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Property Rules : रजिस्ट्री करवाने वाले जरूर करवाएँ ये काम

Property Rules : अगर आप प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाने जा रहे हैं, तो यह जरूरी काम करना न भूलें। रजिस्ट्री के बाद तुरंत म्यूटेशन करवाएं, ताकि प्रॉपर्टी कानूनी रूप से आपके नाम पर दर्ज हो सके। म्यूटेशन न होने पर भविष्य में कानूनी दिक्कतें आ सकती हैं। इसके अलावा, स्टांप ड्यूटी और अन्य दस्तावेजों की सही जांच करना भी बेहद जरूरी है। जानें पूरी प्रक्रिया और जरूरी नियम। नीचे जानें पूरी डिटेल।
 
Property Rules : रजिस्ट्री करवाने वाले जरूर करवाएँ ये काम 
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Haryana Update : जब आप किसी Property को खरीदते हैं, तो Registry कराने का काम एक महत्वपूर्ण कदम होता है, जिससे Property के मालिकाना हक को कानूनी रूप से आपके नाम ट्रांसफर किया जा सके। लेकिन कई लोग Registry करवाने के बाद एक और अहम काम करना भूल जाते हैं, जो बाद में बड़े विवाद और मुसीबत का कारण बन सकता है। सिर्फ Registry करवा लेना पर्याप्त नहीं होता – Property का नामांतरण या म्यूटेशन भी करवाना जरूरी है, जिससे आपके नाम पर रिकॉर्ड में Property का असली स्वामित्व दर्ज हो सके।

Registry के बाद का अहम कदम: म्यूटेशन  


Registry प्रक्रिया केवल यह साबित करती है कि लेन-देन हुआ है और Property का स्वामित्व ट्रांसफर हुआ है। लेकिन जब तक पुराना नाम हटाकर नया नाम सरकारी रिकॉर्ड में अपडेट नहीं हो जाता, तब तक आपको Property का पूर्ण अधिकार नहीं मिलता। इसे म्यूटेशन कहते हैं, जिसमें पुराने मालिक का नाम हटाकर आपके नाम से Property का रिकॉर्ड अपडेट हो जाता है। अगर यह प्रक्रिया न की गई, तो भविष्य में Property को लेकर कानूनी झंझट और विवाद हो सकते हैं – जैसे कि कोई व्यक्ति Property को दो बार बेच देना या Loan लेना। इसीलिए Registry के बाद म्यूटेशन कराना नितांत जरूरी है।

क्यों जरूरी है सही दस्तावेजों का होना?  


Property खरीदने से पहले कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच करना बहुत जरूरी होता है। इससे न केवल आप किसी भी कानूनी विवाद से बच सकते हैं, बल्कि भविष्य में होने वाली समस्याओं से भी सुरक्षित रहेंगे। आइए, जानते हैं कौन-कौन से दस्तावेज़ आपके लिए अनिवार्य हैं:

1. टाइटल डीड:  
   टाइटल डीड वह दस्तावेज़ होता है जो यह प्रमाणित करता है कि Property आपके नाम पर कानूनी तौर पर है। इसे अच्छी तरह से जांचना चाहिए, और वकील से इसकी प्रमाणिकता सुनिश्चित करानी चाहिए। इससे यह पता चलता है कि Property पर किसी प्रकार का कानूनी विवाद या दावा तो नहीं है। सही टाइटल डीड होने से आप भविष्य में किसी भी झंझट से बच सकते हैं।

2. Loan पेपर्स :  
   Property खरीदते समय यह भी जांचना जरूरी है कि उस Property पर कोई बकाया Loan या वित्तीय जिम्मेदारी तो नहीं है। सभी Loan पेपर्स और वित्तीय दस्तावेजों की जांच करके यह सुनिश्चित करें कि Property साफ-सुथरी है। बिना पूरी जानकारी के Property में निवेश करने से आपको भविष्य में भारी वित्तीय और कानूनी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।

3. Property के लेआउट और नक्शे:  
   Property के लेआउट पेपर्स, नक्शे और जमीन का सटीक विवरण भी आपके पास होना चाहिए। इससे आपको यह पता चलता है कि Property की वास्तविक सीमाएँ क्या हैं और आसपास की जमीन का विवरण भी उपलब्ध है। यह जानकारी भविष्य में किसी भी विवाद से बचाने में मददगार साबित होती है।

4. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC):  
   किसी भी प्रॉपर्टी सौदे से पहले अनापत्ति प्रमाणपत्र या NOC लेना बेहद जरूरी है। खासकर यदि आप फ्लैट या सोसायटी से जुड़ी Property खरीदने का मन बना रहे हैं, तो सोसायटी या टावर के नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट की भी जानकारी ले लें। इससे यह सुनिश्चित होता है कि Property पर किसी भी प्रकार का आपत्ति या कानूनी रोक तो नहीं है।

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रिकॉर्ड अपडेट और कानूनी स्वामित्व  
Registry और म्यूटेशन के बाद, जब सरकारी रिकॉर्ड में आपके नाम पर Property का पूर्ण विवरण अपडेट हो जाता है, तभी आपको Property का असली कानूनी अधिकार मिलता है। यदि रिकॉर्ड अपडेट नहीं हुआ, तो पुराने मालिक के अधिकार बने रह सकते हैं, जिससे भविष्य में Property को लेकर विवाद उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, Property खरीदते समय न केवल Registry कराएं, बल्कि म्यूटेशन और अन्य जरूरी दस्तावेजों को भी समय पर पूरा कर लें।