8वें वेतन आयोग पर हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, जल्द हो सकता है ये ऐलान
हरियाणा सरकार ने 8वें वेतन आयोग को लेकर बड़ा कदम उठाया है। राज्य के कर्मचारियों के लिए यह आयोग सैलरी और भत्तों में सुधार के साथ नई सुविधाओं का रास्ता खोल सकता है। सरकार जल्द ही इस पर आधिकारिक ऐलान कर सकती है। जानिए इस फैसले से कर्मचारियों को क्या फायदे मिल सकते हैं और इससे जुड़ी प्रमुख बातें।
आंदोलन की रणनीति
7 और 8 फरवरी को प्रदर्शन
फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि 7 और 8 फरवरी को सभी जिला मुख्यालयों पर धरने और प्रदर्शन किए जाएंगे।
बैठकें और सम्मेलन
- सभी राज्यों में राज्य कमेटियों की बैठकें होंगी, जिनमें आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।
- फरवरी में मंडल स्तर पर सम्मेलन होंगे।
- मार्च में जिला, ताल्लुक और ब्लॉक स्तर पर कर्मचारी सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
महिला कर्मचारियों की भागीदारी
8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं की मांगों को लेकर हर जिले में प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।
प्रमुख मांगें और समस्याएं
पुरानी पेंशन योजना की बहाली
- कर्मचारियों की मुख्य मांग है कि PFRDA एक्ट को रद्द कर पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।
- नई पेंशन योजना के कारण कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा में कमी महसूस हो रही है।
8वें वेतन आयोग का गठन
- सरकार ने अब तक 8वें वेतन आयोग के गठन से इंकार कर दिया है।
- कर्मचारियों का कहना है कि यह फैसला जले पर नमक छिड़कने जैसा है।
बकाया DA-DR का भुगतान
- कर्मचारियों और पेंशनर्स के 18 महीने के बकाया DA-DR को अभी तक रिलीज नहीं किया गया है, जबकि GST कलेक्शन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही है।
रिक्त पदों पर भर्ती
- केंद्र और राज्यों में लगभग 1 करोड़ पद रिक्त हैं।
- सरकार स्थायी नियुक्तियां करने के बजाय ठेके पर भर्ती कर रही है।
पेंशनर्स की मांगें
- पेंशनर्स की उम्र (65, 70, और 75 वर्ष) पूरी करने पर बेसिक पेंशन में 5% बढ़ोतरी की मांग।
- पेंशन कंप्यूटेशन राशि को 15 साल की बजाय 12 साल तक रिकवर करने का अनुरोध।
कर्मचारियों की नाराजगी
सुभाष लांबा ने कहा कि सरकार ने 8वें वेतन आयोग और OPS बहाली जैसी मांगों को नजरअंदाज कर कर्मचारियों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों का हनन किया है। कर्मचारियों का मानना है कि यह सरकार की "लाभ की बजाय श्रमिक-विरोधी नीति" को दर्शाता है।
निष्कर्ष
पुरानी पेंशन योजना की बहाली और 8वें वेतन आयोग के गठन को लेकर यह आंदोलन केंद्र और राज्यों पर दबाव बढ़ा सकता है। आने वाले दिनों में यदि सरकार इन मांगों पर विचार नहीं करती, तो देशव्यापी आंदोलन और भी उग्र रूप ले सकता है।