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क्या आप जानते है की केवल रजिस्ट्री करने से ही आप संपत्ति का मालिक नहीं बन सकते।

सिर्फ रजिस्ट्री करके आप संपत्ति के मालिक नहीं बन सकते। इसके लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होती है और दस्तावेजों की सही जांच भी जरूरी है। बिना सही प्रक्रिया के सिर्फ रजिस्ट्री करना मालिक बनने का पर्याप्त सबूत नहीं होता। इसलिए सावधान रहें और पूरी जानकारी लें।

 
क्या आप जानते है की केवल रजिस्ट्री करने से ही आप संपत्ति का मालिक नहीं बन सकते।
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(Haryana update)Property Registry Update:अगर आप कोई प्रोपर्टी खरीदते हैं, तो केवल रजीस्ट्री करने से आप उसके हकदार नहीं बन जाते, ये कागजात बनात जायदाद का असली हकदार

किसी भी प्रकार की संपत्ति खरीदते समय आम तौर पर सावधान रहने की सलाह दी जाती है। भारत में संपत्ति खरीदने पर रजिस्ट्री कराना अनिवार्य है, लेकिन रजिस्ट्री करवाने से संपत्ति आपकी नहीं रहती।

आपको यह अच्छी तरह समझना चाहिए कि रजिस् ट्री कराने से आप पूरी तरह से मालिक नहीं बन जाते। न ही आप उस संपत्ति का पूरा अधिकार पाते हैं।
रजिस्ट्री केवल ऑनरशिप देने का दस्तावेज है, स्वामित्व नहीं। अब आपको मालिक बनने के लिए क्या चाहिए जानना बहुत महत्वपूर्ण है। तो चलिए आपको बताते हैं कि संपत्ति पर पूरा नियंत्रण कैसे प्राप्त करें।

भारत में संपत्ति खरीदने पर आपको भारतीय पंजीकरण अधिनियम का पालन करना होगा। इस अधिनियम के तहत ₹ 100 से अधिक की संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर स्थानांतरित करने पर लिखित कार्रवाई की जाती है।

हर कोई जानता है कि किसी भी तरह की दुकान, जमीन, घर या प्लॉट खरीदने पर उसकी रजिस्ट्री करनी पड़ती है, लेकिन अब आप उस सामान के मालिक के रूप में नहीं उभर पाते हैं।

आइये जानिये पूरी प्रक्रिया के बारे में 

हमारे देश में अधिकांश लोगों को लगता है कि पंजीकृत करने से संपत्ति का अधिकार पाया जा सकता है। हम अक्सर ऐसी खबरें सुनते हैं कि किसी ने अपना सामान बेच दिया लेकिन एक बड़ा कर्ज ले लिया है, या  फिर अगर आपके द्वारा बेचा गया सामान दो अलग-अलग लोगों द्वारा खरीदा जाता है,  तो आपकी समस्या और भी बढ़ जाती है और आपको लाखों और करोड़ों का नुकसान भी हो सकता है।

दाखिल-खारिज करवाएं

जिन लोगों को दाखिल-खारिज शब्द नया लगता है, उन्हें बता दें कि संपत्ति को आम बोलचाल में भी दाखिल-खारिज कहते हैं। यदि आप किसी संपत्ति को अपने नाम करते हैं, तो याद रखें कि दाखिल खारिज करना भी आवश्यक है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्वामित्व देने के बाद दाखिल-खारिज होता है, जबकि रजिस्ट्री सिर्फ ओनरशिप ट्रांसफर करती है।

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