Fitment Factor: जानिए फिटमेंट फैक्टर क्या है, सैलरी तय करने में क्या होता है इसका रोल

सैलरी में बढ़ोतरी का आधार: फिटमेंट फैक्टर
सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में वृद्धि का मुख्य आधार फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) होगा। फिटमेंट फैक्टर कम रखने पर सैलरी में मामूली वृद्धि होगी, जबकि उच्च फिटमेंट फैक्टर सैलरी में बड़ा इजाफा कर सकता है।
8वें वेतन आयोग की संभावनाएं
केंद्र सरकार के 8वें वेतन आयोग को लेकर कर्मचारियों में यह सवाल उठ रहा है कि उनकी सैलरी में कितना इजाफा होगा। पिछले वेतन आयोगों की तरह ही इस बार भी फिटमेंट फैक्टर अहम भूमिका निभाएगा।
फिटमेंट फैक्टर का कार्य
पिछले 7वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये की गई थी, और यह बदलाव 2.57 के फिटमेंट फैक्टर पर आधारित था। वहीं, 6ठे वेतन आयोग में यह फैक्टर 1.86 था। अब, 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को 2.86 या उससे अधिक बढ़ाने की संभावना है।
यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 पर तय किया जाता है, तो सैलरी में अच्छी वृद्धि देखी जा सकती है। वहीं, कर्मचारी संघ की मांग के अनुसार अगर इसे 3.68 कर दिया जाता है, तो सैलरी में और अधिक इजाफा होगा।
फिटमेंट फैक्टर क्यों है खास?
फिटमेंट फैक्टर कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन को महंगाई के अनुरूप बनाए रखने का एक प्रभावी तरीका है। यह मूल वेतन को एक निश्चित गुणक से बढ़ाकर नया वेतनमान निर्धारित करता है, जिसका सीधा असर ग्रॉस सैलरी और पेंशन पर पड़ता है। यह कर्मचारियों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) को बनाए रखने और उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद करता है।
कर्मचारी संघ की मांग
कर्मचारी संघों का कहना है कि फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 3.68 किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि बढ़ती महंगाई और जीवन स्तर को देखते हुए सैलरी में पर्याप्त वृद्धि की आवश्यकता है। हालांकि, सरकार इस निर्णय को देश की आर्थिक स्थिति और महंगाई दर के आधार पर लेगी।
फिटमेंट फैक्टर 8वें वेतन आयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा, जो सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर बड़ा प्रभाव डालेगा। इससे कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा और उनकी जीवन शैली को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।