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High Court: पत्नी के नाम खरीदी प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन?, हाईकोर्ट का फैसला

High Court: High Court का बड़ा फैसला, पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन होगा, इस पर स्पष्ट किया नियम। कोर्ट ने कहा कि अगर पति अपने पैसे से पत्नी के नाम प्रॉपर्टी खरीदता है, तो क्या वह संपत्ति उसकी होगी या पत्नी की? यह फैसला कई कानूनी विवादों को दूर करने में अहम साबित हो सकता है। जानें कोर्ट का पूरा फैसला और कानूनी पहलू नीचे।
 
 
High Court: पत्नी के नाम खरीदी प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन?, हाईकोर्ट का फैसला
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Haryana update, High Court: आजकल कई लोग अपनी संपत्ति wife के नाम पर खरीदते हैं, लेकिन कई बार पति-wife के बीच विवाद होने पर wife उस संपत्ति को पूरी तरह अपना मानने लगती है। कुछ मामलों में यह संपत्ति केवल पति की कमाई से खरीदी गई होती है, तो कुछ मामलों में दोनों की साझा कमाई होती है। विवाद बढ़ने पर मामला police से लेकर कोर्ट तक पहुंच जाता है। ऐसे ही एक मामले में highcourt ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई संपत्ति wife के नाम पर खरीदी गई है, तो उस पर मालिकाना हक किसका होगा। आइए जानते हैं इस फैसले के बारे में विस्तार से।

कौन सी property बेनामी होती हैं?  High Court

highcourt ने अपने फैसले में कहा कि संशोधित कानून में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कौन सी property बेनामी मानी जाएंगी और कौन सी नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि wife के नाम पर संपत्ति खरीदना अपवाद की श्रेणी में आता है। किसी भी व्यक्ति को अपने ज्ञात आय के स्रोतों से अपनी wife के नाम पर संपत्ति खरीदने का अधिकार होता है।

कई बार पति अपनी wife और बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए यह संपत्ति खरीदते हैं। इस स्थिति में, यदि संपत्ति पति की कमाई से खरीदी गई है, तो इसे बेनामी संपत्ति नहीं माना जाएगा, क्योंकि असल मालिक पति ही होगा। इसी आधार पर highcourt ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को गलत करार दिया और कहा कि इस मामले में नए सिरे से सुनवाई की जानी चाहिए।

ट्रायल कोर्ट से मिल सकती है राहत  High Court

highcourt ने इस मामले को ट्रायल कोर्ट को वापस भेजते हुए कहा कि नए कानून के अनुसार याचिकाकर्ता को राहत मिल सकती है या नहीं, इसका फैसला तथ्यात्मक जांच के बाद किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों को शुरुआती स्तर पर ही खारिज नहीं किया जा सकता। ट्रायल कोर्ट को सभी तथ्यों की जांच करनी होगी और तय करना होगा कि याचिकाकर्ता को राहत दी जानी चाहिए या नहीं।

क्या पति-wife में से कोई एक दूसरे को घर से निकाल सकता है?  High Court

कानूनी दृष्टिकोण से, यदि पति और wife ने मिलकर कोई संपत्ति खरीदी है, तो दोनों का उस पर समान अधिकार होगा। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें wife ने पति को उसी घर से बाहर निकालने की कोशिश की, जिसे दोनों ने मिलकर खरीदा था। अदालत ने स्पष्ट किया कि पति या wife में से कोई भी दूसरे को संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकता।

पति के कानूनी अधिकार  High Court

हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में highcourt ने स्पष्ट किया कि घरेलू विवाद के मामलों में पति को उसके घर में कानूनी रूप से रहने का अधिकार है। यह फैसला तब आया जब एक wife ने अपने पति को घर से बाहर निकालने की मांग की, जिसे दोनों ने मिलकर खरीदा था। कोर्ट ने कहा कि wife का यह दावा गलत है और पति को घर से बाहर नहीं किया जा सकता। यह फैसला दोनों पक्षों के अधिकारों को स्पष्ट करता है।

highcourt ने नैतिक जिम्मेदारी को भी स्पष्ट किया   High Court

highcourt ने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति को उसके घर से बाहर नहीं किया जा सकता, लेकिन साथ ही, यह भी उसकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वह अपने परिवार की देखभाल करे। इस मामले में कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह अपनी wife को हर महीने 17,000 रुपये गुजारा भत्ता दे। यह भुगतान उस समय से लागू होगा जब wife ने पहली बार अदालत में आवेदन किया था।

पूरा मामला विस्तार से  High Court

एक महिला ने highcourt में घरेलू हिंसा का मामला दायर किया था, जिसमें उसने अपने पति, ससुर और अन्य ससुराल वालों को आरोपी बताया। महिला का कहना था कि उसकी शादी 2007 में हुई थी और उसके दो बच्चे हैं। उसने आरोप लगाया कि शादी के बाद से ही उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था।

महिला ने कहा कि उसका पति सरकारी नौकरी करता है और दोनों ने मिलकर एक फ्लैट खरीदा था। लेकिन जब पति के परिवार वाले वहां रहने आए, तो उसे परेशान किया जाने लगा। महिला ने कोर्ट से मांग की कि पति उसे 50,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता दे और फ्लैट पर उसका पूरा अधिकार हो।

पति की सफाई  High Court

पति ने कोर्ट में सभी आरोपों का खंडन किया और कहा कि wife ने अपनी मर्जी से घर छोड़ा था। उसने बताया कि संपत्ति उसकी कमाई से खरीदी गई थी और वह उसका कानूनी मालिक है। पति ने यह भी कहा कि उसने पुरानी संपत्ति बेचकर नया घर और कार खरीदी थी, जिसे उसकी wife इस्तेमाल कर रही है।

highcourt का फैसला  High Court

highcourt ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि wife को हर महीने 17,000 रुपये गुजारा भत्ता दिया जाएगा, लेकिन पति को घर से बाहर करने की उसकी मांग को खारिज कर दिया गया।

पति की संपत्ति में wife का अधिकार High Court

यदि कोई संपत्ति पति की खुद की कमाई से खरीदी गई है, तो वह स्वअर्जित संपत्ति मानी जाएगी, जिस पर wife का कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा। लेकिन यदि पति वसीयत के बिना मृत्यु को प्राप्त होता है, तो wife को संपत्ति में अधिकार मिल सकता है। यदि पति ने वसीयत लिख रखी है और उसमें wife का नाम नहीं है, तो वह संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती।