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Haryana: सैनी सरकार का बड़ा फैसला, हरियाणा में इन बच्चों को नहीं मिलेगा स्कूल दाखिला!

Haryana: सैनी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत हरियाणा में कुछ बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं मिलेगा। यह निर्णय उन बच्चों के लिए है, जिनके पास आधार कार्ड या जरूरी दस्तावेज नहीं हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था को व्यवस्थित करने और सही तरीके से बच्चों का रिकॉर्ड रखने के लिए उठाया गया है। इससे राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
 
 
Haryana: सैनी सरकार का बड़ा फैसला, हरियाणा में इन बच्चों को नहीं मिलेगा स्कूल दाखिला!
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Haryana update : हरियाणा सरकार ने स्कूल एडमिशन को लेकर एक नया नियम लागू किया है। अब सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पहली क्लास में दाखिला लेने के लिए बच्चे की उम्र कम से कम 6 साल होनी चाहिए। इससे कम उम्र वाले बच्चों का एडमिशन अब नहीं होगा। पिछले साल यह उम्र सीमा 5.5 साल थी, जिसे अब 6 साल कर दिया गया है। यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आधार पर लिया गया है और इसे शैक्षिक सत्र 2025-26 से लागू किया जाएगा।

अब 6 साल से छोटे बच्चों के लिए "No Entry"

अब, पहली क्लास में दाखिला सिर्फ उन्हीं बच्चों को मिलेगा जिनकी उम्र 1 अप्रैल 2025 तक 6 साल पूरी हो जाएगी। पहले यह सीमा 5 साल थी, फिर इसे 5.5 साल किया गया और अब इसे बढ़ाकर 6 साल कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि बच्चों को अब पहले से अपनी प्लानिंग करनी होगी, नहीं तो वे नर्सरी में ही रह जाएंगे और पहली क्लास में दाखिला लेने में दो साल की देरी हो सकती है।

स्कूल शिक्षा निदेशालय ने इस फैसले के बाद सख्त आदेश जारी कर दिए हैं। अब सभी जिला शिक्षा अधिकारी (DEO), स्कूल प्रिंसिपल्स और प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अब से कोई भी बच्चा 6 साल से कम उम्र में पहली क्लास में एडमिशन नहीं ले सकेगा।

सरकार ने क्यों लिया ये बड़ा फैसला?

अब यह सवाल उठता है कि आखिर सरकार ने इतनी सख्ती क्यों बढ़ा दी? इसके पीछे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) की सिफारिशें बताई जा रही हैं। इस नीति के अनुसार, बच्चे को 3 साल तक प्री-स्कूल (नर्सरी, कक्षा 1 से पहले की कक्षाएं) में रहना चाहिए और उसके बाद ही कक्षा 1 में एडमिशन लिया जाना चाहिए। पहले बच्चों को 4-5 साल की उम्र में सीधे पहली क्लास में डाल दिया जाता था, लेकिन अब सरकार ने सोचा कि बच्चों को पहले खेलो-कूदो और विकास करो, फिर पढ़ाई करो!

इस बदलाव से बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को महत्व दिया गया है, ताकि वे पहली क्लास में जाने से पहले पूरी तरह से तैयार हों। यह कदम बच्चों की सीखेने की क्षमता और समझ को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है। अब बच्चों को पहले प्री-स्कूल क्लासेज में समय बिताने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी बेसिक पढ़ाई मजबूत होगी और स्कूल में उनका अनुभव भी सकारात्मक रहेगा।