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Supreme Court Decision : अचल संपत्ति को लेकर Supreme Court ने सुनाया बड़ा फैसला, जानिए

अचल संपत्ति को लेकर Supreme Court ने हाल ही में फैसला सुनाया है, तो चलिए जानते हैं इस फैसले के बारे में विस्तार से...
 
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Haryana Update, New Delhi:   बहुत से लोगों को संपत्ति की कानूनी जानकारी नहीं होती, इसलिए वे अपनी ही संपत्ति को छोड़ देते हैं। हर व्यक्ति को अचल संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय जानना चाहिए। 

यदि किसी ने आपकी अचल संपत्ति पर कब्जा कर लिया है, तो उसे वहां से हटाने में देर मत करो। यदि आप अपनी संपत्ति पर किसी तीसरे व्यक्ति के अवैध अधिकार को चुनौती देने में देर करते हैं, तो आपकी संपत्ति आपके हाथ से निकल जाएगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।   

12 वर्ष के अंदर परिवर्तन करना होगा

सर्वोच्च अदालत ने निर्णय दिया कि अगर वास्तविक या वैध मालिक अपनी संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति से वापस लेने के लिए निर्धारित समय सीमा के अंदर नहीं कर पाएंगे, तो उनका मालिकाना हक खत्म हो जाएगा और उस संपत्ति पर कब्जा करने वाले व्यक्ति को कानूनी तौर पर मालिकाना हक मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण इस दायरे में नहीं आता है। यानी, अवैध रूप से सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले व्यक्ति को कभी भी मालिकाना हक नहीं मिल सकता।  

कानून की व्याख्या तीन जजों की बेंच ने की

1963 के लिमिटेशन एक्ट में निजी संपत्ति पर 12 वर्ष की लिमिटेशन (परिसीमन) की वैधानिक अवधि है, जबकि सरकारी संपत्ति पर 30 वर्ष है। कब्जे के दिन से ये मियाद शुरू होती है। उच्च न्यायालय की बेंच के जजों जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने 12 साल से अधिक समय से संपत्ति रखी है। अगर 12 साल बाद उसे वहां से हटाया गया तो उसे कानून की शरण में जाने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने क्या निर्णय लिया?

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि कोई दूसरा व्यक्ति बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के प्रोपर्टी पर कब्जा कर सकता है। 12 साल से अधिक समय तक अवैध कैदियों को हटाने का अधिकार भी कानूनी मालिक को नहीं है। 

ऐसी स्थिति में अवैध मालिक को ही उस संपत्ति का मालिकाना हक मिलेगा। हमारे विचार से इसका मतलब यह होगा कि वादी कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में अधिकार (राइट), मालिकाना हक (टाइटल) या हिस्सा (इंट्रेस्ट) को तलवार की तरह प्रयोग कर सकता है, जिससे प्रतिवादी को बचाया जाएगा। जबरदस्ती हटाए जाने पर एक व्यक्ति कानून की मदद ले सकता है अगर उसने अवैध कब्जे को भी कानूनी कब्जे में बदल दिया है।

 इस तरह कब्जा कर सकते हैं

आप सिविल और आपराधिक कानूनों का सहारा ले सकते हैं अगर किसी ने आपकी संपत्ति कब्जा कर ली है। धोखाधड़ी के कई मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 लागू होती है। इसलिए, आपराधिक बल के जरिए किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से बेदखल करने पर ये धारा लगाई जाती हैं। इस अनुच्छेद के तहत शिकायत मिलने पर संबंधित पुलिस थाने को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। पीड़ित व्यक्ति को पहले इस अधिकार का पालन करना चाहिए।

IPC की धारा 406 के तहत किसी व्यक्ति की संपत्ति पर कब्जा कर लेना संगीन अपराध है। इस अन्याय को पीड़ित पक्षकार पुलिस थाने में शिकायत कर सकता है। वहीं, आईपीसी की धारा 467 कूटरचना पर लागू होती है, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से संपत्ति का नाम लिया जाता है।

इस कानून से तुरंत न्याय मिलेगा

1963 का स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट त्वरित न्याय के लिए वरदान था। धारा 6 इस अधिनियम में संपत्ति से बेकब्जा करने का समाधान देता है। 

विशेष रूप से जब कोई दूसरा अपनी संपत्ति में घुसकर कब्जा कर लेता है। पीड़ित को इस खंड में सरल, सीमित न्याय मिलता है। पीड़ित व्यक्ति को, हालांकि, संपत्ति पर अवैध कब्जे के मामले में सबसे पहले वकील या जानकारों से कानूनी मदद लेनी चाहिए। दूसरा, हर व्यक्ति को अपनी संपत्ति की रक्षा करनी चाहिए। क्योंकि अवैध कब्जे के अधिकांश मामले वहाँ होते हैं जहां बिना देख रेख के किसी जमीन, घर या भूखंड को छोड़ देते हैं

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