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IPS की नौकरी छोड़ राधा-कृष्ण भक्ति में हुए लीन, वर्दी को छोड़ पीताबंर वस्त्र किये धारण, जानिए पूरी स्टोरी

IPS Officers Story: कृष्ण की धुन ऐसी लगी कि अपनी वर्दी को छोड़ वे पीताबंर धारी हो गए. किसी ने राधा का रूप धारण किया तो कोई कथावाचक बन गया. वहीं, कुछ ने तो कृष्ण प्रेम में अपना नाम तक बदल लिया.आज हम आपको ऐसे ही कुछ पुलिस अधिकारी के बारे में बता रहे हैं. 

 
IPS Officers Story

IPS Officers Story:  कृष्ण भक्ति का रंग जिस किसी पर भी चढ़ता है, फिर वो पूरी तरह से राधा-कृष्ण का ही हो जाता है. इसके कई उदाहरण देखने को मिलते हैं. आम लोगों को तो कृष्ण प्रेम में डूबते आपने भी देखा ही होगा, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं आईपीएस बनकर भी संतुष्ट नहीं हुए.

पुलिस की नौकरी में उनका मन नहीं लगा और उन्हें कृष्ण की धुन ऐसी लगी कि अपनी वर्दी को छोड़ वे पीताबंर धारी हो गए. किसी ने राधा का रूप धारण किया तो कोई कथावाचक बन गया. वहीं, कुछ ने तो कृष्ण प्रेम में अपना नाम तक बदल लिया.आज हम आपको ऐसे ही कुछ पुलिस अधिकारी के बारे में बता रहे हैं. 

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डीके पांडा - वर्दी उतारकर कृष्ण की शरण में जाने वाले पुलिस ऑफिसर में डीके पांडा का नाम भी शामिल है, जो 1971 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी थे. अपनी सर्विस के दौरान वह कृष्ण भक्ति में लीन रहने लगे था, कृष्ण प्रेम में वह ऐसे डूबे कि ड्यूटी के दौरान ही महिलाओं की तरह रहने लगे थे. इसक बाद उन्होंने साल 2005 में वीआरएस ले लिया. अब वह अपना राधा का अवतार छोड़कर बाबा कृष्णानंद नाम धारण कर चुके हैं. 

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भारती अरोड़ा - भारती अरोड़ा हरियाणा कैडर की आईपीएस थीं. भारती को एक दबंग पुलिस अधिकारी के तौर पर जाना जाता है. उन्होंने अपने रिटायरमेंट से 10 साल पहले 2021 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. वीआरएस के लिए भेजे गए पत्र में इशकी वजह बताते हुए लिखा था कि वह चैतन्य महाप्रभु, कबीरदास और मीराबाई की तरह कृष्ण भक्ति करना चाहती हैं.

गुप्तेश्वर पांडेय - बिहार पुलिस के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है. उन्होंने सितंबर 2020 में वीआरएस लिया और भक्ति की राह पर चल पड़े. वीआरएस लेने के एक साल पहले ही उन्हें साल 2019 में बिहार पुलिस का डीजीपी नियुक्त किया गया था. पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय अब एक कथावाचक हैं. 

कुणाल किशोर - इसके बाद नाम आता है कुणाल किशोर का, जिनकी छवि भी एक दबंग आईपीएस की रह चुकी है. इतनी अच्छी और पावरफुल नौकरी में उनका मन नहीं लगा क्योंकि वह कृष्ण भक्ति में मन लगा चुके थे और वह पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर से जुड़ गए. कुणाल किशोर संस्कृत के विद्वान हैं और केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रह चुके हैं.

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