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Property Document : ये डॉक्युमेंट्स हैं प्रॉपर्टी की जन्म कुंडली, बिना इसके मुश्किल हो सकती है खरीद-बिक्री!

Property Document : प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री में यह कागजात सबसे जरूरी माने जाते हैं। इसे प्रॉपर्टी की जन्म कुंडली कहा जाता है, क्योंकि इससे जमीन या मकान के मालिकाना हक और कानूनी स्थिति की पुष्टि होती है। रजिस्ट्री, म्युटेशन सर्टिफिकेट और एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेजों की पड़ती है जरूरत। जानें कौन-कौन से कागजात रखना है जरूरी। नीचे जानें पूरी डिटेल।
 
 
Property Document : ये डॉक्युमेंट्स हैं प्रॉपर्टी की जन्म कुंडली, बिना इसके मुश्किल हो सकती है खरीद-बिक्री!
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Haryana update, Property Document : आजकल प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ इससे जुड़े फ्रॉड के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं। कई बार प्रॉपर्टी खरीदने वाले का पूरा पैसा फंस जाता है, लेकिन वह उस जमीन या मकान का असली हकदार नहीं बन पाता। ऐसे में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate - EC) एक बेहद महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज़ के रूप में सामने आता है, जो आपको इस तरह के फ्रॉड से बचने में मदद करता है। यह सर्टिफिकेट उतना ही जरूरी है जितनी किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्रेशन, क्योंकि यह प्रमाणित करता है कि जिस संपत्ति को आप खरीदने जा रहे हैं, वह कानूनी पचड़ों और वित्तीय बोझ से मुक्त है।

एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में क्या जानकारी होती है? Property Document

एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में आपको निम्नलिखित जानकारियाँ मिल जाती हैं:

  • मालिकाना हक: यह दिखाता है कि प्रॉपर्टी का मालिक कौन है।
  • थर्ड पार्टी क्लेम: यह प्रमाणित करता है कि संपत्ति पर किसी तीसरे पक्ष का कोई दावा या विवाद नहीं है।
  • मुकदमे और लोन: इसमें यह भी दर्ज होता है कि संपत्ति पर कोई मुकदमा चल रहा है या कोई लोन लेना हुआ है। अगर लोन लिया गया है, तो यह भी बताया जाता है कि वह चुकाया गया है या नहीं।
  • ट्रांजैक्शन हिस्ट्री: यह दस्तावेज़ यह भी बताता है कि संपत्ति कब से बनी है, इसके कितने ट्रांजैक्शन हो चुके हैं और अब तक कितने लोगों के पास रही है।

इस प्रकार, एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट आपके लिए यह सुनिश्चित करता है कि जो प्रॉपर्टी आप खरीद रहे हैं, वह हर प्रकार के कानूनी और वित्तीय पचड़ों से मुक्त है।

प्रॉपर्टी सौदे में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की भूमिका Property Document

जब आप किसी प्रॉपर्टी के सौदे में प्रवेश करते हैं, तो यह दस्तावेज़ बहुत जरूरी हो जाता है। यह न केवल मालिक के अधिकार का प्रमाण होता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि संपत्ति पर कोई भी अवैध क्लेम या दायित्व नहीं है। इसके आधार पर ही बैंक या होम लोन देने वाले संस्थान भी आपकी लोन एप्लिकेशन को मंजूरी देते हैं। अगर आप अपने प्रॉविडेंट फंड से भी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए पैसा निकालते हैं, तो आपका नियोक्ता भी एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की मांग कर सकता है। साथ ही, प्रॉपर्टी डील पूरी करते समय खरीददार को यह सर्टिफिकेट दिखाना अनिवार्य होता है।

एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट कैसे बनवाएं? Property Document

भारत के तमाम राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी आदि में एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट ऑनलाइन भी अप्लाई किया जा सकता है। इसके लिए आपको संबंधित राज्य की सरकार की वेबसाइट पर जाना होता है और ऑनलाइन आवेदन करना होता है। वहीं, अगर आप ऑफलाइन प्रक्रिया अपनाना चाहते हैं, तो अपने क्षेत्र के तहसीलदार कार्यालय में जाकर आवेदन फॉर्म भरना होगा। इस प्रक्रिया में आपको कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होते हैं, जैसे कि:

  • आपके पते का प्रमाण (एड्रेस प्रूफ)
  • प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी
  • यदि संपत्ति के लिए डीड बनाई गई है, तो उसकी कॉपी

आवेदन जमा करने के बाद एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी होने में आमतौर पर 15 से 30 दिनों का समय लगता है। साथ ही, आप यह सर्टिफिकेट 12 से लेकर 30 सालों तक का भी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे यह देखा जा सके कि कितने सालों से संपत्ति पर ट्रांजैक्शन हो रहे हैं।

यदि आप इस साल में प्रॉपर्टी खरीदने का मन बना रहे हैं, तो एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के बारे में पूरी जानकारी रखना बेहद जरूरी है। यह न केवल आपके निवेश को सुरक्षित रखने में मदद करता है, बल्कि आपको यह भी सुनिश्चित करने में सहायक होता है कि आप जिस प्रॉपर्टी में निवेश कर रहे हैं, वह कानूनी और वित्तीय बोझ से मुक्त है। प्रॉपर्टी खरीदते समय इस दस्तावेज़ को अनदेखा करना महंगा पड़ सकता है, इसलिए समझदारी से काम लेते हुए इस महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट की जानकारी जरूर हासिल करें।