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जेपी मॉर्गन ने खरीदा अमेरिका का फर्स्ट रिपब्लिक बैंक,अब खुलेंगी 8 राज्यों की 84 ब्रांच, ग्राहकों के पैसे रहेंगे सुरक्षित

First republic bank: अमेरिका के सबसे बड़े बैंक जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी ने संकटग्रस्त फर्स्ट रिपब्लिक बैंक का कर लिया है अधिग्रहण । बैंक को बचाने के सभी प्रयासों के विफल होने के बाद किया गया ऐसा।
 
जेपी मॉर्गन ने खरीदा अमेरिका का फर्स्ट रिपब्लिक बैंक,अब खुलेंगी 8 राज्यों की 84 ब्रांच, ग्राहकों के पैसे रहेंगे सुरक्षित 

First republic bank: अमेरिका के सबसे बड़े बैंक जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी ने संकटग्रस्त फर्स्ट रिपब्लिक बैंक का अधिग्रहण कर लिया है। बैंक को बचाने के सभी प्रयासों के विफल होने के बाद ऐसा किया गया है। संकट में फंसने के बाद बैंक को रेगुलेटर्स ने अपने कब्जे में ले लिया था।

8 राज्यों में फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के 84 ऑफिस जेपी मॉर्गन चेस बैंक की ब्रांच के रूप में फिर से खुलेंगे। फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के डिपॉजिटर जेपी मॉर्गन चेस बैंक के डिपॉजिटर बन जाएंगे।(First republic bank) अपने अकाउंट को एक्सेस कर पाएंगे। यानी ग्राहकों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है।

अमेरिकी रेगुलेटर का अनुमान है कि उसके इंश्योरेंस फंड को फर्स्ट रिपब्लिक के नुकसान को कवर करने के लिए करीब 13 अरब डॉलर का भुगतान करना होगा। जेपी मॉर्गन और फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कार्पोरेशन सिंगल फैमिली और कॉमर्शियल लोन्स के लॉसेज के साथ-साथ रिकवरी को भी शेयर करेंगे। (First republic bank)जेपी मॉर्गन फर्स्ट रिपब्लिक के सभी एसेट का अधिग्रहण करेगा।

फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के 229.1 बिलियन डॉलर के एसेट
13 अप्रैल 2023 तक फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के कुल एसेट लगभग 229.1 बिलियन डॉलर और कुल जमा राशि 103.9 बिलियन डॉलर थी।(First republic bank) जेपी मॉर्गन के अलावा फर्स्ट बैंक के अधिग्रहण के लिए बिड लगाने वालों में सिटीजन फाइनेंशियल ग्रुप, PNC फाइनेंशियल सर्विसेज ग्रुप, यूएस बैंककॉर्प और बैंक ऑफ अमेरिका भी शामिल थे।

फर्स्ट रिपब्लिक के शेयर 97% से ज्यादा टूटे
1985 में बना फर्स्ट रिपब्लिक बैंक अमेरिका का 14वां सबसे बड़ा बैंक था।(First republic bank) इस साल मार्च से फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के शेयर 97% से ज्यादा टूट चुके हैं। मार्च में शेयर का भाव 122 डॉलर के करीब था। अभी ये गिरकर 3.51 डॉलर पर आ गया गया है।

अमेरिका के 11 बड़े बैंक फर्स्ट रिपब्लिक को बचाने आए थे
फर्स्ट रिपब्लिक को डूबने से बचाने के लिए 16 मार्च को अमेरिका के 11 बड़े बैंक आगे आए थे। इन बैंकों ने फर्स्ट रिपब्लिक में 30 बिलियन डॉलर (करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए) का निवेश का कमिटमेंट किया था ताकि डिपॉजिटर्स को पैसे निकालने में दिक्कत न हो।

जेपी मॉर्गन, बैंक ऑफ अमेरिका, सिटीग्रुप और वेल्स फार्गो ने 5-5 बिलियन डॉलर की फंडिंग का वादा किया था। (First republic bank)वहीं, गोल्डमैन सैच और मॉर्गन स्टैनले 2.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया था। बाकी के बैंक भी छोटी-मोटी पूंजी लगाई थी। पूंजी डालने वाले अमेरिकी बैंकों ने कहा था, 'ये कदम फर्स्ट रिपब्लिक और सभी साइज के बैंकों में उनके भरोसे को दर्शाता है।'

क्यो डूबा फर्स्ट रिपब्लिक बैंक?
सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर की तरह फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के डूबने का कारण लोन और इन्वेस्टमेंट का बोझ हैं।(First republic bank) फेडरल रिजर्व ने महंगाई से लड़ने के लिए ब्याज दरों में तेजी से बढ़ोतरी की है। इसका सीधा असर अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर पर पड़ा है।

पिछले सोमवार को फर्स्ट रिपब्लिक ने बताया था कि ग्राहकों ने साल के पहले तीन महीनों में 102 बिलियन डॉलर निकाल लिए। 2022 के अंत में बैंक का डिपॉजिट 176 बिलियन डॉलर के करीब था। यानी आधे से ज्यादा डिपॉजिट निकाल लिया गया।

बैंक ने इस दौरान 92 बिलियन डॉलर उधार भी लिए थे। गुरुवार रात तक फर्स्ट रिपब्लिक और उसके सलाहकारों को पता चल गया था कि गवर्नमेंट टेकओवर के अलावा उसके पास कोई और ऑप्शन नहीं है। फर्स्ट रिपब्लिक के स्टार्ट-अप इंडस्ट्री के कई कस्टमर थे।

बैंक को कई बार खरीदा और बेचा गया
फर्स्ट रिपब्लिक बैंक को पिछले कुछ सालों में कई बार खरीदा और बेचा गया है। मेरिल लिंच एंड कंपनी ने 2007 में 1.8 बिलियन डॉलर में फर्स्ट रिपब्लिक का अधिग्रहण किया था। 2009 में मेरिल लिंच को खरीदने के बाद ओनरशिप बैंक ऑफ अमेरिका के पास आ गई थी।

2010 में 1.86 बिलियन डॉलर में जनरल अटलांटिक और कॉलोनी कैपिटल समेत अन्य इन्वेस्टमेंट फर्म्स ने इसे खरीद लिया और इसे पब्लिक कर दिया।

आर्थिक मंदी की चिंताएं बढ़ी
फर्स्ट रिपब्लिक के कोलेप्स से आर्थिक मंदी की चिंताएं बढ़ सकती हैं। इंडस्ट्री एक्सपर्ट और इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि सिलिकॉन वैली बैंक की विफलता के साथ शुरू हुई उथल-पुथल ने बैंकों और निवेशकों को ज्यादा सतर्क बना दिया है।(First republic bank) ये सतर्कता लोन लेना ज्यादा कठिन और महंगा बना सकती है। इससे बिजनेस एक्सपेंशन धीमा होगा और हायरिंग भी कम होगी।

भारतीय बैंकों पर अमेरिकी बैंकिंग संकट का असर नहीं
अमेरिका के बैंकिंग संकट का असर भारतीय बैंकों पर नहीं होगा। अमेरिकी इन्वेस्टमेंट कंपनी जेफरीज और फाइनेंशियल सर्विसेस फर्म मैक्वेरी ने कहा था कि स्थानीय डिपॉजिट पर निर्भरता, सरकारी बॉन्ड में निवेश और पर्याप्त नकदी के चलते भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं।(First republic bank)

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