Supreme Court: बेटे को नहीं मिलेगा पिता की इस संपत्ति में हिस्सा, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश!

स्वअर्जित संपत्ति बनाम पैतृक संपत्ति Supreme Court
कानून के अनुसार संपत्ति दो प्रकार की होती है:
- स्वअर्जित संपत्ति: यह वह संपत्ति है, जिसे पिता अपनी मेहनत और कमाई से अर्जित करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, इस प्रकार की संपत्ति पर बेटे या बेटी का कोई अधिकार नहीं होता। पिता चाहे तो अपनी कमाई से बनाई गई संपत्ति अपने बेटे को दे भी सकते हैं, लेकिन ऐसा करने का कोई कानूनी दायित्व नहीं है।
- पैतृक संपत्ति: यह वह संपत्ति है, जो परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। इसमें पिता के साथ-साथ बेटे का भी बराबर हक होता है। संयुक्त हिंदू परिवार के कानून के अनुसार, पैतृक संपत्ति में सभी वारिसों का समान अधिकार होता है।
कोर्ट का फैसला और मिताक्षरा कानून Supreme Court
एक मामले में हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि चाहे बेटा शादीशुदा हो या अविवाहित, उसे पिता की स्वअर्जित संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता। हाई कोर्ट ने मिताक्षरा कानून के तहत यह भी कहा कि पिता को अपनी कमाई से जुटाई गई संपत्ति पर पूरा अधिकार है। इससे पहले भी Supreme Court ने इसी कानून के अंतर्गत ऐसा ही निर्णय दिया था।
कानून में प्रावधान Supreme Court
कानून कहता है कि बेटे का पिता और दादा की संपत्ति पर जन्म से ही अधिकार हो जाता है। लेकिन यह नियम पैतृक संपत्ति पर लागू होता है, न कि पिता की स्वअर्जित संपत्ति पर। यदि पिता अपनी मेहनत से अर्जित संपत्ति को अपने बेटे के नाम नहीं करना चाहता, तो वह ऐसा करने का पूरा अधिकार रखता है। दूसरी ओर, यदि संपत्ति पैतृक है, तो उसमें बेटे का हक पिता के बराबर होता है।
पैतृक संपत्ति का महत्व Supreme Court
पैतृक संपत्ति को परिवार की विरासत माना जाता है, जिसमें कई पीढ़ियाँ शामिल होती हैं। इसमें दादा, परदादा, और उसके पूर्वजों की संपत्ति आती है। यदि परिवार में कई बेटे हैं, तो कानून के अनुसार सभी का इस संपत्ति पर बराबर हक होता है। यहां तक कि पिता भी अपनी वसीयत के माध्यम से इस संपत्ति में कोई बदलाव नहीं कर सकते, क्योंकि यह परिवार की संयुक्त संपत्ति होती है।
Supreme Court के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि पिता की मेहनत और कमाई से बनाई गई स्वअर्जित संपत्ति पर बेटे का कोई कानूनी दावा नहीं होता। बेटा चाहे कितना भी दावा करे, उसे ऐसे संपत्ति में कोई हक नहीं मिलता, जब तक कि पिता स्वयं उसे दे न दें। दूसरी ओर, पैतृक संपत्ति में बेटा का अधिकार पिता के बराबर होता है। यह फैसला न केवल प्रॉपर्टी विवादों को सुलझाने में मदद करेगा, बल्कि युवाओं और परिवार के अन्य सदस्यों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में भी स्पष्ट जानकारी देगा।