बहू का ससुर की संपत्ति में होता है कितना अधिकार ? फटाफट जान लें
Haryana Update : लोगों के मन में Property को कई सवाल होते हैं। खासकर तब, जब Property पिता या ससुर की हो। किसी भी Property पर कौन Claim कर सकता है? कौन-कौन उसके हकदार हो सकते हैं और वगैरह-वगैरह। वैसे तो बदलते हुए दौर के साथ नियम-कायदे भी चेंज होते रहते हैं। संहिताएं भी नए दौर की जरूरत के हिसाब से बदली जाती हैं और कानून में भी बदलाव होता है। Property संबंधी कानूनों को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होता है। अक्सर इससे जुड़ी उलझनों और जानकारी की कमी के चलते Property संबंधी विवाद भी देखने को मिलते हैं। आज हम आपको Supreme Court के उस निर्णय के बारे में बनाएंगे जिसमें खासकर ससुराल के home और property में bahu का कितना हक है।
पीठ ने Case की सुनवाई करते हुए 2 सदस्यीय पीठ के निर्णय को पलटते हुए 6-7 Question के Ans भी दिए। पीठ ने यह निर्णय साल 2006 के एसआर बत्रा और अन्य बनाम तरुण बत्रा के Case की सुनवाई करते हुए सुनाया।
गौरतलब है कि तरुण बत्रा Case में दो जजों की पीठ ने कहा था कि कानून में बेटियां, अपने पति के माता-पिता के स्वामित्व वाली property में नहीं रह सकती हैं। अब ३ सदस्यीय पीठ ने तरुण बत्रा के निर्णय को पलटते हुए 6-7 Ques के Ans दिए हैं। Court ने कहा कि पति की अलग-अलग property में ही नहीं, बल्कि साझा home में भी bahu का अधिकार है।
मालूम हो कि पहले 2 सदस्यीय पीठ ने निर्णय सुनाते हुए कहा था कि एक पत्नी के पास केवल अपने पति की property पर अधिकार होता है। तरुण बत्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निधि गुप्ता ने ने दलील पेश की। उन्होंने कहा कि अगर bahu संयुक्त परिवार की property है, तो Case की समग्रता को देखने की जरूरत है। साथ ही उसे home में निवास करने का अधिकार है। इसके बाद court ने दलील को स्वीकार कर लिया।
Supreme Court ने गुरुवार को एक एक बड़ा निर्णय दिया है। Supreme Court ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत bahu को अपने पति के माता-पिता के home में रहने का अधिकार है। न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ ने तरुण बत्रा Case में दो न्यायाधीशों की पीठ के निर्णय को पलट दिया है।
Court ने अपने निर्णय में कहा कि परिवार की साझा property और रिहायशी home में भी घरेलू हिंसा की शिकार पत्नी को हक मिलेगा। Supreme Court ने इस बाबत दिए अपने निर्णय में साफ कहा है कि पीड़ित पत्नी को अपने ससुराल की पैतृक property और साझा property यानी home में रहने का कानूनी अधिकार होगा। पति की अर्जित की हुए property यानि अलग से बनाए हुए home पर तो अधिकार होगा ही। Supreme Court ने अपने निर्णय में घरेलू हिंसा कानून 2005 का हवाला देते हुए कई बातें स्पष्ट की है।