क्या गोद लिए बच्चे को असली माता-पिता की संपत्ति मिलेगी? क्या उनके अधिकार अलग होंगे?
Property Rights: गोद लिए हुए बच्चे को संपत्ति में अधिकार मिल सकते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है। ज्यादातर मामलों में, गोद लेने वाले माता-पिता की संपत्ति में उन्हें अधिकार मिलता है। हालांकि, असली माता-पिता से संपत्ति मिलने की संभावना भी कुछ कानूनी शर्तों पर निर्भर करती है।
Haryana Update, digital desk: बच्चे को अपने माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार है। हिंदू सक्सेशन कानून के अनुसार, बच्चे का जन्म होते ही माता-पिता की पुश्तैनी संपत्ति में कोपार्सनर यानी हिस्सेदार बन जाता है। लेकिन गोद लिए हुए बच्चों की संपत्ति में अधिकार को लेकर लोगों में बहुत मतभेद है।
गोद लिए गए बच्चों को अपने अधिकारों का पता नहीं होता और माता-पिता की मौत के बाद उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। भारत के कानून में गोद लिए गए बच्चों को समान अधिकार दिए गए हैं, लेकिन कई बार माता-पिता के जाने के बाद रिश्तेदार उनसे बुरा व्यवहार करते हैं।
गोद लेने वाले बच्चों का संपत्ति पर क्या अधिकार है?
हिंदू सक्सेशन एक्ट हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म के लोगों पर लागू होता है। इस कानून के अनुसार, जन्म के साथ ही एक बच्चा परिवार की संपत्ति में कोपार्सनर यानी हिस्सेदार बन जाता है। कानून हिस्सेदारी में लिंग के आधार पर विभेद नहीं करता, यानी लड़का और लड़की दोनों एक समान हिस्सेदारी के मालिक हैं। गोद लिए बच्चों की बात करें तो अडॉप्शन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गोद लिया बच्चा भी संपत्ति का हिस्सा बन जाता है। उसे परिवार में पैदा हुए बच्चों के बराबर अधिकार मिलते हैं। यदि बच्चे के अडॉप्टिव पिता ने अपनी मौत से पहले कोई वसीयत नहीं छोड़ी है, तो बच्चे को अपनी पुश्तैनी संपत्ति और खुद कमाई गई संपत्ति में बराबर हक मिलेगा।
क्या बच्चा अपने जन्म के परिवार की सम्पत्ति का हकदार है?
बच्चे को अडॉप्शन के बाद अपने जन्म के परिवार की सपंत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। इस मामले में, उसे अपने जन्म के परिवार से संपत्ति केवल तब प्राप्त हो सकती है जब उसके माता-पिता वसीयत बनाकर जाएं। इस मामले में, माता-पिता बच्चे के नाम पर अपनी खुद की कमाई की संपत्ति दे सकते हैं।
गोद लिए गए बच्चों के अधिकार पर पर्सनल लॉ क्या कहता है?
ईसाई, पारसी, मुस्लिम,और यहूदी धर्मों में अडॉप्शन की अनुमति नहीं है, जिनके अपने पर्सनल लॉ हैं। लेकिन गार्जियन एंड वार्ड एक्ट, 1890 के तहत उन्हें बच्चों की गार्जियनशिप लेने का अधिकार है। इसमें परिवार में जन्मे बच्चों की तुलना में बच्चों को बराबर अधिकार नहीं मिलता। इस कानून के तहत, बच्चे के 21 साल के होने तक उसके गार्जियंस की पूरी परवरिश की जिम्मेदारी होती है।
इस मामले में बच्चों को पुश्तैनी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। हालाँकि, माता-पिता चाहें तो वसीयत बनाकर अपनी खुद की संपत्ति को उनके नाम कर सकते हैं।
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