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UP News: यूपी में नई रेल लाइन का आगाज, 7 गांवों की ज़मीन अधिग्रहित, 25 गांवों में दौड़ेगी ट्रेन!

UP News: उत्तर प्रदेश में एक नई रेल लाइन परियोजना की शुरुआत हो गई है, जिससे 25 गांवों को सीधा रेल कनेक्शन मिलेगा। इस परियोजना के तहत 7 गांवों की ज़मीन अधिग्रहित की गई है, ताकि रेल लाइन का निर्माण तेजी से हो सके। सरकार का लक्ष्य है कि इस नए रेल मार्ग से ग्रामीण क्षेत्रों को बेहतर परिवहन सुविधा मिले और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
 
UP News: यूपी में नई रेल लाइन का आगाज, 7 गांवों की ज़मीन अधिग्रहित, 25 गांवों में दौड़ेगी ट्रेन!
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Haryana update लखनऊ: यूपी-बिहार बॉर्डर के कस्बों और गांवों के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी! जल्द ही एक नई रेल लाइन बनने जा रही है, जिससे लोगों को बेहतर रेल कनेक्टिविटी मिलेगी। अब लंबी दूरी तय करने की झंझट खत्म होगी, सीधा ट्रेन पकड़िए और अपने गंतव्य तक तेजी से पहुंचिए।

इस नई रेल परियोजना से न केवल यात्रियों को फायदा होगा, बल्कि माल ढुलाई (Goods Transport) की स्पीड भी बढ़ेगी, जिससे व्यापार को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा। सबसे खास बात यह है कि रेल यात्रा अब और सस्ती और सुविधाजनक होने वाली है।

सात गांवों की जमीन होगी अधिग्रहण

अब आप सोच रहे होंगे कि ये रेल लाइन कहां से कहां तक जाएगी और इस पर काम कब शुरू होगा? तो जरा ध्यान दीजिए! दरअसल, 2006 में गोरखपुर-नरकटियागंज रेलवे खंड में पनियहवा रेलवे स्टेशन से छितौनी होते हुए तमकुहीरोड स्टेशन तक रेलवे लाइन का काम शुरू हुआ था। लेकिन बीच में यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था। अब 2025 के रेल बजट में इसे फिर से पूरी रफ्तार देने की तैयारी है।

रेलवे ने इस परियोजना के लिए सात गांवों की 44.46 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है। यानी सरकार ने साफ कर दिया है कि अब यह प्रोजेक्ट रुकने वाला नहीं है। जिन लोगों की जमीन इस प्रोजेक्ट में आएगी, उन्हें मुआवजा मिलने का इंतजार रहेगा।

25 गांवों से होकर गुजरेगी रेल लाइन

यह नई रेलवे लाइन सिर्फ एक-दो गांवों को नहीं, बल्कि पूरे 25 गांवों को जोड़ेगी। इसमें 12 गांव यूपी के कुशीनगर जिले में हैं, जबकि 13 गांव बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में हैं। इस पूरी परियोजना के लिए 316 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिसमें से बिहार की तरफ की ज्यादातर जमीन पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है।

2012 में पनियहवा से छितौनी तक रेल लाइन बिछ चुकी थी, लेकिन इसके आगे का काम रुका हुआ था। अब सरकार इसे जल्द से जल्द पूरा करने की तैयारी में जुट गई है। पिछले रेल बजट में इस प्रोजेक्ट के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन आगे की कार्रवाई ठप हो गई थी। अब सरकार ने इसमें फिर से तेजी लाने का फैसला कर लिया है।

बिहार वालों की भी निकल पड़ी!

इस रेल परियोजना का सबसे ज्यादा फायदा बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले को होने वाला है। यहां के 13 गांवों में से 8 गांवों की 82.80 हेक्टेयर जमीन पहले ही अधिग्रहित हो चुकी है। अब यूपी के 12 गांवों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस बार 7 गांवों की 44.46 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण के लिए बजट पास हो चुका है, जिससे जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।

बॉर्डर के गांवों में अब रेल वाली फीलिंग!

इस रेलवे लाइन के बनने के बाद बॉर्डर के गांवों के लोगों को कहीं भी जाने के लिए अब टेंपो-टैक्सी की झंझट नहीं रहेगी। सीधा रेलवे स्टेशन पहुंचिए, ट्रेन पकड़िए और आराम से सफर का मजा लीजिए। इससे गांवों के लोगों को बड़े शहरों तक पहुंचने में आसानी होगी, जिससे रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

व्यापारियों और किसानों को जबरदस्त फायदा

इस रेलवे लाइन का सबसे बड़ा फायदा व्यापारियों को होने वाला है। माल ढुलाई (Cargo Transport) की स्पीड बढ़ेगी, ट्रांसपोर्ट का खर्च कम होगा और सामान जल्दी पहुंचने से मुनाफा भी तगड़ा होगा।

किसानों के लिए भी यह किसी वरदान से कम नहीं होगा। अनाज, फल, सब्जियां और दूसरे कृषि उत्पाद अब तेजी से मंडियों तक पहुंचेंगे, जिससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलेगा। इससे न सिर्फ उनके मुनाफे में बढ़ोतरी होगी, बल्कि उनकी जीवनशैली में भी सुधार आएगा।

यूपी-बिहार बॉर्डर के लोगों के लिए यह रेल परियोजना किसी सौगात से कम नहीं है। इससे यातायात में तेजी आएगी, यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और व्यापार व कृषि क्षेत्र को जबरदस्त फायदा होगा। सरकार ने इस प्रोजेक्ट को फिर से पटरी पर लाने का फैसला कर लिया है, जिससे जल्द ही इस रेल लाइन पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो सकेगी। अब बस इंतजार है उस दिन का जब बॉर्डर के गांवों के लोग रेल यात्रा का पूरा आनंद उठा सकेंगे!