logo

Supreme Court: मकान मालिकों के लिए राहत! सुप्रीम कोर्ट ने किराएदारों पर कसा शिकंजा

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने किराएदारों के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाते हुए मकान मालिकों के हक में अहम बात कही है। नए फैसले के तहत अब मकान मालिकों को ज्यादा अधिकार मिलेंगे और किराएदारों को सख्त नियमों का पालन करना होगा। अगर आप किराए पर रहते हैं या मकान किराए पर दिया हुआ है, तो यह फैसला आपके लिए जरूरी है। जानिए कोर्ट के इस फैसले की पूरी डिटेल नीचे।
 
 
Supreme Court: मकान मालिकों के लिए राहत! सुप्रीम कोर्ट ने किराएदारों पर कसा शिकंजा
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Haryana update, Supreme Court: आज शहरों में प्रॉपर्टी के दाम आसमान छू रहे हैं। इसके चलते अधिकांश लोग अपना घर खरीदने के बजाय किराये पर रहने को तरजीह दे रहे हैं। मकान मालिकों के लिए किराये की आय अब एक स्थायी आमदनी का जरिया बन गई है। बड़े महानगरों में यह व्यवसाय बड़े स्तर पर फैल चुका है, लेकिन इसके साथ-साथ किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवादों में भी तेजी आई है। कई बार किरायेदार घर या दुकान को किराये पर लेकर बाद में उसे खाली करने से इनकार कर देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: मकान मालिक के अधिकार  Supreme Court

यदि आप अपना मकान या दुकान किराये पर देने का सोच रहे हैं, तो मकान मालिक और किरायेदार के बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई महत्वपूर्ण टिप्पणी के बारे में जानना बहुत जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मकान मालिक ही तय करेगा कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किस प्रॉपर्टी को खाली करवाना है। किरायेदार यह तर्क नहीं कर सकता कि मकान मालिक के पास दूसरी प्रॉपर्टी है, जिससे वह अपनी जरूरत पूरी कर सके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "मकान मालिक को ही तय करना चाहिए"  Supreme Court

एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर मकान मालिक की वास्तव में संपत्ति खाली कराने की जरूरत है, तो वह कानून की सहायता से किरायेदार को बेदखल कर सकता है। यहां जरूरी यह है कि खाली करवाने की मांग केवल मकान मालिक की वास्तविक जरूरत पर आधारित हो, न कि सिर्फ इच्छा पर। मकान मालिक ही सर्वोत्तम अधिकारी है कि वह तय करे कि किस संपत्ति को कब खाली करवाना है, और इसमें किरायेदार की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।

पूरा मामला क्या है?  Supreme Court

दरअसल, एक मकान मालिक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसने बताया कि उसने खाली पड़े मकान को किरायेदार को रेंट पर दिया था, लेकिन अब अपने दो बेरोजगार बेटों के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने की जरूरत के कारण वह मकान खाली करवाना चाहता था। किरायेदार ने मकान खाली कराने से मना कर दिया। निचली अदालत में याचिका खारिज होने के बाद, हाई कोर्ट ने भी उसी फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच में मामले की सुनवाई हुई।

मकान मालिक के पक्ष में फैसला  Supreme Court

सुनवाई के दौरान, किरायेदार ने दावा किया कि मकान मालिक के पास दूसरी प्रॉपर्टी है, जिससे वह अपनी जरूरत पूरी कर सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि एक बार जब मकान मालिक की वास्तविक जरूरत सामने आ जाए, तो किरायेदार को किसी अन्य प्रॉपर्टी को खाली करवाने की मांग करने का अधिकार नहीं है। मकान मालिक ही तय करेगा कि उसकी संपत्ति का किस हिस्सा कब उपयोग में लाया जाए।

इस फैसले से मकान मालिक के अधिकार मजबूत हुए हैं। यदि मकान मालिक को अपनी वास्तविक जरूरत के कारण किरायेदार से संपत्ति खाली करवाने का आदेश मिलता है, तो किरायेदार को दूसरी प्रॉपर्टी पर अपनी जरूरत पूरी करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। यह निर्णय मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप है।