Property : क्या दामाद को ससुर की संपत्ति में अधिकार मिलता है? जानिए कानून क्या कहता है
कब मिलता है दामाद को संपत्ति में हिस्सा?
कई बार दामाद अपने ससुराल में घर बनाने या अन्य खर्चों में योगदान देते हैं, जिससे उन्हें यह लगने लगता है कि उनका उस घर या संपत्ति पर हक बनता है। लेकिन अगर संपत्ति सास-ससुर के नाम पर है, तो कानून के अनुसार दामाद को उस पर कोई कानूनी अधिकार नहीं मिलता।
हालांकि, अगर सास-ससुर अपनी मर्जी से संपत्ति दामाद के नाम पर कर देते हैं, तो ही वह उस संपत्ति के कानूनी मालिक बन सकते हैं। इसके लिए संपत्ति का उचित कानूनी रूप से ट्रांसफर किया जाना आवश्यक होता है।
दामाद को संपत्ति ट्रांसफर करने के कानूनी तरीके
भारत में संपत्ति के अधिकार को स्थानांतरित करने के लिए कुछ कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी होता है। ससुर अपनी संपत्ति को निम्नलिखित तरीकों से दामाद के नाम कर सकते हैं:
- गिफ्ट डीड (Gift Deed)
- सेल डीड (Sale Deed)
- वसीयत (Will)
इन तीनों विधियों से संपत्ति का मालिकाना हक दामाद को दिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए रजिस्ट्रेशन एक्ट और ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के प्रावधानों का पालन करना जरूरी होता है।
गिफ्ट डीड के जरिए संपत्ति ट्रांसफर
गिफ्ट डीड वह कानूनी दस्तावेज है जिसके माध्यम से संपत्ति को बिना किसी पैसे के लेन-देन के दामाद के नाम किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:
- गिफ्ट डीड का मसौदा
- आईडी प्रूफ
- प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स
- स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान प्रमाण
- नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC)
गिफ्ट डीड के रजिस्ट्रेशन के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्टाम्प शुल्क का भुगतान करना जरूरी होता है। यह राशि अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकती है।
सेल डीड के माध्यम से संपत्ति हस्तांतरण
अगर ससुर संपत्ति को दामाद के नाम पर बेचना चाहते हैं, तो इसके लिए सेल डीड तैयार करनी होगी। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं:
- ससुर और दामाद के बीच संपत्ति की कीमत और शर्तों पर सहमति बनती है।
- दोनों पक्ष एक वकील की सहायता से सेल डीड तैयार करते हैं।
- दामाद तय की गई राशि का भुगतान करता है।
- दोनों पक्षों को रजिस्ट्रार ऑफिस में उपस्थित होकर सेल डीड को रजिस्टर्ड करवाना होता है।
- अंत में, संपत्ति के रेकॉर्ड में नए मालिक के रूप में दामाद का नाम दर्ज किया जाता है।
यह विधि कानूनी रूप से संपत्ति का मालिक बदलने का सबसे सुरक्षित तरीका है, क्योंकि इसमें वित्तीय लेन-देन स्पष्ट रूप से दर्ज होता है।
वसीयत के जरिए संपत्ति ट्रांसफर
अगर सास-ससुर अपनी संपत्ति दामाद को देना चाहते हैं, तो वे एक वसीयत तैयार कर सकते हैं। वसीयत में यह स्पष्ट किया जाता है कि संपत्ति का उत्तराधिकारी कौन होगा।
वसीयत तैयार करने की प्रक्रिया:
- संपत्ति का संपूर्ण विवरण वसीयत में दर्ज किया जाता है।
- इसमें संपत्ति प्राप्त करने वाले व्यक्ति (दामाद) का नाम स्पष्ट रूप से लिखा जाता है।
- वसीयत पर ससुर या संपत्ति के मालिक के हस्ताक्षर होने जरूरी होते हैं।
- इसे दो स्वतंत्र गवाहों के सामने साइन करवाना आवश्यक होता है।
- वसीयत को रजिस्टर करवाने की सिफारिश की जाती है ताकि भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में इसे कानूनी मान्यता प्राप्त हो।
वसीयत रजिस्टर न करवाई जाए तो भी यह मान्य होती है, लेकिन विवाद की स्थिति में इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
संपत्ति ट्रांसफर पर लगने वाला शुल्क
संपत्ति के ट्रांसफर के लिए कुछ शुल्क देने पड़ते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- गिफ्ट डीड पर स्टाम्प ड्यूटी (राज्य सरकार के अनुसार भिन्न)
- सेल डीड पर स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क
- वसीयत पर कोई स्टाम्प ड्यूटी नहीं लगती, लेकिन रजिस्ट्रेशन शुल्क देना पड़ सकता है
संपत्ति म्यूटेशन (Mutation) का नियम
जब संपत्ति का स्वामित्व बदलता है, तो म्यूनिसिपल अथॉरिटी या रेवेन्यू डिपार्टमेंट में उसका रिकॉर्ड अपडेट कराना जरूरी होता है। इसे म्यूटेशन कहा जाता है।
म्यूटेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज:
- वसीयत या गिफ्ट डीड की प्रति
- संपत्ति का मूल दस्तावेज
- मालिक के मृत्यु प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
- वारिस प्रमाण पत्र (Legal Heir Certificate)
- संपत्ति कर का भुगतान प्रमाण
क्या दामाद को ससुराल की पैतृक संपत्ति में अधिकार मिल सकता है?
भारत के उत्तराधिकार कानून के अनुसार, दामाद को ससुराल की पैतृक संपत्ति में कोई कानूनी अधिकार नहीं होता। पैतृक संपत्ति केवल ससुर की संतान को मिलती है, न कि उनके दामाद को।
हालांकि, अगर ससुर अपनी संपत्ति को गिफ्ट डीड, सेल डीड या वसीयत के जरिए दामाद के नाम कर देते हैं, तो वह संपत्ति का मालिक बन सकता है।
कानूनी रूप से दामाद को ससुराल की संपत्ति में कोई स्वाभाविक अधिकार नहीं मिलता है। लेकिन अगर ससुर अपनी मर्जी से संपत्ति दामाद के नाम कर दें, तो वह उसका कानूनी मालिक बन सकता है। इसके लिए गिफ्ट डीड, सेल डीड या वसीयत का उपयोग किया जा सकता है।
अगर आप संपत्ति से जुड़े किसी कानूनी मामले में हैं, तो सही मार्गदर्शन के लिए किसी कानूनी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।