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Supreme Court : पिता की संपत्ति में इन बेटियों का हक खत्म, जानें कोर्ट का आदेश

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया है कि कुछ खास परिस्थितियों में बेटियों को पिता की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा यह फैसला उन मामलों पर लागू होगा, जहां संपत्ति उत्तराधिकार कानून के दायरे में नहीं आती। जानें कोर्ट के इस फैसले की पूरी डिटेल नीचे।
 
 
Supreme Court : पिता की संपत्ति में इन बेटियों का हक खत्म, जानें कोर्ट का आदेश
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Haryana update, Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तलाक के एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि जो बेटी अपने पिता से रिश्ता नहीं रखना चाहती, उसे पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलेगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी बेटी अपनी शिक्षा और शादी के लिए भी पिता से किसी तरह की आर्थिक सहायता की मांग नहीं कर सकती।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?  Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने यह फैसला सुनाया।

  • कोर्ट ने कहा कि बेटी 20 साल की हो चुकी है और अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है।
  • अगर वह अपने पिता से कोई संबंध नहीं रखना चाहती, तो उसे उनकी संपत्ति पर भी अधिकार नहीं मिलेगा।
  • पति को पत्नी को ₹8,000 मासिक या एकमुश्त ₹10 लाख गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया।

पूरा मामला क्या है? Supreme Court

  • यह केस एक तलाक से जुड़ा था, जिसमें पति ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।
  • इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां पति-पत्नी और पिता-पुत्री के बीच सुलह की कोशिश की गई, लेकिन समझौता नहीं हो सका।
  • बेटी जन्म से ही मां के साथ रह रही थी और पिता से कोई संबंध नहीं रखना चाहती थी।

कानूनी पहलू क्या कहते हैं? Supreme Court

  • 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन कर बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर का हक दिया गया।
  • हालांकि, अगर बेटी पिता से रिश्ता नहीं रखती, तो उसे संपत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलेगा।
  • पिता अपनी बेटी से रिश्ता नहीं तोड़ सकता और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला नहीं झाड़ सकता।

फैसले का असर  Supreme Court

यह फैसला पिता-पुत्री के रिश्ते और उत्तराधिकार कानून को लेकर बड़ा बदलाव ला सकता है। यह उन मामलों के लिए भी नजीर बन सकता है, जहां बच्चे अपने माता-पिता से संबंध खत्म कर लेते हैं, लेकिन संपत्ति में अधिकार की मांग करते हैं।