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Smart City प्रोजेक्ट से हरियाणा और यूपी को मिलेगा बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं

Smart City प्रोजेक्ट हरियाणा, यूपी समेत 9 राज्यों को Smart City योजना के तहत आधुनिक और स्मार्ट सुविधाएं मिलेंगी। जानें इस प्रोजेक्ट से क्या बदलाव आएंगे और कैसे होगा विकास।

 
Smart City प्रोजेक्ट से हरियाणा और यूपी को मिलेगा बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं
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Smart City प्रोजेक्ट भारतीय शहरीकरण की तेजी को देखते हुए, हाल ही में एक महत्वपूर्ण और दूरगामी पहल की गई है। हरियाणा समेत नौ राज्यों ने मेयर के लिए पांच साल का सुनिश्चित कार्यकाल और नगर निकाय परिषद के गठन का फैसला लिया है, जो शहरी प्रशासन में स्थिरता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस पहल के मुख्य लाभ:

  1. स्थायित्व और निरंतरता: मेयर को पांच साल का कार्यकाल मिलने से वे दीर्घकालिक योजनाएं बना सकेंगे और उन्हें प्रभावी रूप से लागू कर पाएंगे। इससे शहरों के स्थायी विकास को बढ़ावा मिलेगा।

  2. स्थानीय स्वशासन का सशक्तिकरण: नगर निकाय परिषदों के गठन से स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे नीतियां वास्तविक जरूरतों के करीब होंगी।

  3. स्मार्ट सिटी मिशन का समर्थन: इस पहल से स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को लागू करने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि स्थानीय नेतृत्व बेहतर प्रबंधन और निगरानी कर सकेगा।

  4. जनभागीदारी में वृद्धि: जब स्थानीय प्रतिनिधियों को स्पष्ट अधिकार और निश्चित कार्यकाल मिलता है, तो जनता भी ज्यादा जागरूक और सक्रिय होती है।

ये बदलाव न केवल शहरों को स्मार्ट बनाएंगे, बल्कि उन्हें स्थायी, उत्तरदायी और सहभागी लोकतंत्र की ओर मजबूत करेंगे। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु, और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में किए गए ये कानूनी सुधार “नया शहरी भारत” बनाने की दिशा में एक ठोस कदम हैं।

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नगर निकाय परिषद की भूमिका:

  1. नीति क्रियान्वयन में सहयोग: परिषद मेयर और अधिकारियों को शहरी विकास की योजनाओं को जमीन पर उतारने में मदद करेगी।

  2. स्थानीय जरूरतों की बेहतर समझ: परिषदें स्थानीय स्तर पर समस्याओं और आवश्यकताओं को गहराई से समझ पाएंगी, जिससे समाधान प्रभावी होंगे।

  3. शहरी नियोजन में भागीदारी: नगर नियोजन, आधारभूत संरचना, पर्यावरण संरक्षण, यातायात प्रबंधन जैसी नीतियों को बेहतर तरीके से लागू किया जाएगा।

  4. जनप्रतिनिधित्व मजबूत बनाना: विभिन्न वार्डों और क्षेत्रों के चुने हुए प्रतिनिधि एक साथ मिलकर समन्वित विकास पर काम कर सकेंगे।

  5. पारदर्शिता और जवाबदेही: नगर निकाय परिषदों से प्रशासन अधिक पारदर्शी होगा और जनता को प्रशासन के प्रति जवाबदेह बनाया जाएगा।

नागरिकों को सीधे लाभ:

  • बेहतर पेयजल, सफाई, सड़कें, स्ट्रीट लाइटिंग जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

  • डिजिटल और स्मार्ट सेवाएं जैसे ऑनलाइन बिल भुगतान और शिकायत निवारण आसान हो जाएगा।

  • रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।

अन्य सुधार और उनकी अहमियत:

  1. लैंड पूलिंग योजना: इसमें निजी जमीन मालिक अपनी ज़मीन विकास के लिए सरकार को देते हैं और बदले में विकसित ज़मीन का हिस्सा प्राप्त करते हैं। इससे अनियोजित विकास पर नियंत्रण, बेहतर आधारभूत ढांचा और पारंपरिक ज़मीन अधिग्रहण की समस्याओं से निजात मिलती है।

  2. यूजर चार्ज पॉलिसी: नागरिकों से उन सेवाओं के लिए शुल्क लिया जाएगा, जिनका वे उपयोग करते हैं, जैसे कचरा प्रबंधन और जल आपूर्ति। इससे सेवा गुणवत्ता बनी रहती है, नगर निकाय आत्मनिर्भर बनते हैं और लोग सेवाओं के प्रति जागरूक होते हैं।

  3. जमीनी रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण: ज़मीन से जुड़े दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी, भ्रष्टाचार कम होगा और संपत्ति विवादों में कमी आएगी। निवेशकों और नागरिकों के लिए ज़मीन की खरीद-फरोख्त सरल और भरोसेमंद होगी।

इन सभी सुधारों का लक्ष्य है “जन-केंद्रित, पारदर्शी और आधुनिक शहरी प्रशासन” तैयार करना। यदि ये सुधार सही तरीके से लागू किए गए, तो भारत के शहरों में विश्वस्तरीय नागरिक सेवाएं और टिकाऊ विकास संभव होगा, जिससे देश के शहरीकरण की प्रक्रिया और भी मजबूत होगी।