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Haryana: हरियाणा में बनेगी 10,000 एकड़ में फैली दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी!

Haryana: हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य, पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव, विदेश सहयोग, सैन्य एवं अर्धसैनिक कल्याण मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि अगले छह माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरियाणा के अरावली क्षेत्र में करीब 10 हजार एकड़ में जंगल सफारी की आधारशिला रखी जाएगी।
 
हरियाणा में बनेगी 10,000 एकड़ में फैली दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी
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Haryana Update: हरियाणा के उद्योग एवं वाणिज्य, पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव, विदेश सहयोग, सैन्य एवं अर्धसैनिक कल्याण मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि अगले छह माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरियाणा के अरावली क्षेत्र में करीब 10 हजार एकड़ में जंगल सफारी की आधारशिला रखी जाएगी। NCR क्षेत्र में जंगल सफारी स्थापित करना प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। उन्होंने चिड़ियाघर के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे मॉरीशस की घाटी में देखा गया सफेद तोता भी लेकर आएं।

वन एवं वन्य जीव मंत्री राव नरबीर सिंह स्थानीय चिड़ियाघर में शेर के शावक के नामकरण समारोह में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने इलेक्ट्रिक गाड़ी पर सवार होकर चिड़ियाघर का भ्रमण किया और चिड़ियाघर में रखे गए पशु-पक्षियों का अवलोकन किया। उन्होंने एशियाई शेर के सात शावकों में से चार का नामकरण किया, जिनमें तीन नर और चार मादा शामिल हैं। उन्होंने नर शावकों का नाम चैतन्य और वीरू तथा तीसरे नर शावक का नाम संजू रखा। 

उन्होंने दो मादा शावकों का नाम दीया और नव्या रखा। उपायुक्त धीरेन्द्र खड़गटा ने एक मादा शावक का नाम चंचल रखा तथा चौथी मादा शावक का नाम अन्नू रखा। उन्होंने नन्हीं शावक को गोद में लेकर दुलारा तथा चिड़ियाघर परिसर में एक पौधा भी लगाया। राव नरबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने हाल ही में शारजाह में एक हजार एकड़ में स्थापित विश्व की सबसे बड़ी जंगल सफारी का दौरा किया, जो बहुत ही खूबसूरत है। 

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में जंगल सफारी स्थापित करने के अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को साझा किया है। विश्व की सबसे बड़ी जंगल सफारी हरियाणा के अरावली क्षेत्र में 10 हजार एकड़ में स्थापित की जाएगी। प्रदेश में वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे हर वर्ष 10 प्रतिशत काबुली कीकर के पेड़ों को हटाकर उनके स्थान पर त्रिवेणी या जलवायु अनुकूल पौधे लगाएं। 

उन्होंने इलेक्ट्रिक गाड़ी पर सवार होकर चिड़ियाघर में रखे गए पशु-पक्षियों का अवलोकन किया। उन्होंने हिरण, शुतुरमुर्ग, चार सींग वाले मृग, काले हिरण, चिंकारा, घड़ियाल, छोटे कस्तूरी मृग, हिमालयी काला भालू, 22 वर्षीय तेंदुआ, रोजेला तोता, मगरमच्छ, घड़ियाल, कछुआ, ब्राजील में पाया जाने वाला दुनिया का सबसे छोटा बंदर, एशियाई शेर, बाघ आदि का अवलोकन किया और उनके बारे में जानकारी एकत्र की।