Tenant Rules : मकान मालिक का नहीं चलेगा रोब, जानिए ये Rules
Tenant Rules : अब मकान मालिक किरायेदारों पर मनमानी नहीं चला सकेंगे। नए नियमों के तहत किरायेदारों को अधिक सुरक्षा मिलेगी और जबरन किराया बढ़ाने या बेदखल करने जैसे मामलों पर सख्ती होगी। मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकार और जिम्मेदारियां तय कर दी गई हैं। जानें नए नियम क्या हैं और इसका आपको कैसे मिलेगा फायदा। नीचे जानें पूरी डिटेल।

Haryana Update : भारत में संविधान ने सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार सुनिश्चित किए हैं। इसी संदर्भ में पिछले कुछ वर्षों में Kirayedar और मकानमालिकों के बीच होने वाले विवाद बढ़ने लगे हैं। इन विवादों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने Rent Agreement का नियम लागू किया है। यह Kanuni दस्तावेज़ (Rent Agreement) यह सुनिश्चित करता है कि मकान मालिक और Kirayedar दोनों ही अपने-अपने अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करें। Rent Agreement का उल्लंघन करना कानूनी अपराध माना जाता है, जिसके तहत कोई भी पक्ष बिना उचित कारण के समझौते की शर्तों से विचलित नहीं हो सकता।
Rent Agreement में क्या होता है?
Rent Agreement के तहत मकानमालिक और Kirayedar के बीच किराए, रहने की अवधि, नोटिस अवधि, सिक्योरिटी मनी और अन्य शर्तों पर स्पष्ट समझौता होता है। इस समझौते में यह तय किया जाता है कि:
- मकान मालिक अचानक किराया बढ़ा नहीं सकता। आदर्श किराया अधिनियम, 2021 के अनुसार, किराया बढ़ाने से पहले कम से कम तीन महीने का नोटिस देना अनिवार्य है।
- मकान मालिक Kirayedar से मकान खाली करने का दबाव भी नहीं बना सकते। बिना ठोस कारण के किसी भी पक्ष द्वारा एग्रीमेंट के उल्लंघन की स्थिति में नोटिस देना होगा।
सिक्योरिटी मनी और अन्य बुनियादी नियम
Rent Agreement में यह भी स्पष्ट किया गया है कि मकान मालिक Kirayedar से दो महीने से अधिक की एडवांस सिक्योरिटी मनी नहीं ले सकते। यदि Kirayedar मकान खाली करता है, तो मकान मालिक को एक महीने के भीतर यह राशि वापस करनी होती है। साथ ही, अगर Kirayedar किसी कठिन परिस्थिति में समय पर किराया जमा नहीं कर पा रहा है, तो मकान मालिक उसे बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित नहीं रख सकते। सुप्रीम कोर्ट ने इन सुविधाओं को एक मौलिक अधिकार मान्यता दी है।
मकान मालिक की एंट्री और मरम्मत का प्रावधान
Rent Agreement के तहत Kirayedar के अधिकारों को भी सुरक्षित रखा गया है। मकान मालिक को Kirayedar की अनुमति के बिना उसके घर में प्रवेश करने का अधिकार नहीं है। Kirayedar की गैर-मौजूदगी में भी मकान मालिक को घर में घुसने या तलाशी लेने का हक नहीं होता। यदि मकान मालिक को घर खाली कराने की जरूरत पड़ती है, तो उसे Kirayedar को नोटिस देने के साथ ठोस कारण भी प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इसके अलावा, घर की मरम्मत की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। यदि मरम्मत के लिए Kirayedar को कहकर उसे परेशान किया जाता है, तो मकान मालिक को उस खर्च की भरपाई करनी होगी।
Rent Agreement की शर्तों का पालन
Rent Agreement की शर्तें दोनों पक्षों द्वारा सहमति से तय की जाती हैं और एक बार एग्रीमेंट तैयार हो जाने के बाद, इसमें किसी भी तरह की अतिरिक्त शर्तें जोड़ना मुमकिन नहीं होता। यदि किसी भी पक्ष द्वारा इस एग्रीमेंट का उल्लंघन होता है – चाहे वह किराया न जमा करना, बिना नोटिस के घर खाली कराने या अन्य किसी Kanuni शर्तों का उल्लंघन करना हो – तो संबंधित पक्ष रेंट अथॉरिटी के पास शिकायत दर्ज कर सकता है।
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मकान मालिक के अधिकार
आदर्श किराया अधिनियम, 2021 के अंतर्गत मकान मालिक के अधिकार भी सुरक्षित हैं। यदि Kirayedar पिछले दो महीने का किराया जमा नहीं करता, तो मकान मालिक कानूनी प्रक्रिया के तहत घर खाली कराने का दावा कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि Kirayedar बिना अनुमति के घर में किसी प्रकार का गैरकानूनी या वाणिज्यिक काम कर रहा हो, तो भी मकान मालिक 15 दिन के नोटिस पीरियड के बाद कार्रवाई कर सकते हैं। मकान मालिक का समय पर किराया लेने का अधिकार कोई अपराध नहीं है, और अगर Kirayedar घर की देखरेख में लापरवाही दिखाते हैं तो मकान मालिक उन्हें टोक सकते हैं या शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
राज्यों में नियमों की भिन्नता
हालांकि ये कानून केंद्र द्वारा बनाए गए हैं, लेकिन कई राज्यों ने इन्हें अपनाया है या अपने स्थानीय नियमों के अनुरूप संशोधित किया है। इसलिए, किराएदारों और मकान मालिकों को अपने क्षेत्र के नियमों से अवगत रहना चाहिए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि Rent Agreement के तहत सभी शर्तों का पालन दोनों पक्षों द्वारा हो, ताकि भविष्य में कोई भी विवाद न उत्पन्न हो।
इस प्रकार, Rent Agreement एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज़ है जो मकान मालिक और Kirayedar दोनों के अधिकारों की रक्षा करता है और विवादों को कम करने में सहायक होता है। समझदारी से एग्रीमेंट पढ़कर और उसमें उल्लिखित शर्तों का पालन करके दोनों पक्ष अपने हितों की सुरक्षा कर सकते हैं।