Income Tax: खेती से कमाई बताकर टैक्स बचाने वालों की अब खैर नहीं, विभाग की कड़ी निगरानी!

कृषि आय का दुरुपयोग: अनदेखी से लेकर धोखाधड़ी तक Income Tax
कई समय से लोग टैक्स बचाने के लिए कृषि से हुई आय और भूमि बिक्री का सहारा ले रहे हैं। कई बार इन मामलों में काले धन को सफेद दिखाने के लिए भी इन आय का इस्तेमाल किया जाता रहा है। अब आयकर विभाग ने देशभर में इन मामलों की जांच शुरू कर दी है। खासकर उन मामलों पर ध्यान दिया जा रहा है, जहां बिना वास्तविक भूमि स्वामित्व के लोग 50 लाख रुपये या उससे अधिक की कृषि आय दिखा रहे हैं। साथ ही, ऐसे दावे भी देखने को मिल रहे हैं, जहाँ प्रति एकड़ 5 लाख रुपये की कृषि आय घोषित की जाती है, जो सामान्य आंकड़ों के अनुरूप नहीं बैठती। इस तरह की अनियमितताओं की जांच में राजनेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों की भी शामिल होने की संभावना है, जिससे बड़ी मछलियां भी पकड़ में आ सकती हैं।
जांच का दायरा और संभावित धोखाधड़ी Income Tax
आयकर और जीएसटी कानूनों के तहत, खेती से हुई कमाई पर टैक्स और छूट दोनों ही प्रदान की जाती हैं। हाल ही में एक जांच में यह देखा गया कि कुछ संस्थाएं अपने आयकर रिटर्न में 50 लाख रुपये से अधिक कृषि आय का दावा कर रही थीं। विभाग को संदेह है कि ऐसे दावों में गड़बड़ी छिपी हो सकती है और संभवतः धोखाधड़ी का भी आरोप लगाया जा सकता है। इसी आधार पर विभाग ने विशेष अभियान शुरू किया है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि इन दावों में कोई नियमों का उल्लंघन न हो। जल्द ही ऐसे मामलों में चौंकाने वाले परिणाम सामने आने की उम्मीद है।
बचाव के लिए जरूरी कदम Income Tax
कृषि गतिविधियों से जुड़ी आय का दावा करते समय किसानों और संबंधित संस्थाओं को अपने कृषि कार्यों के प्रमाणिक दस्तावेज प्रस्तुत करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। इसके लिए उपग्रह चित्रों का उपयोग किया जाता है, जिससे यह सत्यापित किया जा सके कि भूमि पर वास्तविक कृषि गतिविधियाँ हो रही हैं। दूसरी ओर, यदि कृषि के अलावा अन्य स्रोतों से आय हो रही है – जैसे कि भूमि का विकास, शहरों में कृषि भूमि की बिक्री, फार्महाउस का किराये पर दिया जाना या पोल्ट्री फार्मिंग जैसी गतिविधियाँ – तो ऐसी आय टैक्स छूट के दायरे में नहीं आती। इन आय स्रोतों के लिए नियमों के अनुसार कर का भुगतान करना अनिवार्य होता है।
कब और कैसे मिल सकती है टैक्स में छूट Income Tax
कृषि से होने वाली आय में खेतों से प्राप्त उत्पादों की बिक्री या कृषि भूमि के किराये की राशि शामिल हो सकती है। इसके अलावा, कुछ विशेष क्षेत्रों में जहाँ जनसंख्या का आकार कम होता है, वहां खेती की जमीन से होने वाली आय पर टैक्स में छूट दी जाती है। कृषि भूमि की बिक्री से प्राप्त लाभ को भी कर मुक्त माना जा सकता है, बशर्ते कि वह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(14)(iii) के तहत विशेष श्रेणी में न आए। यदि भूमि के लेन-देन का रिकॉर्ड ठीक से नहीं रखा जाता, तो बिक्री को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है, लेकिन यदि सभी दस्तावेज सही तरीके से प्रस्तुत किए जाएं, तो यह साबित किया जा सकता है कि सौदा वैध रूप से संपन्न हुआ था।