Kashmir से पलायन,बंगाल हिंसा, शाहीन बाग, घरेलू मोर्चे पर कैसे सरकार की छवि को लग रहा है दाग?

Kashmir में हिंदुओं की हत्‍याओं के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इसने 1990 की याद ताजा कर दी है। कश्‍मीरी पंडित और गैर-मुस्लिम घाटी से पलायन करने पर मजबूर हैं। उन्‍हें चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है।

Kashmir में टार‍गेट किलिंग को लेकर सरकार पर हमलावर है पूरा विपक्ष

कश्मीर में हिंदुओं की टारगेट किलिंग ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ खुलकर बोलने का मौका दे दिया है। विपक्ष सरकार को घेरने में जुट गया है। हिंदुओं के मसलों पर आक्रामक रहने वाली पार्टी पर आरोप लगने लगे हैं।

Kashmir से हिंदुओं के पलायन की खबरें मनोबल तोड़ने वाली

कश्‍मीर से हिंदुओं के पलायन की खबरें मनोबल तोड़ने वाली हैं। बंगाल में चुनावों के बाद हिंसा का नाच पूरे देश ने देखा। दिल्‍ली दंगे, CAA और NRC के विरोध में शाहीन बाग को बंधक बनाकर राजधानी की रफ्तार रोक देने की घटनाएं किसी से छुपी नहीं हैं। इसने घरेलू मोर्चे पर सरकार की छवि पर बट्टा लगाने का काम किया है।

Kashmir: कड़े फैसले लेने का दम भरती रही है सरकार

मोदी सरकार कड़े फैसले लेने का दम भरती रही है। कश्‍मीर में आर्टिकल 370 हटाना, पाकिस्‍तान पर सर्जिकल स्‍ट्राइक, नोटबंदी, कोरोना के दौरान देशबंदी जैसे कदम उसकी बानगी हैं। हालांकि, कश्‍मीर में टारगेट किलिंग रोकने, बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा पर अंकुश लगाने और शाहीन बाग जैसी घटनाओं पर उसके तेवर वैसे नहीं दिखे जिसके लिए वह जानी जाती है। इन घटनाओं ने सरकार की सख्‍त और आक्रामक वाली इमेज पर बट्टा लगाया है।