Haryana : हरियाणा में सरसों खरीद शुरू, समय से पहले खरीद होगी शुरू

मंडियों में सुचारू खरीद प्रक्रिया
मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए बताया कि किसानों को अपनी फसल बेचने में कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए। सरसों की खरीद के लिए 108 मंडियों का निर्धारण किया गया है, जहाँ खरीद एजेंसियाँ, मंडी बोर्ड और संबंधित विभागों को सुनिश्चित किया जाएगा कि सरसों की खरीद पूरी तरह से सुचारू रूप से हो। इस व्यवस्था से किसानों को उनकी फसल बेचने में पारदर्शिता और आसानी मिलेगी, साथ ही मंडियों में भी किसी प्रकार की अड़चन नहीं आएगी।
उत्पादन और न्यूनतम समर्थन मूल्य
अधिकारियों की जानकारी के अनुसार, राज्य में आम तौर पर 17 से 20 लाख एकड़ पर सरसों उगाई जाती है, लेकिन रबी फसल सीजन 2024-25 के दौरान लगभग 21.08 लाख एकड़ क्षेत्र में सरसों की खेती हुई। अनुमानित उत्पादन लगभग 15.59 लाख मीट्रिक टन रहने की संभावना है। इस वर्ष भारत सरकार द्वारा सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5950 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जिससे किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य मिल सकेगा।
"मेरी फसल मेरा ब्योरा" – पंजीकरण अनिवार्य
सरकार ने यह भी कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ लेने के लिए किसानों का "मेरी फसल मेरा ब्योरा" पोर्टल पर पंजीकरण और सत्यापन कराना अनिवार्य होगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस पोर्टल के माध्यम से फसल का ब्योरा दर्ज करने से सरकारी खरीद की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और किसान अपनी फसल का सही रिकॉर्ड रख सकेंगे। इसके साथ ही, सरसों की खरीद हरियाणा राज्य भण्डारण निगम और HAIFED के माध्यम से की जाएगी।
समन्वय और क्रियान्वयन
बैठक में कृषि तथा किसान कल्याण विभाग, HAIFED, हरियाणा राज्य विपणन बोर्ड, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग और हरियाणा राज्य भण्डारण निगम के अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने इन सभी विभागों से यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि किसानों को उनकी फसल बेचने में किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मुआवजा नहीं मिल सकेगा।
इस बदलाव के साथ Haryana सरकार किसानों के हितों को और भी मजबूत करने का प्रयास कर रही है। 15 मार्च से शुरू होने वाली सरकारी खरीद की प्रक्रिया से सरसों की फसल की मंडियों में सुचारू व्यवस्था बनी रहेगी, और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बेचने का पूरा लाभ मिलेगा। साथ ही, "मेरी फसल मेरा ब्योरा" पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण अनिवार्य करने से फसल के रिकॉर्ड में पारदर्शिता आएगी और फर्जीवाड़े जैसी समस्याओं पर रोक लगेगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का यह कदम किसानों की भलाई के लिए एक सकारात्मक पहल है, जिससे उन्हें आर्थिक सुरक्षा और संतोष मिलेगा।