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UP Board Exam 2025: नकल करने वालों पर नहीं होगी FIR! सरकार ने बदले नियम

UP Board Exam 2025: UP Board Exam 2025 को लेकर बड़ा अपडेट, नकल करने वालों पर अब नहीं होगी FIR। सरकार ने परीक्षा नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे छात्रों को राहत मिलेगी। नए नियमों के तहत अब कड़ी कार्रवाई की बजाय अलग तरह की सजा दी जाएगी। जानें क्या हैं ये नए नियम, किस तरह बदला गया परीक्षा का सिस्टम और छात्रों को क्या मिलेगा फायदा। नीचे जानें पूरी डिटेल।
 
UP Board Exam 2025: नकल करने वालों पर नहीं होगी FIR! सरकार ने बदले नियम​​​​​​​
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Haryana update, UP Board Exam 2025: उत्तर प्रदेश में बोर्ड परीक्षा सोमवार से शुरू हो गई है और प्रशासन इस वर्ष नकलबाजी पर कड़ी पकड़ बनाने के लिए तत्पर है। परीक्षा के पहले ही दिन प्रशासनिक कदमों के संकेत देखने को मिले हैं। पहली ही कक्षा में हिंदी की परीक्षा के दौरान लगभग ढाई लाख से अधिक परीक्षार्थियों ने अपना पेपर न दिया, वहीं 14 ऐसे छात्र पकड़े गए जिन्हें नकल करते हुए देखा गया।

इस वर्ष यूपी बोर्ड परीक्षा में नकलबाजी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि जो भी परीक्षार्थी नकल करते पकड़े जाएंगे, उन पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। इसके बजाय, उन छात्रों के खिलाफ दूसरे तरीकों से कार्रवाई की जाएगी ताकि उनकी परीक्षा की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े और उनके भविष्य को नुकसान न हो। इस कदम का उद्देश्य बोर्ड परीक्षाओं को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है।

नकल के खिलाफ कड़े कदम

बोर्ड परीक्षाओं को नकलविहीन बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम 2024 को 15 जुलाई 2024 से लागू किया है। इस अधिनियम के अंतर्गत उन सभी अनुचित साधनों पर रोक लगाई गई है जो परीक्षा की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, इस अधिनियम के प्रावधान सीधे तौर पर बोर्ड परीक्षार्थियों पर लागू नहीं होंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों को आपराधिक श्रेणी में नहीं डाला जाए और उनके भविष्य पर विपरीत प्रभाव न पड़े। प्रशासन ने यह भी बताया कि छात्र-छात्राओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिससे वे भविष्य में नकलबाजी से दूर रहें और सही तरीके से अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकें।

भेजा गया स्पष्टीकरण

बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने इस संदर्भ में सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों को एक स्पष्ट स्पष्टीकरण भेजा है। स्पष्टीकरण में कहा गया है कि अधिनियम की धारा-तीन के तहत यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि शैक्षणिक, तकनीकी, व्यावसायिक या अन्य योग्यता प्राप्त करने के लिए आयोजित होने वाले सार्वजनिक परीक्षाओं में शामिल उम्मीदवारों पर अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं किए जाएंगे। इस स्पष्टीकरण का उद्देश्य परीक्षार्थियों में आशंका को दूर करना और यह सुनिश्चित करना है कि उनका भविष्य सुरक्षित रहे। प्रशासन ने यह भी बताया कि नकल पकड़े जाने पर परीक्षार्थियों के परीक्षा प्रश्नपत्र की उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन नहीं किया जाएगा। साथ ही, ऐसे छात्रों का रिजल्ट पहले से तय किए गए नियमों के अनुसार घोषित कर दिया जाएगा।

दोषियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया

जिन परीक्षार्थियों को परीक्षा के दौरान नकल करते या अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पकड़ा जाता है, उनकी परीक्षा की प्रक्रिया में कड़ा प्रावधान रखा गया है। नकल करने वाले छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन न किया जाना, उनके परीक्षा के रिजल्ट पर सीधा असर डालेगा। यह कदम न केवल निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, बल्कि अन्य छात्रों को भी प्रेरित करेगा कि वे ईमानदारी से परीक्षा में भाग लें। प्रशासन ने इस बात पर जोर दिया है कि ऐसे कदमों से शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन और पारदर्शिता बनी रहेगी।

समग्र दृष्टिकोण

उत्तर प्रदेश में बोर्ड परीक्षा के प्रथम दिन ही प्रशासन ने नकलबाजी पर कड़ी कार्रवाई के संकेत देकर यह संदेश दिया है कि इस वर्ष परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह कदम उन सभी परीक्षार्थियों के लिए एक चेतावनी के समान है जो नकलबाजी में लिप्त होते हैं। वहीं, प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि उनकी कार्रवाई सिर्फ़ अनुशासनात्मक होगी और छात्र-छात्राओं के भविष्य पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

यह कदम यूपी के शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। छात्रों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे अपनी योग्यता और मेहनत के बल पर सफलता प्राप्त करें, न कि किसी अनुचित साधन के सहारे। इस प्रकार, यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 में नकलबाजी पर कड़ी निगरानी रखने और उचित कार्रवाई करने का यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा सकता है।