ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु के अनुसार शहद को ऐसा तापमान मिलना चाहिए, जो कम से कम पीने लायक हो। वहीं शहद का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका कच्चा खाना है।
क्या आप सोच सकते हैं कि आयुर्वेद में सेहत का खजाना माना जाने वाला शहद कभी जहरीला भी हो सकता है। यकीन नहीं होता न, लेकिन ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु का बिल्कुल ऐसा ही कहना है।
शहद एक ऐसी औषधि है, जोकि एंटीऑक्सीडेंट- कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और मैंगनीज से भरपूर होता है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने से लेकर वजन कम करने तक शहद फायदेमंद है।
सुबह उठने के बाद ज्यादातर लोग एक गिलास नींबू पानी के साथ शहद का सेवन करते आ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे न केवल शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है बल्कि वजन भी घटता है।
सद्गुरु का कहना है कि अगर शहद को एक निश्चित टेम्प्रेचर पर पकाया जाता है, तो वह जहर बन सकता है । आयुर्वेद में शहद को पकाकर खाने पर स्लो पॉइजन बताया गया है।
सद्गुरु बताते हैं कि शहद खाने का सही तरीका है कि इसे हमेशा गुनगुने पानी के साथ लें। हल्के गुनगुने पानी में शहद को मिलाते हैं, तो ये सेहत के लिए लाभकारी होता है।
दरअसल, ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट शेयर की थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि कुछ तरीकों से शहद का इस्तेमाल जहरीला हो सकता है।
सद्गुरु ने बताया कि गर्म पानी के साथ कभी भी शहद का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उबलते पानी में शहद जहरीला हो जाता है। ऐसा करने से शहद के औषधि गुण खत्म हो जाते हैं।