Salary Hike 2025: 1.2 करोड़ कर्मचारियों की सैलरी बढ़ेगी नए फॉर्मूले से, फिटमेंट फैक्टर से नहीं

क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर दरअसल एक ऐसा मल्टीप्लायर फॉर्मूला होता है, जिसके जरिए केंद्र सरकार कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन को रिवाइज करती है। मतलब यह कि मौजूदा बेसिक सैलरी को इस फैक्टर से गुणा करके नई सैलरी तय की जाती है। रिपोर्ट्स की मानें तो इस बार 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो मौजूदा बेसिक पे ₹18,000 से बढ़कर सीधा ₹51,000 हो सकता है।
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क्या सिर्फ फिटमेंट फैक्टर से ही बढ़ेगी सैलरी?
नहीं, सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा सिर्फ फिटमेंट फैक्टर से ही नहीं होता है। सैलरी में और भी कई घटक होते हैं जो इसे प्रभावित करते हैं। जैसे DA (महंगाई भत्ता), HRA (हाउस रेंट अलाउंस), TA (यात्रा भत्ता) आदि। इन सभी में बढ़ोतरी होने से कुल ग्रॉस सैलरी पर असर पड़ता है। फिटमेंट फैक्टर केवल बेसिक सैलरी को बढ़ाता है, जबकि ग्रॉस सैलरी इन सभी भत्तों और बेसिक सैलरी को जोड़कर बनती है।
पहले क्या हुआ था?
अगर हम 7वें वेतन आयोग की बात करें तो उसमें फिटमेंट फैक्टर 2.57 था और इसी के आधार पर बेसिक पे ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 हो गई थी। हालांकि, वास्तविक बढ़ोतरी ज्यादा नहीं थी। खासकर लेवल 1 से 3 के कर्मचारियों को सिर्फ 15% के आस-पास ही फायदा हुआ था। इसके विपरीत, 6वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, लेकिन कुल वेतन और पेंशन में 54% तक की बढ़ोतरी देखी गई थी। इससे यह समझना जरूरी है कि सिर्फ फिटमेंट फैक्टर ही सब कुछ तय नहीं करता।
कब से लागू होगा 8वां वेतन आयोग?
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। हालांकि, इसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं और इससे जुड़ी घोषणाएं समय-समय पर सामने आ रही हैं।
8वें वेतन आयोग से कर्मचारियों की सैलरी बढ़ना तय है, लेकिन यह सिर्फ एक फॉर्मूले पर नहीं टिका होता। फिटमेंट फैक्टर के साथ अन्य भत्तों और वेतन स्तरों का भी बड़ा रोल होता है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों को सिर्फ बेसिक सैलरी नहीं, पूरी सैलरी संरचना पर ध्यान देना चाहिए।