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Shani Dev: शनि देव को खुश करने के लिए हर शनिवार करें ये उपाय

Saturday Remedies: शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा कर आप प्रसन्न रह सकते हैं. इसके अलावा भी कई उपाय कर सकते हैं, जिसके कारण आपके सारो दोष दूर हो जाएंगे. 
 
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Haryana Update, New Delhi:   शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना का दिन है. इस दिन विधिपूर्वक शनि देव की पूजा करने और कुछ ज्योतिष उपाय शनि देव की कृपा दिलाते हैं. 

बता दें कि सनातन धर्म में शनि देव को न्याय के देवता और कर्म फलदाता के नाम से जाना जाता है. जीवन में आ रही परेशानियों से छुटकारा पाने और शनि की अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शनिवार के दिन शनिदेव की विधिपूर्वक पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिवार के दिन शनि देव की आरती और मंत्र जाप का विशेष महत्व बताया गया है. इससे पूजा का शुभ फल मिलता है और व्यक्ति की हर मनोकामना जल्द पूरी होती है. 

शनि दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. आइए जानें शनिवार के दिन शनि देव की आरती और मंत्र जो शनिदेव को प्रसन्न करने में मदद करते हैं. 

शनि देव की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।। 

शनि देव के मंत्र

1. ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।

ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।

ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।

2. ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

3.अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।

दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।

गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।

आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।

4. ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।

छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

5.ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।