Property rules : पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी? जानें, किसे मिलेगा मालिकाना हक!

कब नहीं मिलेगा परिवार को हक?
अगर महिला गृहिणी है और उसकी स्वयं की कोई कमाई का स्रोत नहीं है, तो वह संपत्ति संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति मानी जाएगी, और परिवार के अन्य सदस्यों का भी उस पर अधिकार होगा. हालांकि, यदि महिला यह साबित कर देती है कि संपत्ति उसने अपनी व्यक्तिगत आय से खरीदी है, तो उस पर केवल उसी का अधिकार होगा.
पिता की संपत्ति में बेटे ने मांगा हिस्सा
इस मामले में याचिकाकर्ता सौरभ गुप्ता ने अपने पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति में एक चौथाई हिस्से की मांग करते हुए सिविल मुकदमा दायर किया था. उनका तर्क था कि चूंकि संपत्ति उनकी मां के नाम पर खरीदी गई थी, यह संपत्ति संयुक्त रूप से परिवार की संपत्ति मानी जानी चाहिए. उन्होंने अदालत से अपील की कि इस संपत्ति को किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित करने पर रोक लगाई जाए.
मां ने दी संपत्ति पर अधिकार की सफाई
मामले में याचिकाकर्ता की मां ने अदालत में बयान दिया कि संपत्ति उनके पति ने उपहार स्वरूप दी थी, क्योंकि उनकी अपनी कोई आय नहीं थी. उन्होंने यह तर्क दिया कि उनके पति ने यह संपत्ति पारिवारिक भलाई के लिए उनके नाम पर खरीदी थी.
निचली अदालत का फैसला और हाईकोर्ट की टिप्पणी
निचली अदालत ने अंतरिम निषेधाज्ञा जारी करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद बेटे ने हाईकोर्ट में अपील दायर की. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि पत्नी की स्वयं की आय का कोई प्रमाण नहीं है, तो वह संपत्ति संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति मानी जाएगी, और ऐसे मामलों में परिवार के सभी सदस्यों का अधिकार होगा.
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम क्या कहता है?
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत, यदि संपत्ति पति के नाम पर खरीदी गई हो और बाद में पत्नी के नाम पर स्थानांतरित की गई हो, तो इसे पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा, और इस पर परिवार के अन्य सदस्यों का दावा होगा.
भविष्य में इस फैसले का प्रभाव
हाईकोर्ट का यह फैसला भविष्य में पारिवारिक संपत्ति से जुड़े विवादों में एक मिसाल बनेगा. यह निर्णय उन मामलों में भी लागू हो सकता है, जहां पति ने अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदी हो, लेकिन इसका उपयोग पूरा परिवार कर रहा हो.