलेख से

बैनामा—विक्रय करार तहसील में जमीन खरीदने और बेचने के लिए क्रेता और विक्रेता मिलकर सेल डीड बनाते हैं। यह दोनों पक्षों (विक्रेता-क्रेता) द्वारा किए गए समझौते का कानूनी अभिलेख है। जो संपत्ति का सौदा बताता है। इसमें क्रेता-विक्रेता की पूरी जानकारी, संबंधित जमीन, नक्शा, सबूत और स्टांप शामिल हैं। इस डीड में समझौते की उन शर्तों शामिल हैं। जिन पर बिक्री की गई है। इसके द्वारा विक्रेता क्रेता को भूमि का अंतिम अधिकार देता है।
दानपत्र— दानपत्र में जमीन मालिक किसी को मालिकाना हक देता है। भूमि को दानपत्र के माध्यम से भी दे सकते हैं।
वसीयत: लोगों को किसी जमीन की वसीयत करने के लिए स्टांफ खरीदने की जरूरत नहीं है। 100 रुपये के स्टांप पर लोग वसीयत लिखते हैं। लेकिन कानून इसकी जरूरत नहीं है।


पॉवर ऑफ अटार्नी— पॉवर ऑफ अटॉर्नी संपत्ति हस्तांतरण का चौथा विवरण है। 100 रुपये के स्टांप पर यह दस्तावेज बनाया जाता है। आदमी अपनी शक्ति को किसी दूसरे आदमी को नहीं देता।
काफी लाभदायक साबित होता है एक समझौता

इकरारनामा भी कानून में बैनामा कराने से पहले आवश्यक है। लोग इसका उपयोग करके कई परेशानियों से बचते हैं। लोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद साबित होता है। विक्रेता और क्रेता जमीन बिक्री के लिए एक एग्रीमेंट बनाते हैं। जिस सौदे में विक्रेता और क्रेता सहमत होते हैं इसमें उसका विवरण खोला जाता है। जो क्रेता को जमीन खरीदने और विक्रेता को जमीन बेचने के लिए बनाया गया है। इस एग्रीमेंट में जमीन की मार्केट वैल्यू का 2.5 प्रतिशत स्टांफ ड्यूटी देनी होगी। बैनामा के समय एग्रीमेंट में खरीदे गए स्टांपों की कीमत कम है। इसका अर्थ है कि जमीन के स्टांप खरीद में कृषि के 2.5 प्रतिशत वाले स्टांप भी शामिल हैं।

यह रजिस्ट्री का कार्य है।

पहले संपत्ति या जमीन की बाजार मूल्य की जांच की जाती है। इसके बाद स्टाम्प पेपर खरीदना होगा। रजिस्ट्री से पहले, इन स्टांप पेपर पर ही बैनामा लिखना चाहिए। स्टांप ड्यूटी जमीन मालिक के लिए मालिकाना सबूत है। बैनामा में वर्तमान मालिक और खरीदने वाले व्यक्ति की सभी जानकारी दर्ज की जाती है। इसके बाद नामांकन कराया जाता है। रजिस्ट्री नंबर रजिस्ट्रार कार्यालय में की जाती है। रजिस्ट्री को दो गवाह की भी आवश्यकता होती है। जिनके फोटो, आईडी कार्ड और हस्ताक्षर बैनामा में हैं दोनों पार्टियों की पहचान संबंधी कागजात के साथ-साथ जमीन से जुड़े आवश्यक दस्तावेज भी दिये जाते हैं। हस्ताक्षर करने के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय से एक पर्ची मिलती है। जो बहुत महत्वपूर्ण है। इस पर्ची को हर समय संभालकर रखना चाहिए। हस्ताक्षर मिलने का अर्थ है कि रजिस्ट्री पूरी हो गई है। खरीददार अब संबंधित जमीन का मालिक बन जाएगा।