इमोशनल रूप से कमजोर व्यक्ति अपने कंफर्ट जोन से बाहर नहीं निकल पाते हैं। यही कारण है कि वे अपने अपने पर्सनल ग्रोथ पर ध्यान नहीं देतें ।
ऐसे लोगों अपनी हर पात के लिए दुसरों की राय लेते है। असफलता की सबसे बड़ी पहचान है दूसरों पर निर्भर रहना। अगर आप सफल होना चाहते हैं, तो दूसरों के कहे अनुसार चलना छोड़ दें।
ऐसे लोगों के मन में केवल नकारात्मक विचार भरें होते हैं। वे कुछ भी शुरू करने से पहले उस कार्य के बारे में नेगेटिव सोचते हैं और उनका यह नकारात्मक विचार उनके ऊपर इतना हावी हो जाता है कि वे जीवन में भी अच्छा नहीं कर पाते।
ज्यादा कमजोर व्यक्तियों में यह देखा जाता है कि वे खुद से ज्यादा दूसरों पर विश्वास रखते हैं। वे अपने किसी भी फैसले को अकेले लेने में हिचकिचाते हैं और इसलिए वे दूसरों पर निर्भर रहते हैं।
छोटी-छोटी गलतियों पर दूसरों से माफी मांगने वाले लोगों अंदर से बेहद ही कमजोर होते हैं। ऐसे लोगों में आत्मविश्वास नहीं होता इसलिए वे हर बात पर चाहे वे उनकी गलती हो या नहीं फिर भी माफी मांगते हैं।
सफलता वहीं होता है जो अपनी पुरानी गलतियों पर पछताने की वजाय उनसे सीखते हैं। लेकिन एक कमजोर इंसान अपनी गलतियों से सीखने की बजाय दोबारा प्रयास करने से हिचकिचाते है।