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"हावड़ा ब्रिज: दुनिया का छठा सबसे लंबा कैंटिलीवर ब्रिज, जानें इसके हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य"

हावड़ा ब्रिज के रोचक तथ्य और पूरी जानकारी

 
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हावड़ा ब्रिज, जिसे रवींद्र सेतु भी कहा जाता है, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है। यह कोलकाता शहर और हावड़ा को जोड़ने वाला एक प्रतिष्ठित पुल है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त और इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:

1. निर्माण का इतिहास
निर्माण वर्ष: 1937 में शुरू हुआ और 1943 में पूरा हुआ।
निर्माण सामग्री: यह पुल स्टील से बना है, जिसमें 26,500 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ।
डिजाइन: इस पुल को कैंटिलीवर ब्रिज की शैली में डिजाइन किया गया।
डिजाइनर: पुल का डिज़ाइन मेसर्स रेंडल, पामर और ट्रिटन द्वारा किया गया था।
निर्माण कंपनी: ब्रैथवेट, बर्न एंड जेसप कंस्ट्रक्शन कंपनी ने इसे बनाया।

2. भौगोलिक और तकनीकी विशेषताएं
लंबाई: पुल की कुल लंबाई 705 मीटर (2,313 फीट) है।
चौड़ाई: पुल की चौड़ाई 71 फीट है।
नदी: यह गंगा नदी की एक शाखा हुगली नदी पर बना है।
कैंटिलीवर ब्रिज: यह दुनिया का छठा सबसे लंबा कैंटिलीवर ब्रिज है।

3. यातायात और उपयोग
दैनिक यातायात: इस पुल से रोजाना करीब 1,00,000 वाहन और 1.5 लाख पैदल यात्री गुजरते हैं।
पानी के जहाज: पुल के नीचे से प्रतिदिन कई जहाज और बोट गुजरती हैं।
यह कोलकाता के दो मुख्य रेलवे स्टेशनों (हावड़ा और सियालदह) को जोड़ने का काम करता है।

4. नामकरण और महत्त्व
इसे रवींद्र सेतु नाम 1965 में नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर के सम्मान में दिया गया।
यह कोलकाता की पहचान और एक ऐतिहासिक धरोहर है।

5. रोचक तथ्य
पिलर-फ्री ब्रिज: यह बिना पिलर के एक ऐसा पुल है जो नदी पर खड़ा है।
वॉर टाइम स्ट्रक्चर: इसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी हमलों के दौरान बनाया गया था।
नो नट्स एंड बोल्ट्स: इस पुल को जोड़ने के लिए रिवेट्स का इस्तेमाल हुआ है, न कि नट और बोल्ट का।
लाइटिंग सिस्टम: इसे आधुनिक एलईडी लाइट्स से सजाया गया है, जिससे यह रात के समय और भी भव्य दिखता है।

6. संरक्षण और चुनौतियां
जंग का खतरा: हावड़ा ब्रिज पर प्रतिदिन बढ़ते यातायात और प्रदूषण के कारण जंग लगने की समस्या होती है।
पक्षियों का मल: पक्षियों के मल में मौजूद एसिड पुल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसे साफ करने के लिए नियमित अभियान चलाया जाता है।
मरम्मत कार्य: समय-समय पर इसकी मरम्मत और देखरेख की जाती है ताकि यह संरचना बनी रहे।

7. फिल्मों में हावड़ा ब्रिज
हावड़ा ब्रिज को कई भारतीय फिल्मों में दिखाया गया है, जैसे:

हिंदी फिल्म हावड़ा ब्रिज (1958)।
यह कोलकाता की संस्कृति और पहचान का प्रतीक भी है।

निष्कर्ष
हावड़ा ब्रिज न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास का प्रतीक भी है। यह कोलकाता की व्यस्त जीवनशैली और समृद्ध परंपरा को जोड़ने का एक अहम माध्यम है।

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हावड़ा ब्रिज आज भी भारत के गौरव और तकनीकी प्रगति का एक जीवंत उदाहरण है।

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