क्या मृत्यु के बाद आपका नॉमिनी बनता है संपत्ति का मालिक? जानें कानून क्या कहता है!
क्या मृत्यु के बाद नॉमिनी आपकी संपत्ति का मालिक बन जाता है? जानिए भारतीय कानून के अनुसार नॉमिनी के अधिकार और असली हकदार कौन होता है।

Haryana update : जब आप किसी बैंक खाता खोलते हैं, बीमा पॉलिसी खरीदते हैं या किसी संपत्ति में निवेश करते हैं, तो अक्सर नॉमिनी (नामांकित व्यक्ति) की जानकारी देने के लिए कहा जाता है। नॉमिनी वह व्यक्ति होता है, जिसे खाताधारक या निवेशक की मृत्यु के बाद उस खाते या पॉलिसी से मिलने वाली राशि का अधिकार होता है। लेकिन क्या वाकई नॉमिनी संपत्ति का असली मालिक बन जाता है? यह एक बड़ा सवाल है, जिसे समझना जरूरी है।
क्या नॉमिनी संपत्ति का मालिक बनता है?
नॉमिनी का काम केवल एक ट्रस्टी (संरक्षक) के रूप में संपत्ति की देखभाल करना होता है। वह असल मालिक नहीं होता। कानूनी रूप से, संपत्ति का असली मालिक वह व्यक्ति होता है, जिसे वसीयत में कानूनी उत्तराधिकारी घोषित किया गया है। यदि वसीयत में नॉमिनी का नाम कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में लिखा है, तो ही वह संपत्ति का अधिकार पा सकता है। अन्यथा, नॉमिनी को केवल खाते से पैसा निकालने या संपत्ति की देखभाल करने का अधिकार मिलता है।
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नॉमिनी कौन होता है?
नॉमिनी केवल संपत्ति का देखभालकर्ता होता है। उसका काम संपत्ति को असली मालिक या कानूनी उत्तराधिकारी तक पहुँचाना होता है। उदाहरण के लिए, अगर पति ने अपनी पत्नी को नॉमिनी बनाया है, तो पत्नी केवल संपत्ति की देखभाल करेगी, न कि उसकी मालिक बनेगी। अगर पति के कानूनी उत्तराधिकारी अलग हैं, तो उन्हें ही संपत्ति का अधिकार मिलेगा।
भारत में नॉमिनी से जुड़े कानूनी नियम
भारत में नॉमिनी से जुड़े कानून संपत्ति के प्रकार के अनुसार भिन्न होते हैं।
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बैंक खाते और सावधि जमा - भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, नॉमिनी केवल ट्रस्टी होता है। खाताधारक की मृत्यु के बाद नॉमिनी बैंक से पैसा निकाल सकता है, लेकिन अगर कानूनी उत्तराधिकारी वसीयत के अनुसार दावा करता है, तो उसे वह रकम मिल सकती है।
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बीमा पॉलिसी - बीमा अधिनियम 1938 के अनुसार, बीमा कंपनी नॉमिनी को बीमा राशि सौंपती है। लेकिन कानूनी उत्तराधिकारी भी इस पर दावा कर सकते हैं।
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शेयर और निवेश - कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार, शेयरधारक की मृत्यु के बाद उसके शेयर नॉमिनी को ट्रांसफर हो जाते हैं। हालांकि, कानूनी उत्तराधिकारी अदालत में दावा करके इसे प्राप्त कर सकते हैं।
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रियल एस्टेट (फ्लैट और संपत्ति) - भारत के सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हाउसिंग सोसाइटी में नॉमिनी सिर्फ देखभालकर्ता होता है, असली मालिक नहीं। संपत्ति का असली अधिकार कानूनी उत्तराधिकारी को ही मिलता है।
कानूनी उत्तराधिकारी कौन होते हैं?
कानूनी उत्तराधिकारी वे होते हैं, जो वसीयत में नामित होते हैं या कानून के अनुसार हकदार होते हैं। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार, कानूनी उत्तराधिकारी को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है:
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कैटगरी 1: पति/पत्नी, बच्चे और माँ को प्राथमिकता मिलती है।
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कैटगरी 2: अगर पहले श्रेणी में कोई नहीं है, तो पिता, नाती-नातिन, और भाई-बहन को अधिकार मिलता है।
संपत्ति का सही तरीके से ट्रांसफर कैसे सुनिश्चित करें?
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वसीयत बनवाना जरूरी है, जिसमें संपत्ति के कानूनी उत्तराधिकारी का जिक्र हो।
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वसीयत में साफ तौर पर उल्लेख करें कि किसे कितना हिस्सा मिलेगा।
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नॉमिनी के रूप में भरोसेमंद व्यक्ति का चयन करें, ताकि आपकी अनुपस्थिति में वह सही तरीके से संपत्ति का प्रबंधन कर सके।
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समय-समय पर अपनी वसीयत को अपडेट करते रहें।
नॉमिनी का अधिकार केवल संपत्ति की देखभाल तक सीमित होता है, वह असली मालिक नहीं होता। असली अधिकार कानूनी उत्तराधिकारी को मिलता है, जो वसीयत या कानून द्वारा निर्धारित होते हैं। इसलिए, संपत्ति के हस्तांतरण के लिए सही कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।