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Fixed Deposit: FD पर टैक्स नहीं लगेगा, ये 2 फॉर्म करें इस्तेमाल! जानें कब और कैसे करें इस्तेमाल!

Fixed Deposit: अगर आप चाहते हैं कि आपकी FD पर टैक्स न कटे, तो ये दो फॉर्म बेहद जरूरी हैं! फॉर्म 15G और फॉर्म 15H भरकर आप TDS से बच सकते हैं। फॉर्म 15G उन व्यक्तियों के लिए है, जिनकी कुल आय टैक्स के दायरे में नहीं आती, जबकि फॉर्म 15H सीनियर सिटिजंस के लिए है। जानें ये फॉर्म कब और कैसे भरना है, किन शर्तों को पूरा करना जरूरी है और इससे कितना फायदा मिलेगा। नीचे देखें पूरी डिटेल।

 
Fixed Deposit: FD पर टैक्स नहीं लगेगा, ये 2 फॉर्म करें इस्तेमाल! जानें कब और कैसे करें इस्तेमाल!
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Haryana update : सरकार ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है, जिससे सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में वृद्धि की संभावना बढ़ गई है। इस फैसले के बाद से कर्मचारियों के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि उनकी सैलरी और पेंशन में आखिर कितनी बढ़ोतरी होगी। कई रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों के अनुमानों के आधार पर हम आपको बता रहे हैं कि इस बदलाव से सरकारी कर्मचारियों को क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं।

फिक्स्ड डिपॉजिट पर TDS से बचने के लिए जरूरी फॉर्म

अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज के जरिए होने वाली कमाई तय सीमा से ज्यादा होती है, तो बैंक उसमें से टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) काट लेते हैं। हालांकि, आप चाहें तो TDS कटौती को रोक सकते हैं। इसके लिए दो महत्वपूर्ण फॉर्म का उपयोग किया जाता है – फॉर्म 15G और फॉर्म 15H। आइए जानते हैं इनका उपयोग कब और कैसे किया जाता है।

कब काटा जाता है TDS?

नियम के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की FD पर मिलने वाली ब्याज आय सालाना 40,000 रुपये से अधिक हो जाती है, तो बैंक TDS काटता है। हालांकि, सीनियर सिटिजन्स (60 वर्ष से अधिक आयु) के लिए यह सीमा 50,000 रुपये निर्धारित है।

यह टीडीएस व्यक्ति की कुल आय में जोड़ा जाता है और फिर कर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है। लेकिन यदि किसी व्यक्ति की कुल आय टैक्सेबल सीमा से कम है, तो वह फॉर्म 15G या 15H भरकर बैंक को सूचित कर सकता है, जिससे बैंक टीडीएस न काटे।

क्या है फॉर्म 15G?

फॉर्म 15G एक घोषणा पत्र (Declaration Form) है, जिसके जरिए व्यक्ति बैंक को यह बताता है कि उसकी कुल आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है। यह फॉर्म 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए होता है।

फॉर्म 15G इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 197A (1) और (1A) के तहत आता है। इस फॉर्म को भरकर व्यक्ति यह सुनिश्चित कर सकता है कि बैंक उसके FD पर TDS न काटे, बशर्ते उसकी कुल आय टैक्सेबल सीमा से कम हो।

क्या है फॉर्म 15H?

फॉर्म 15H खासतौर पर सीनियर सिटीजन्स (60 साल या उससे अधिक आयु) के लिए होता है। इस फॉर्म को भरकर सीनियर सिटिजन्स FD के ब्याज पर लगने वाले TDS को रोक सकते हैं।

हालांकि, यह फॉर्म केवल उन्हीं लोगों द्वारा जमा किया जा सकता है जिनकी टैक्सेबल इनकम शून्य (0) है। इस फॉर्म को सभी उन बैंक शाखाओं में जमा करना अनिवार्य है, जहां FD निवेश किया गया है।

इसके अलावा, यदि लोन, एडवांस, डिबेंचर, बॉन्ड्स आदि से अर्जित ब्याज 5,000 रुपये से अधिक हो, तो भी व्यक्ति को फॉर्म 15H जमा करना आवश्यक होता है।

कब और कैसे जमा करें फॉर्म 15G/15H?

  • ब्याज भुगतान होने से पहले फॉर्म 15G/15H को बैंक में जमा कर देना चाहिए।
  • हालांकि, यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन ऐसा करने से बैंक शुरुआत से ही TDS की कटौती को रोक सकता है।
  • यदि कोई व्यक्ति इन फॉर्म को समय पर जमा नहीं कर पाता है, तो वह इनकम टैक्स रिटर्न में टीडीएस रिफंड क्लेम कर सकता है। इस स्थिति में आयकर विभाग से रिफंड प्राप्त हो सकता है।

8वें वेतन आयोग की मंजूरी से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ी राहत मिली है। उनकी सैलरी में 10% से 30% तक की वृद्धि हो सकती है और पेंशन में भी बढ़ोतरी की संभावना है। यह सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं, और यदि इसमें देरी होती है तो सरकार बकाया राशि (एरियर) के रूप में भुगतान करेगी। फिटमेंट फैक्टर 2.86 होने की संभावना है, जिससे न्यूनतम बेसिक सैलरी 51,480 रुपये तक बढ़ सकती है। कुल मिलाकर, यह फैसला लाखों कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए फायदेमंद साबित होगा और देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

इसके अलावा, यदि आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश कर रहे हैं और टीडीएस से बचना चाहते हैं, तो फॉर्म 15G और 15H का सही समय पर उपयोग करना बहुत जरूरी है। सही समय पर यह फॉर्म जमा करने से FD पर TDS से बचा जा सकता है और रिटर्न अधिक प्राप्त किया जा सकता है।