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क्या पिता को है अधिकार, बेटे की इजाजत के बिना प्रॉपर्टी दान करने का? जानें

क्या पिता अपने बेटे की अनुमति के बिना संपत्ति को दान कर सकते हैं? भारतीय कानून के तहत यह निर्भर करता है कि संपत्ति स्वअर्जित है या पैतृक। जानें क्या कहता है कानून।

 
क्या पिता को है अधिकार, बेटे की इजाजत के बिना प्रॉपर्टी दान करने का? जानें
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Haryana Update, Transfer Of Property: भारत में संपत्ति से जुड़े कानून हमेशा चर्चा में रहते हैं. खासकर तब जब बात परिवार में प्रॉपर्टी के बंटवारे या दान (Gift) की आती है. एक आम सवाल जो अक्सर सामने आता है – क्या पिता अपनी संपत्ति को अपने बेटे या किसी अन्य वारिस की अनुमति के बिना किसी को दान कर सकता है? आज हम इसी सवाल का कानूनी जवाब विस्तार से समझेंगे.

संपत्ति के दो कानूनी प्रकार

भारतीय कानून के अनुसार संपत्ति को दो श्रेणियों में बांटा गया है:

स्व-अर्जित संपत्ति (Self-acquired Property)
विरासत या पैतृक संपत्ति (Inherited/Ancestral Property)
इन दोनों में कानूनी अधिकारों और दान की प्रक्रिया को लेकर बड़ा अंतर होता है.


अगर कोई संपत्ति पिता ने अपनी मेहनत से अर्जित की है और वह उनके नाम पर है, तो वे बिना किसी की अनुमति के उसे किसी को भी दान कर सकते हैं. इसमें बेटा, बेटी या अन्य उत्तराधिकारी की सहमति जरूरी नहीं होती. कानून उन्हें इसपर पूर्ण स्वामित्व प्रदान करता है.

पैतृक संपत्ति दान करने के लिए ज़रूरी है सभी वारिसों की सहमति
अगर संपत्ति पैतृक है या पिता को विरासत में मिली है, तो वह केवल उनकी अकेली संपत्ति नहीं मानी जाती. ऐसी संपत्ति पर सभी कानूनी उत्तराधिकारियों का बराबर का अधिकार होता है. इसलिए यदि पैतृक संपत्ति का विधिवत बंटवारा नहीं हुआ है, तो पिता उसे अकेले दान नहीं कर सकते. हर वारिस की सहमति अनिवार्य होती है.

साझा (संयुक्त) संपत्ति के मामले में दान का नियम
यदि संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति जैसे भाई, बहन या परिवार के अन्य सदस्य के साथ साझा है, तो दान करने से पहले सभी साझीदारों की सहमति लेना आवश्यक होता है. बिना सहमति किया गया दान अवैध माना जाएगा. जिसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है.


मानसिक स्थिति और विवादित संपत्ति का दान वैध नहीं
दान के लिए संपत्ति मालिक की मानसिक स्थिति का स्थिर होना आवश्यक है. यदि व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो उसका किया गया दान कानून की नजर में अमान्य माना जा सकता है. इसी प्रकार, यदि संपत्ति विवादित है या कब्जे में नहीं है, तो उसका दान भी अवैध माना जाएगा.

दान की गई संपत्ति वापस लेने का कानून
भारतीय संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 126 के अनुसार:

यदि संपत्ति किसी विशेष उद्देश्य से दान की गई हो और वह उद्देश्य पूरा नहीं होता, तो दानदाता संपत्ति को वापस ले सकता है, बशर्ते गिफ्ट डीड में यह शर्त पहले से दर्ज हो.


उदाहरण:
अगर कोई व्यक्ति किसी संस्था को अनाथालय बनाने के लिए ज़मीन दान करता है. लेकिन वहाँ कोई और कार्य शुरू हो जाता है, तो दानदाता अदालत में जाकर ज़मीन वापस मांग सकता है.

कितनी संपत्ति दान की जा सकती है?
इस संबंध में कोई सीमित दायरा नहीं है.
कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी या आंशिक संपत्ति दान कर सकता है.
यदि केवल संपत्ति का कोई भाग दान किया जा रहा है, तो उसे अलग से चिन्हित करना होगा और
उस हिस्से के बिजली-पानी जैसी आवश्यक सेवाएं भी अलग करवानी होंगी.
दान के बाद भी रह सकते हैं कुछ अधिकार
दान करने वाला व्यक्ति गिफ्ट डीड में कुछ शर्तें जोड़कर उस संपत्ति का आजीवन उपयोग, किराया प्राप्त करना या अन्य सुविधाएं अपने पास रख सकता है. यह तभी वैध मानी जाएंगी जब यह बातें स्पष्ट रूप से लिखित रूप में गिफ्ट डीड में दर्ज हों.

गिफ्ट डीड का लिखित होना क्यों जरूरी है?
दान से जुड़ी सभी शर्तों और प्रावधानों को गिफ्ट डीड में लिखित रूप में शामिल करना अनिवार्य है. इससे भविष्य में किसी प्रकार के कानूनी विवाद या भ्रम से बचा जा सकता है. लिखित समझौता न केवल कानूनी रूप से सुरक्षित होता है, बल्कि न्यायालय में साक्ष्य के रूप में मान्य भी होता है.