जस्टिस कौल ने कहा कि आर्टिकल 356 में राष्ट्रपति को राज्य में बदलाव करने का अधिकार है। इस अधिकार से राष्ट्रपति कुछ भी कर सकते हैं। जस्टिस कौल ने कहा कि केंद्र सरकार ने खुद घोषणा की कि जम्मू-कश्मीर को जल्द ही राज्य का दर्जा मिलेगा।
जब जस्टिस संजय किशन कौल ने अपना निर्णय पढ़ते हुए प्रेमनाथ कौल के मामले का उल्लेख किया, तो उन्होंने कहा कि वह इस मामले में अपनी राय को थोड़ा अलग करते हैं। साथ ही, उनका निर्णय था कि आर्टकिल 370 अस्थायी था। उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान ही लागू होगा।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का भी आदेश दिया। लद्दाख केंद्रशासित राज्य होगा।
राष्ट्रपति का निर्णय, यानी एग्जेक्युटिव निर्णय, वैलिड करार है। यानी 370 को हटाने का निर्णय सही है—विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति 370 में फैसला कर सकते हैं, जिस पर कोर्ट का दखल नहीं हो सकता।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य दर्जा बरकरार रखा जाएगा। केंद्रीय सरकार ने इसकी घोषणा की है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश की तरह रहेगा। कोर्ट ने चुनाव आयोग को जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तैयारी करने का आदेश दिया।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्णय पढ़ते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का निर्णय सही था।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने आर्टिकल 370 की शक्तियों के 3 के तहत राष्ट्रपति का निर्णय सही ठहराया। कोर्ट ने निर्णय दिया कि केंद्र सरकार के निर्णय पर प्रश्न उठाना उचित नहीं है। राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने एक-एक टिप्पणी दी है।