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अब जानिए, परिवार में कौन सदस्य बेच सकता है पूरी संपत्ति अकेले!

इन दिनों सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि परिवार के एक सदस्य को
 
अब जानिए, परिवार में कौन सदस्य बेच सकता है पूरी संपत्ति अकेले!
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इन दिनों सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि परिवार के एक सदस्य को अपनी प्रॉपर्टी बेचने के लिए किसी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इसे करने के लिए उसे परिवार के अन्य सदस्यों की सहमति की आवश्यकता भी नहीं है।

कौन ले सकता है प्रॉपर्टी से जुड़े निर्णय?

परिवार की प्रॉपर्टी से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार परिवार के कर्ता (Karta) के पास होता है।

  • हिंदू संयुक्त परिवार में कर्ता वह व्यक्ति होता है जो परिवार में सबसे अधिक उम्र का होता है।

  • यह अधिकार उसे पारिवारिक परंपरा और वरिष्ठता के आधार पर मिलता है।

  • कर्ता को प्रॉपर्टी बेचने, गिरवी रखने या किसी प्रकार के लेन-देन का निर्णय लेने का पूरा अधिकार होता है।

  • कर्ता के निधन के बाद यह अधिकार परिवार के दूसरे सबसे बड़े सदस्य को मिल जाता है।

मुख्य कर्ता अपने अधिकारों का हस्तांतरण भी कर सकता है

परिवार का कर्ता अपने अधिकारों को किसी अन्य सदस्य को भी सौंप सकता है।

  • यदि वह अपने स्थान पर किसी को नामित करना चाहता है तो ऐसा वह वसीयत या नामांकन (Nomination) के जरिए कर सकता है।

  • नामांकित व्यक्ति को भी वही अधिकार मिल जाते हैं जो पहले कर्ता के पास थे।

  • ऐसे मामलों में प्रॉपर्टी के लेन-देन पर किसी और की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती।

मद्रास हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले में यह स्पष्ट किया था कि,

  • परिवार का कर्ता बिना किसी की अनुमति के प्रॉपर्टी से जुड़े फैसले ले सकता है।

  • उसे किसी भी निर्णय के लिए परिवार के अन्य सदस्यों की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती।

सुप्रीम कोर्ट ने भी दी मंजूरी

इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता दी।

  • एक याचिका में याची ने आरोप लगाया था कि उसके पिता, जो परिवार के कर्ता थे, उन्होंने संयुक्त परिवार की प्रॉपर्टी को गिरवी रख दिया।

  • सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के निर्णय पर सहमति जताते हुए कहा कि कर्ताओं को प्रॉपर्टी से जुड़े फैसले लेने का अधिकार है।

  • कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि परिवार का कर्ता किसी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं है, तो उसके निर्णय पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।

समान उत्तराधिकारी का दावा कब मान्य?

समान उत्तराधिकारी (Co-heir) तभी दावा कर सकता है,

  • जब यह साबित हो कि प्रॉपर्टी से जुड़े निर्णय में कोई गैरकानूनी कार्य हुआ है।

  • अगर कर्ता के निर्णय में पारदर्शिता है और किसी प्रकार का गलत कार्य नहीं हुआ है, तो अन्य उत्तराधिकारियों का दावा अस्वीकार कर दिया जाएगा।

  • समान उत्तराधिकारियों में परिवार के पुरुष सदस्य आते हैं, जो परिवार की प्रॉपर्टी पर अधिकार जता सकते हैं, लेकिन इसका आधार कानूनी होना चाहिए।

कर्ताओं के अधिकार क्यों महत्वपूर्ण हैं?

परिवार के कर्ता के पास प्रॉपर्टी से जुड़े फैसले लेने का अधिकार इसलिए होता है क्योंकि,

  1. परिवार की आर्थिक सुरक्षा: कर्ता को अधिकार होते हैं कि वह परिवार की संपत्ति का सही तरीके से उपयोग कर सके।

  2. आसान निर्णय: प्रॉपर्टी से जुड़े बड़े फैसले बिना किसी बाधा के लिए जा सकते हैं।

  3. संक्रमण की सरलता: कर्ता के न होने पर दूसरा वरिष्ठ सदस्य बिना कानूनी उलझन के स्थान ग्रहण कर सकता है।

क्या परिवार के अन्य सदस्य आपत्ति कर सकते हैं?

यदि कर्ता द्वारा लिया गया निर्णय कानूनी रूप से गलत या अनुचित है, तो परिवार के अन्य सदस्य कोर्ट में आपत्ति जता सकते हैं।

  • उदाहरण के लिए, यदि प्रॉपर्टी को बेचा गया है और उससे प्राप्त धन का उपयोग सही तरीके से नहीं हुआ, तो परिवार के अन्य सदस्य आपत्ति कर सकते हैं।

  • लेकिन, अगर कर्ता ने कानूनी रूप से सभी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए निर्णय लिया है, तो आपत्ति को स्वीकार नहीं किया जाएगा।