Supreme Court : पुश्तैनी संपत्ति पर मालिकाना हक को लेकर आई नई गाइडलाइन...
Supreme Court : पुश्तैनी जमीन और मकान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत अब पैतृक संपत्ति के अधिकार को लेकर नए नियम लागू हो सकते हैं। अगर आपके पास पुश्तैनी जमीन या मकान है, तो आपको यह फैसला जरूर जानना चाहिए, क्योंकि यह आपकी कानूनी स्थिति को प्रभावित कर सकता है। पूरी जानकारी नीचे पढ़ें।
Mar 8, 2025, 16:20 IST
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Haryana update, Supreme Court : कानून में संपत्ति के विभिन्न प्रकारों के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं – चाहे वह पुश्तैनी जमीन हो या स्व-अर्जित मकान। अक्सर इन संपत्तियों को लेकर विवाद उत्पन्न होते रहे हैं, जिन्हें कानूनी प्रक्रियाओं द्वारा सुलझाया जाता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पुश्तैनी संपत्ति के मालिकाना हक से संबंधित कुछ अहम मुद्दों पर फैसला सुनाया है, जिससे उन लाखों लोगों को राहत मिली है जो वर्षों से अपने पैतृक संपत्ति को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
1. रेवेन्यू रिकार्ड का महत्व Supreme Court
- कोर्ट का वक्तव्य:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुश्तैनी जमीन के रेवेन्यू रिकार्ड में बदलाव या हटाने से संपत्ति के मालिकाना हक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। - मालिकाना हक का निर्धारण:
संपत्ति के स्वामित्व का अंतिम निर्धारण केवल न्यायिक प्रक्रिया के तहत अदालत द्वारा किया जाएगा, न कि केवल रिकार्ड में दर्ज नाम से।
2. भूमि म्यूटेशन की प्रक्रिया Supreme Court
- भूमि म्यूटेशन का रोल:
भूमि म्यूटेशन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो संपत्ति के स्वामित्व के विवरण को अपडेट करने में मदद करती है। यह प्रक्रिया किसी व्यक्ति को स्वामित्व का अधिकार नहीं देती, बल्कि रिकॉर्ड को सही बनाए रखने का काम करती है। - जरूरी अपडेट:
संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों को समय-समय पर अपडेट करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि किसी भी कानूनी विवाद की स्थिति में सही स्वामित्व साबित किया जा सके।
3. पैतृक संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी Supreme Court
- संपत्ति बिक्री का विवाद:
सुप्रीम कोर्ट ने पुराने मामलों में यह भी कहा कि यदि परिवार का मुखिया पैतृक संपत्ति को कर्ज या कानूनी कारणों से बेचता है, तो अन्य परिवार सदस्यों या बेटों को उसे चुनौती देने का अधिकार नहीं होगा। - उत्तराधिकार का नियम:
यदि संपत्ति कानूनी जरूरतों के तहत बेची गई हो, तो इसे कोर्ट में विवाद का विषय नहीं बनाया जा सकता।
4. परिवार का कर्ता और स्वामित्व Supreme Court
- परिवार में कर्ता का चयन:
परिवार का सबसे बड़ा पुरुष सदस्य आमतौर पर कर्ता माना जाता है। यदि वह उपलब्ध नहीं रहता, तो अगला वरिष्ठ व्यक्ति अपने आप कर्ता बन जाता है। - वसीयत और सहमति:
परिवार के सदस्य वसीयत या आपसी सहमति के माध्यम से भी कर्ता का चयन कर सकते हैं। कुछ मामलों में, अदालत भी हिंदू कानून के अंतर्गत किसी व्यक्ति को कर्ता नियुक्त कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संपत्ति के मालिकाना हक के सही निर्धारण को सुनिश्चित करता है। रेवेन्यू रिकार्ड में बदलाव से स्वामित्व प्रभावित नहीं होता, और संपत्ति के अधिकार का निर्णय पूरी तरह से अदालत द्वारा किया जाएगा। साथ ही, पैतृक संपत्ति की बिक्री और परिवार के कर्ता का चयन पारिवारिक सहमति और कानूनी प्रक्रियाओं के तहत ही निर्धारित किया जाएगा। यह निर्णय उन सभी लोगों के लिए राहत का संदेश है जो अपने पैतृक या स्व-अर्जित संपत्ति को लेकर विवाद में फंसे हुए हैं और अपने अधिकारों की रक्षा की उम्मीद करते हैं।