हरियाणा की प्रियंका बनीं लेफ्टिनेंट, छोटी उम्र में खोई मां, अब देश की रक्षा करेंगी!

बचपन की कठिनाइयाँ और संघर्ष
प्रियंका का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनके पिता वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी करते हैं। जब प्रियंका मात्र 10 साल की थीं, तभी उन्होंने अपनी माँ को खो दिया। हालांकि इस कठिन समय में भी, उन्होंने अपनी माँ की यादों को अपने सपनों पर हावी नहीं होने दिया। अपनी माँ की कमी को सहते हुए, उन्होंने कड़ी मेहनत जारी रखी और भारतीय सेना में भर्ती होने का अपना सपना पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास किया।
शैक्षणिक उपलब्धियाँ
प्रियंका बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रही हैं। गांव हसनगढ़ के दिल्ली इंटरनेशनल स्कूल से कक्षा 10वीं तक की पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने प्रताप स्पोर्ट्स स्कूल, खरखौदा से साइंस विषय में कक्षा 12वीं में पहला स्थान हासिल किया। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बॉयोलॉजिकल में स्नातक की डिग्री भी प्राप्त की, जिसमें उन्होंने दूसरा स्थान हासिल किया। इन शैक्षणिक उपलब्धियों से यह स्पष्ट होता है कि प्रियंका ने हर मोर्चे पर अपने काबिलियत का परिचय दिया है।
सेना में प्रवेश की राह
बचपन से ही भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखने वाली प्रियंका ने बिना किसी कोचिंग के सीडीएस परीक्षा में भी सफलता हासिल की। अक्टूबर 2020 में उन्होंने इस परीक्षा को पास किया और 7 जनवरी 2021 को बैंगलोर के आर्म्ड हॉस्पिटल में ट्रेनिंग के लिए भेज दी गईं। पिता राजेश के अनुसार, 1.40 लाख अभ्यर्थियों में से प्रियंका ने नंबर-1 रैंक हासिल की, जो उनके अदम्य आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत का प्रमाण है।
परिवार का गर्व और भविष्य की आशाएं
प्रियंका की इस उपलब्धि से उनके पूरे परिवार में खुशी का माहौल बन गया है। पिता राजेश ने गर्व से कहा कि बेटी ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर परिवार का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रियंका की मेहनत और समर्पण से देश सेवा के क्षेत्र में और भी बड़ा योगदान मिलेगा। यह सफलता उनके लिए सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा है उन सभी युवाओं के लिए जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।