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Supreme Court : किराएदारों की मनमानी खत्म! सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिकों के हक में सुनाया फैसला

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिकों के हित में बड़ा फैसला सुनाया है, जिससे किराएदारों की मनमानी पर रोक लगेगी। नए फैसले के तहत किराएदारों की समय सीमा तय कर दी गई है और मकान मालिकों के अधिकारों को मजबूत किया गया है। यह फैसला उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जो किराएदारों की वजह से परेशानी झेल रहे थे। क्या हैं नए नियम? नीचे जानें पूरी डिटेल।
 
 
Supreme Court : किराएदारों की मनमानी खत्म! सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिकों के हक में सुनाया फैसला
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Haryana update, Supreme Court : Supreme Court में हाल ही में एक मकान मालिक और किराएदार के बीच मामले की सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने किराएदार को उसकी सीमाएं बता दीं और मकान मालिक के पक्ष में निर्णय सुनाया। यह फैसला मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए जानना आवश्यक है, क्योंकि इससे यह स्पष्ट हो गया है कि मकान मालिक को अपनी असली जरूरत के आधार पर यह तय करने का पूरा अधिकार है कि वह अपनी संपत्ति का कौन सा हिस्सा खाली करवाना चाहता है।

मकान मालिक और किराएदार: आय का एक साधन Supreme Court

बहुत से लोग अपनी संपत्ति को किराए पर देकर हर महीने अच्छा खासा आय अर्जित करते हैं। किराए पर देने से घर का खर्चा चल जाता है और यदि कोई हिस्सा बिना प्रयोग का हो तो उसे किराए पर देकर अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सकता है। इसी संदर्भ में मकान मालिक और किराएदार के बीच कई बार विवाद भी उत्पन्न हो जाते हैं, खासकर जब किराएदार परिसर को खाली करवाने से इनकार कर देते हैं। ऐसे मामलों में यह जानना जरूरी हो जाता है कि किसका अधिकार कहाँ तक है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णयSupreme Court

इस मामले में, एक मकान मालिक ने याचिका दायर की थी ताकि वह अपनी जरूरत के अनुसार किराए पर दिए परिसर का एक हिस्सा खाली करवाए। मकान मालिक का तर्क था कि उसे अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने की जरूरत है, जिसके लिए उसे अपने परिसर में से एक हिस्से को खाली करवाना आवश्यक है। निचली अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया था, और हाई कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा था।

लेकिन Supreme Court में जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि:

  • मकान मालिक का पूरा अधिकार:
    मकान मालिक ही यह तय करेगा कि उसकी असली जरूरत के आधार पर कौन सा हिस्सा खाली करवाया जाए। किराएदार यह तर्क नहीं दे सकता कि मकान मालिक के पास अन्य संपत्ति है और वह वैकल्पिक संपत्ति से अपना काम चला सकता है।

  • किराएदार की भूमिका सीमित:
    यदि मकान मालिक की असली जरूरत सामने आ रही है, तो किराएदार अपनी सुविधा के आधार पर मकान मालिक को अन्य संपत्ति खाली करवाने की मांग नहीं कर सकता। मकान मालिक को यह निर्णय लेने का पूरा अधिकार है कि उसे किस हिस्से की आवश्यकता है।

  • मामले में दिख रही वास्तविक जरूरत:
    Supreme Court ने देखा कि मकान मालिक के पास अन्य परिसर हो सकते हैं, लेकिन उसने अपनी याचिका में जिस परिसर को खाली करवाने का निर्णय लिया था, वह उसके लिए सबसे उपयुक्त था। यह परिसर एक मेडिकल क्लिनिक और पैथोलॉजिकल सेंटर के पास स्थित है, जिससे यह साफ हो जाता है कि मकान मालिक के पास उस स्थान को खाली करवाना उसकी वास्तविक जरूरत है।

किराएदार और मकान मालिक के अधिकारों की स्पष्टता Supreme Court

इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि:

  • मकान मालिक को अपनी आवश्यकता के अनुसार यह तय करने का पूरा अधिकार है कि कौन सा हिस्सा खाली करवाया जाए।
  • किराएदार अपनी सुविधानुसार मकान मालिक के फैसले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता, भले ही वह कहे कि मकान मालिक की अन्य संपत्तियाँ हैं।
  • कानून ने मकान मालिक की वास्तविक जरूरत को ध्यान में रखते हुए किराएदार को परिसर खाली करवाने के मामले में स्पष्ट दिशा निर्देश प्रदान कर दिए हैं।

यह Supreme Court का फैसला मकान मालिक और किराएदार के बीच के विवादों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। फैसले में कहा गया कि मकान मालिक की असली जरूरत के आधार पर ही उसे अपने परिसर का वह हिस्सा खाली करवाने का अधिकार है, और किराएदार इस निर्णय में कोई भूमिका नहीं निभा सकता। इससे भविष्य में ऐसे मामलों में स्पष्टता आएगी और दोनों पक्षों को अपने अधिकारों के बारे में सही जानकारी मिलेगी।