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अगर इस तरह धन कमाओगे तो हमेशा दरिद्रता में रहोगे, जानें आचार्य चाणक्य की अमूल्य शिक्षा !

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उन्होंने चाणक्य नीति के माध्यम से अनगिनत युवाओं का मार्गदर्शन किया था। जानिए आचार्य चाणक्य के विचार...
 
अगर इस तरह धन कमाओगे तो हमेशा दरिद्रता में रहोगे, जानें आचार्य चाणक्य की अमूल्य शिक्षा !

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उन्होंने चाणक्य नीति के माध्यम से अनगिनत युवाओं का मार्गदर्शन किया था। राजनीति, कूटनीति व युद्धनीति में निपुण आचार्य चाणक्य ने न केवल इन सभी विषयों पर नीतियों का निर्माण किया था।

Success tips! आचार्य चाणक्य से जानिये किस तरह संघर्ष को कम कर सफलता पायें !

अपितु जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भी उनका ज्ञान सराहनीय था। ऐसा माना भी गया है कि जो व्यक्ति आचार्य की नीतियों को पढ़ लेता है और उन्हें अपने जीवन में पालन करता है उन्हें कभी भी पराजय का सामना नहीं करना पड़ता है। वह सदा सफलता की सीढ़ी चढ़ते रहते हैं।


आचार्य चाणक्य ने धन के संबंध में भी कई नीतियों का निर्माण किया था। (Chanakya Niti)इन नीतियों को समझने के बाद व्यक्ति किसी भी प्रकार के असफलता का सामना नहीं करता है। चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं की माता लक्ष्मी को किस तरह रखा जाता है प्रसन्न और किस तरह का धन हो जाता है जल्दी नष्ट।

जो जैसा बीज बोता है उसे वैसा ही फल पाता है

आत्मापराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम् ।

दारिद्रयरोग दुःखानि बन्धनव्यसनानि च ।।

आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से एक महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया है कि निर्धनता, रोग, दुख, बंधन और बुरी आदतें यह सभी मनुष्य के कर्मों का ही फल होती हैं। जो जैसा बीज बोता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। इसलिए व्यक्ति को सदैव अच्छे ही कर्म करने चाहिए।(Chanakya Niti) आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि व्यक्ति को हमेशा दान-धर्म करना चाहिए और किसी व्यक्ति को दुख अथवा झूठ बोलने जैसी बुरी आदतों से बचना चाहिए। यह सभी कर्म व्यक्ति के भविष्य को निर्धारित करते हैं।

इस तरह का धन हो जाता है नष्ट

अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति |

प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तद् विनश्यति ।।

चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि लक्ष्मी प्रवृत्ति में चंचल होती हैं। लेकिन इस पर भी व्यक्ति अगर चोरी, जुआ, अन्याय और धोखा देकर धन कमाता है तो वह धन भी शीघ्र नष्ट हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को कभी भी अन्याय या झूठ बोलकर धन अर्जित नहीं करना चाहिए। ऐसे धन को पाप की श्रेणी में रखा जाता है।(Chanakya Niti) यह धन कुछ दिनों तक आपके लोभ को कम तो कर सकता है लेकिन उससे अधिक आपके लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है। इसलिए इस प्रकार के धन को अर्जित करने से बचना चाहिए।

कोई नहीं होता है धनहीन 
 

धनहीनो न च हीनश्च धनिक स सुनिश्चयः ।

विद्या रत्नेन हीनो यः स हीनः सर्ववस्तुषु ।।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि व्यक्ति को कभी भी धनहीन नहीं समझना चाहिए बल्कि उसे सबसे धनी ही समझना चाहिए। (Chanakya Niti)जो व्यक्ति विद्या के रत्न से हीन होता है वस्तुतः वही सभी प्रकार के सुख-सुविधाओं से हीन हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को सदैव विद्या अर्जित करने से दूर नहीं हटना चाहिए। बल्कि आयु के साथ-साथ विद्या का दायरा भी बढ़ाना चाहिए। इससे वह व्यक्ति न केवल समाज में सम्मान प्राप्त करता है, बल्कि उसके पास धन की कमी भी नहीं होती है।

बुरे वक्त में आप भी अपनाएं आचार्य चाणक्य की यह निति, जरूर मिलेगी कामयाबी !

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